जुर्म करने पर पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत कैद व जुर्माने का प्रावधान

चंडीगढ़, 11 फरवरी – हरियाणा सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या रोकने व करवाने वालों की सही सूचना देने वालों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक लाख रुपये तक का इनाम दिया जाएगा। ऐसी सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम विभाग द्वारा गुप्त रखा जाएगा। इस प्रकार सरकार व प्रशासन की ओर से कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए उचित और कारगर कदम उठाए जा रहे हैं।

सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत पंजीकृत सेंटर संचालक व डॉक्टर द्वारा पहली बार गर्भधारण पूर्व लिंग चयन और प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण संबंधी जुर्म करने पर 3 साल की कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना किया जाता है। इसके उपरांत दोबारा जुर्म करने पर 5 साल कैद और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम के तहत पति/परिवार के सदस्य या लिंग चयन के लिए उकसाने वाले व्यक्ति के लिए पहले अपराध पर 50 हजार रुपए तक के जुर्माने के साथ 3 साल तक की कैद तथा इसके उपरांत अपराध करने पर एक लाख रुपये तक जुर्माने के साथ 5 साल तक की कैद का प्रावधान एक्ट में किया गया है।

प्रवक्ता ने बताया कि सरकार के सकारात्मक एवं जागरूकता प्रयासों के चलते हरियाणा के लोगों में लिंगभेद की सोच को लेकर अभूतपूर्व बदलाव आया है। अब प्रदेश में बेटे- बेटियों के बीच अंतर बहुत कम समझने लगे और इसके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे है। वर्तमान में राज्य की लड़कियों ने हर क्षेत्र मेें सफलता के द्वार खोले और न केवल अभिभावकों का नाम रोशन किया है अपितु प्रदेश में देश का नाम ऊंचा किया है। वर्तमान दौर में अधिकांश अभिभावक अपनी बेटियों का नाम लेकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करने लगे है।  इसके बावजूद समाज में लिंगानुपात के प्रति जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है।    

लिंगानुपात बढ़ाने के लिए एकजुट होकर करने होंगे सामूहिक प्रयास  

प्रवक्ता ने बताया कि जिलों में घटते लिंगानुपात को बढ़ाने, लिंगानुपात के मामले में पहले पायदान पर लाने का आह्वान करते हुए सभी नागरिकों को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। बेटियां प्रकृति का अनमोल तोहफा हैं और इन्हें भी दुनिया में आने का पूरा हक है। केवल बालिका दिवस व महिला दिवस मनाने से कन्या भ्रूण हत्या समाप्त नहीं होगी। इसके लिए हम सबको मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे। जिस दिन हम अपनी बेटियों को बेटों के बराबर समझने लगेंगे, उस दिन कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण रूप से अंकुश लग जाएगा। कन्या भ्रूण हत्या एक कानूनी अपराध होने के साथ-साथ सामाजिक अपराध भी है।

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