प्रदेश भर में जिला स्तर पर ट्रांसपोर्ट वर्करों ने प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा

चंडीगढ़, 5 फरवरी। हिट एंड रन कानून के खिलाफ आज प्रदेश भर में दी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन हरियाणा के आह्वान पर टैक्सी , जीप कार , केंटर आदि सैंकड़ों चालकों व वर्करों ने प्रदर्शन किया व उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। आल इंडिया रोड़ ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं दी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के राज्य प्रधान सरबत सिंह पूनिया व राज्य महासचिव सतीश सेठी ने कहा भारतीय न्याय संहिता-2023 की धारा (1) व (2) में प्रावधान सजा व जुर्माने के खिलाफ सभी प्रकार के वाहन चालकों में गम्भीर अशांति व दहशत बनी हुई है। इस हिट एंड रन कानून के विरोधस्वरूप नववर्ष 2024 में देश व प्रदेश भर के सभी वाहन चालक 1 जनवरी से 3 जनवरी तक हड़ताल पर चले गए। 2 जनवरी की रात को गृह विभाग के सचिव ने ट्रांसपोर्टर्स के संगठन (एआईएमटीसी) से बात कर आश्वासन दिया कि सरकार 10 साल की सज़ा व 7 लाख रुपए जुर्माने के प्रावधानों को लागू करने से पहले उनके साथ चर्चा करेगी। इसके बाद भी ड्राइवरो व वाहन चालकों में अशांति बनी हुई है।

उन्होंने कहा वाहन चालक दुर्घटनाओं को लेकर काफी चिन्तित रहते है। वह वाहन चलाने से पहले अपने इष्ट देव से प्रार्थना करते है कि कोई दुर्घटना न हो और वह सुरक्षित अपने घर लौट आएं। ड्राईवर दुर्घटनाओं को टालने का सर्वोत्तम प्रयास करते है। देश व प्रदेश में अधिकतर दुर्घटनाओं के लिए सड़़कों की स्थिति, सड़कों के पृथक्करण की कमी, मौसम की स्थिति समेत कई अन्य कारक मुख्य जिम्मेवार होते है। यही नही नेशनल परमिट वाहनों में डबल ड्राइवर्स का प्रावधान हटा दिया गया है। काम के कोई घण्टे निश्चित नही है। मार्ग में चालकों के आराम व भोजन इत्यादि की कोई सुविधा उपलब्ध नही करवाई जाती। सभी भौतिक तथ्यों को दरकिनार करते हुए, विडंबना यह है कि दुर्घटना के मामलों में ड्राइवरों को ही बलि का बकरा बनाया जाता है।

उन्होंने कहा अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण बिंदु की और ध्यान दिलाना चाहते है कि घटना के तथ्यों की विशेषज्ञों द्वारा जांच किए बिना ही पुलिस अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर ड्राइवरों के खिलाफ एकतरफा मामले दर्ज किए जाते है। इसलिए अमेरिका व ब्रिटेन देशों की तर्ज पर पुलिस के साथ तकनीकी विशेषज्ञों की टीम का गठन किया जाना अति आवश्यक है।
दुर्घटनाओं के समय स्थानीय लोग क्रोधित होते है। मौका पर ड्राईवर के साथ मारपीट करते है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए कुछ मामलों में ड्राईवर मौका से भाग जाते है। यह किसी गलत इरादे से नही होता है। इसे सरकार द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 134 में मान्यता दी गई है। इसलिए इसे गम्भीर कदाचार नही माना जा सकता है।

यह जमीनी हकीकत है कि कई मामलों में चालकों के साथ दुर्व्यवहार व बेरहमी से मारपीट की जाती है। पुलिस व परिवहन विभाग के अधिकारी अपमानित करते है और चालको को अपना गुलाम समझते है। इसके चलते ड्राइवरों के मन में अपने कुशल पेशे के प्रति कोई सम्मान नही है। इस माहौल को तुरन्त बदलना होगा क्योंकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 85% यात्रियों और 66% माल को परिवहन अकेले सड़क परिवहन द्वारा ही किया जा रहा है।

इसके इलावा सड़क परिवहन मजदूरों (ड्राइवर-क्लीनर इत्यादि) विशेषकर असंगठित सड़क परिवहन मजदूरो की सेवा शर्तों, कामकाजी परिस्थितियों, वेतन, सामाजिक सुरक्षा व अन्य वैधानिक हितलाभों की गारंटी दी जानी चाहिए। ऐसा करके ही ड्राइवरो के बीच आत्मविश्वास पैदा किया जा सकता है। इन आवश्यक कार्य को किए बिना केवल ड्राइवरों को दोष देने व दंडित करने से परिणाम निकलने वाले नही है। भारी दंड और जुर्माने से लोग ड्राईवर के रूप में काम करने से पीछे हटेंगे। भारत मे पहले ही कमर्शियल चालकों की 30% कमी है। इसलिए सरकार का यह नियम सड़क परिवहन क्षेत्र को और बर्बाद कर देगा।

उन्होंने कहा आल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर दी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन हरियाणा (सीटू) द्वारा प्रदेश के जिलों में ड्राइवर्स के संयुक्त हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन उपायुक्त के माध्यम से 5 फरवरी को राष्ट्रपति को प्रेषित कर मांग की गई भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 106(1) व (2) को संसद के बजट सत्र में वापिस लेकर 2 जनवरी 2024 को गृह मंत्रालय के सचिव द्वारा दिए गए आश्वासन का सम्मान करें। इसके अलावा केंद्र सरकार सड़क परिवहन क्षेत्र में कार्यरत सभी ट्रांसपोर्ट फेडरेशनों के साथ बैठक कर ड्राइवर्स व वाहन चालकों की मांगों को पूरा करें। उन्होंने कहा सरकार अगर हिट एंड रन कानून को बजट सत्र में वापस नहीं लेगी तो देश की ट्रांसपोर्ट फेडरेशनों व ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर सभी वाहनों के चालक 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल व बंद में भाग लेकर चक्का जाम करेंगे। हिट एंड रन कानून को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदेश के हजारों चालक हस्ताक्षर अभियान में भाग ले चुके हैं।

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