किसानों की पतंग की डोर काटेगा ड्रोन; अंबाला में छह पायलटों ने संभाली कमान, पुलिस सतर्क

किसान आंदोलनकारियों पर ड्रोन का इस्तेमाल कितना जायज़?

अशोक कुमार कौशिक

पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर ‘दिल्ली चलो’ मार्च में प्रदर्शन कर रहे कई सौ किसान आंदोलनकारियों पर हरियाणा पुलिस ने ड्रोन की मदद से आंसू गैस के गोले छोड़े। ये तस्वीरें हर जगह शेयर हुई हैं। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि भारत में हरियाणा पुलिस पहली पुलिस फ़ोर्स है जिसने ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। हरियाणा पुलिस के डीजीपी शत्रुजीत कपूर के मुताबिक़ ये पहली बार है कि हरियाणा पुलिस ने ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़े हैं।

प्रदर्शन कर रहे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के लिए क़ानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफ़ारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार का कहना है कि वो जल्दबाज़ी में कोई फ़ैसला नहीं लेना चाहती।

जब ड्रोन गोले गिरा रहे थे तब अनेक मीडिया कर्मी भी वहीं मौजूद थे। उन्होंने बताया कि, “तेज़ी से हरियाणा की तरफ़ से ड्रोन आता था और आंसू गैस के गोले गिरा कर वापस चला जाता था। गोला गिरता था किसान पीछे हो जाते थे लेकिन तुरंत फिर आगे आ जाते थे।”

उनके मुताबिक़ आंसू गैस के गोलों से निकल रहे धुएं को दबाने के लिए जहां किसान गीली बोरियां या तसले उस पर रख देते, तो वहीं ड्रोन को नीचे गिराने के लिए पतंगों और कॉस्को की गेंदों का भी इस्तेमाल कर रहे थे। आमने-सामने की इस स्थिति में किसान और पुलिसकर्मी दोनों ही घायल हुए हैं।

पुलिस के मुकाबले किसान भी ड्रोन लेकर पहुंचे

ड्रोन के माध्यम से भी आंसू गैस के गोले गिराए गए, जिसको लेकर देसी जुगाड़ के बीच अब किसान ड्रोन लेकर भी पहुंच गए। इससे पहले आंसू गैस के गोलों का प्रभाव कम करने के लिए पतंगें उड़ाई जा रही थी।

आंसू गैस के गोले से उठने वाला धुआं का भी किया बंदोबस्त

वहीं बोरियों को गीला कर इन गोलों पर गिराया जा रहा है। अब बड़े पंखे से आंसू गैस के गोले से उठने वाला धुआं किसानों की ओर न आए इसका भी बंदोबस्त किया है।

किसान लीडरशिप से अभी ड्रोन उड़ाने की नहीं मिली अनुमति

हालांकि अब हरियाणा सीमा की ओर से ड्रोन के माध्यम से आंसू गैस के गोले नहीं गिराए जा रहे है। अब किसान ड्रोन लेकर सीमा पर पहुंचे हैं, जबकि इनको अभी उड़ाया नहीं गया है। अभी किसान लीडरशिप से ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं मिली है। बताया जाता है कि यह ड्रोन पंजाब से खरीदा गया है। किसानों द्वारा ड्रोन लाने का मकसद यही है कि यदि हरियाणा पुलिस अपना ड्रोन उड़ाती है, तो उससे टकराकर गिरा दिया जाए।

पुलिस के 10 लाख रुपये के ड्रोन को प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा पतंग से गिराने की कोशिश पर अब अंबाला पुलिस भी चुनौती देती दिखाई दे रही है। इसके तहत पुलिस ने भी पतंगें उड़ाईं, जिसमें से तीन को काट दिया। अब ड्रोन को भी सक्षम बना लिया है कि वह चाइनीज डोर को आसानी से काट सकता है।

ऐसे में आने वाले समय में अगर प्रदर्शनकारी किसान ड्रोन को फंसाने की कोशिश करेंगे तो पुलिस भी इस स्थिति के लिए खुद को तैयार कर रही है। पुलिस का दावा है कि उनका ड्रोन किसी भी तरह की पतंग और मांझे को झेलने में सक्षम है। जिस दिन किसानों ने पतंग से ड्रोन को फंसाया था, उसी दिन ड्रोन ने भी चाइनीज मांझे को काट दिया था।

ऐसे में अगर प्रदर्शनकारी किसान आगे उग्र होते हैं तो फिर से ड्रोन का सहारा लिया जाएगा। गौरतलब है कि 13 फरवरी को शंभू सीमा पर अंबाला पुलिस की तरफ से प्रयोग किए ड्रोन ने पांच हजार से अधिक आंसू गैस के गोले बरसाए थे। इसके कारण किसानों को आगे बढ़कर बेरिगेडिंग तोड़ने का मौका नहीं मिल सका था। कई किसान इस गोलाबारी में घायल भी हुए थे।

छह पायलटों की टीम संभाल रही ड्रोन

पुलिस विभाग के सूत्रों की मानें तो छह लोगों की टीम आंसू गैस के गोले बरसाने वाले ड्रोन की कमान संभाल रही है। यह लोग विशेष रूप से प्रशिक्षण ड्रोन पॉयलट हैं। पुलिस की ओर से प्रयोग किए जा रहे ड्रोन को इमेजिंग एंड इंफॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (दृश्यम) की ओर से निर्मित किया गया है। इस ड्रोन को कृषि से जुड़े कार्यों, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर निगरानी के लिए बनाया है।

मगर यह पहली बार है कि पुलिस ने इस प्रकार के आंदोलन में प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए इसका प्रयोग किया है। इस ड्रोन में एक ऐसा सिस्टम लगाया है जो हवा में उड़ने के दौरान ड्रोन में रखे आंसू गैस के गोलों को सक्रिय कर देता है। इसके बाद ड्रोन पॉयलट जहां पर प्रदर्शनकारी होते हैं वहां पर इन गोलों को एक बटन दबाते ही ट्रिगर कर देता है। जिससे गोला सक्रिय होने के बाद नीचे आते ही फट जाता है। यह ड्रोन पांच से छह किलोग्राम वजन उठाने की क्षमता रखता है।

आंसू गैस के गोलों का किया स्टाक

अंबाला पुलिस पहले ही किसान आंदोलन के लिए मिल रहे इनपुट से सतर्क थी। ऐसे में पुलिस ने पहले ही भारी मात्रा में आंसू गैस के गोले मंगा लिए थे। बताया जाता है कि दो से तीन ट्रक आंसू गैस के गोले का स्टॉक पुलिस के पास पहले से मौजूद है। अधिकारी तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर जरूरत पड़ी और आंसू गैस के गोले मंगाए जा सकते हैं।

ड्रोन के इस्तेमाल पर बहस

जहां कई हलकों में आंसू गैस के गोले गिराने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की आलोचना हो रही है, ड्रोन इंडस्ट्री के भीतर भी इसे बहुत ग़ौर से देखा जा रहा है।

ढाई सौ से ज़्यादा ड्रोन कंपनियों और इंडस्ट्री से जुड़े क़रीब ढाई हज़ार लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली ड्रोन फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के प्रमुख स्मित शाह कहते हैं, “ये पहली बार है कि ड्रोन के जायज़ इस्तेमाल पर बहस शुरू हुई है। मुझे नहीं लगता कि इससे बहुत बड़ी चिंता है लेकिन इससे लोग आगाह हुए हैं कि इस विषय पर इस नई इंडस्ट्री को सोचना चाहिए।”

हरियाणा के पूर्व डीजीपी डॉक्टर महेंद्र सिंह मलिक कहते हैं, “इस तरह का तरीक़ा मेरे ख़्याल से राज्य की पुलिस को नहीं इस्तेमाल करना चाहिए था। लोगों को पहले वार्निंग वगैराह देनी चाहिए थी, कि या तो पीछे हट जाओ नहीं तो हम ड्रोन से टीयर गैस का इस्तेमाल करेंगे। मुझे पता नहीं कि ऐसा किया गया कि नहीं लेकिन उन्हें ऐसा करना चाहिए था।”

टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने एक पोस्ट में लिखा, “हरियाणा पुलिस ने ड्रोन के इस्तेमाल से आसमान से आंसू गैस के गोले गिराकर इसे टेस्ट किया है ।‌ ये इसे अपने अधिकारों के लिए मार्च कर रहे निहत्थे किसानों के लिए अभी इस्तेमाल कर रहे हैं।”

हरियाणा पुलिस का क्या है कहना?

मीडिया से बातचीत में हरियाणा पुलिस के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने ड्रोन के जायज़ इस्तेमाल पर बहस को “नॉन-इशु” (ये कोई मुद्दा ही नहीं है) बताया।

वो कहते हैं, “ये मात्र एक ऑपरेशनल संबंधी मामला है। अगर टियर गैस गन से गोलों का इस्तेमाल हो सकता है, तो फिर ड्रोन से उन्हीं गोलों का इस्तेमाल भी सही होना चाहिए क्योंकि ड्रोन तो मात्र एक प्लेटफॉर्म है। ये कुछ इसी तरह है कि कार से खाना पहुंचाना ठीक है लेकिन स्कूटी से नहीं। जो बात महत्वपूर्ण है वो है गोले। अगर उसमें कुछ समस्या है तो बताइए।”

डीजीपी शत्रुजीत कपूर के मुताबिक़, “स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हमारी प्राथमिकता न्यूनतम ताक़त का इस्तेमाल करना है। अगर ड्रोन का इस्तेमाल रोक दिया गया तो प्रदर्शनकारी और नजदीक़ आ जाएंगे और हमें और ज़्यादा ताक़त का इस्तेमाल करना पड़ेगा।”

उधर मानवाधिकार संस्था ऐमनेस्टी ने एक वक्तव्य में कहा, “आंसू गैस के गोलों को ड्रोन से नहीं गिराना चाहिए क्योंकि इससे प्रदर्शनकारियों पर ज़्यादा मात्रा में केमिकल असर कर सकता है और इससे भगदड़ मच सकती है और ये हो सकता है कि प्रदर्शनकारी तितर-बितर होने के लिए सबसे अच्छे रास्ते का पता न लगा पाएं।”

ड्रोन का इस्तेमाल क्यों?

ताज़ा स्थिति में पंजाब से दिल्ली की ओर बढ़ रहे हज़ारों किसानों को हरियाणा पुलिस ने शंभू सीमा पर रोक लिया है। स्थिति का असर इंटरनेट सेवाओं पर भी पड़ा है।

पुलिस ने जहां मार्च को आगे बढ़ने से रोकने के लिए कड़े बंदोबस्त किए, दिल्ली पुलिस ने भी सीमा पर कड़ी मोर्चाबंदी की है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने स्थिति को सौहार्दपूर्ण तरीक़े से हल करने को कहा है, साथ ही उसका कहना था कि ताक़त का इस्तेमाल आखिरी विकल्प होना चाहिए।

प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए लाठी-डंडों और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल लंबे समय से होता रहा है। लेकिन इस मक़सद के लिए ड्रोन का इस्तेमाल क्यों किया गया?

हरियाणा पुलिस के डीजीपी शत्रुजीत कपूर के मुताबिक़, “आंसू गैस का इस्तेमाल हवा की दिशा पर निर्भर करता है। आंसू गैस का इस्तेमाल उस वक़्त तक असरदार नहीं होता जब तक हवा की दिशा भीड़ की तरफ़ न हो। ड्रोन हमें रेंज और जिस जगह पर आंसू गैस के गोले गिराने हैं, उसकी आज़ादी देता है।”

शत्रुजीत कपूर के मुताबिक़ आंसू गैस गन से गोलों को फेंकना और ड्रोन से गोले फेंकना एक ही चीज़ है। वो कहते हैं, “भीड़ आप पर पत्थर फेंक रही है। भीड़ लाठियों, सैकड़ों ट्रैक्टर्स, जिनमें इस बार स्पाइक्स भी लगाए गए हैं, उनसे लैस है। उनसे निपटना आसान नहीं है इसलिए हमने आंसू गैस का इस्तेमाल किया।”

शत्रुजीत कपूर के मुताबिक़ हरियाणा पुलिस ड्रोन का इस्तेमाल काफ़ी समय से सर्विलांस, ट्रैफ़िक के प्रबंधन आदि के लिए करती रही है।

कुछ महीने पहले ड्रोन का इस्तेमाल दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर लेन ड्राइविंग नियमों के उल्लंघन करने वालों की पहचान और उन पर जुर्माना लगाने के लिए किया था।

हरियाणा पुलिस के डीजीपी शत्रुजीत कपूर के मुताबिक़, “हम ड्रोन का इस्तेमाल तब करते हैं, जब हवा हमारी दिशा में बह रही हो। इससे आंसू गैस के गोले कितनी दूर गिराने हैं, उस पर नियंत्रण रखा जा सकता है। दूरी की वजह से हम गोलों को फेंक नहीं सकते। सबसे ताक़तवर सुरक्षाकर्मी भी उसे 30 से 40 मीटर तक ही फेंक सकेगा और फिर उसी गोले को हमारी तरफ़ भी फेंका जा सकता है क्योंकि हम बैरिकेडिंग से करीब 15 मीटर ही पीछे रहते हैं।”

”इसलिए हमारे पास ड्रोन का इस्तेमाल ही एकमात्र विकल्प है। यही वजह है कि हमें आंसू गैस के गोले भीड़ के पीछे गिराने पड़ रहे हैं। अगर हवा हमारी दिशा में बह रही है तो वो गैस पहले भीड़ पर असर करेगी और हम तक नहीं पहुंचेगी, यही हो रहा है। ये प्रक्रिया संबंधी विषय है और किसी को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।”

ड्रोन के इस्तेमाल पर इंडस्ट्री का नज़रिया

उधर ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराए जाने की तस्वीरें ड्रोन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने भी देखी।
ड्रोन फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ देश में क़रीब 300 से ज़्यादा ड्रोन स्टार्ट अप्स हैं। इनमें से क़रीब एक तिहाई या 40 प्रतिशत ड्रोन के उत्पादन से जुड़े हुए हैं, 40 से 50 प्रतिशत ड्रोन सर्विसेज़ से जुड़े हैं जबकि क़रीब 10 प्रतिशत ड्रोन से जुड़ी ट्रेनिंग और सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस से हैं।

ड्रोन फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के प्रमुख स्मित शाह के मुताबिक़, “वायरल तस्वीरों को देखकर इंडस्ट्री में बातचीत ये हो रही है कि ड्रोन का इस्तेमाल काफ़ी नया, रचनात्मक और साहसिक है और ड्रोन के जायज़ इस्तेमाल को लेकर बातचीत होनी चाहिए। क्या ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराया जाना जायज़ है या नहीं, इस बारे में समाज के अंदर बहस होनी चाहिए और किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए।”

स्मित शाह के मुताबिक़ हरियाणा पुलिस ने जिस ड्रोन का इस्तेमाल किया उसकी तस्वीरें देखने से ऐसा लगता है कि वो 10-20 मिनट तक हवा में रह सकते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस्तेमाल किए गए ड्रोन का उत्पादन हरियाणा की एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी ने किया था।

शत्रुजीत कपूर ने ये बताने से इनकार किया कि ऐसे कितने ड्रोन का इस्तेमाल किसानों के प्रदर्शन से निपटने के लिए किया गया।

भारत में बढ़ती ड्रोन इंडस्ट्री

ड्रोन का इस्तेमाल खेती, रक्षा, सर्विलांस आदि कामों के लिए किया जाता है।

साल 2014 में ड्रोन का इस्तेमाल मुंबई में पिज़्ज़ा डिलीवरी के लिए किया गया था जिसके बाद ड्रोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी।

वक़्त बदला और ड्रोन की उपयोगिता की चर्चा हर जगह होने लगी।

साल 2021 में सरकार ड्रोन के इस्तेमाल के लिए नए नियम लेकर आई जिससे इस इंडस्ट्री को भारत में एक नई दिशा मिली। सरकार का कहना है कि भारत में दुनिया के लिए ड्रोन बनाने का सामर्थ्य है।

नई ड्रोन सुधार नीति के अंतर्गत विदेशी ड्रोन के आयात पर रोक लगी और ड्रोन के हिस्सों के आयात की आज़ादी मिली।

स्मित शाह के मुताबिक़ इससे देश में ड्रोन के उत्पादन, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स या बौद्धिक संपदा के अधिकार को बढ़ावा मिला।

रूस यूक्रेन युद्ध ने ड्रोन के महत्व को दुनिया के सामने उजागर किया है।

ड्रोन के इस ताज़ा इस्तेमाल पर उभरी ये बहस किस दिशा में जाती है, ये आगे देखना होगा।