गुडग़ांव, 28 जनवरी (अशोक): उपभोक्ता द्वारा अपने बिजली कनेक्शन से बिजली चोरी कर एक ढाबे को बिजली देने के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज हर्ष कुमार की अदालत ने इस मामले को गलत पाते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि को उसके आगामी बिजली बिलों में समायोजित कर दिया जाए।

अदालत ने उपभोक्ता को जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं दिया है, जिसके लिए उपभोक्ता इस अदालत के आदेश को उच्च अदालत में अपील करेगा। जिले के गांव नाहरपुर रुपा के उपभोक्ता केबी जैन के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 की एक अगस्त को उपभोक्ता के बिजली कनेक्शन की जांच बिजली निगम के कर्मचारियों ने की थी और उन पर आरोप लगाए थे कि वह बिजली की चोरी कर नजदीक ही एक ढाबे को बिजली दे रहा था और उस पर 5 लाख 22 हजार 137 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था।

अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता ने बिजली निगम की जांच टीम को बहुत समझाया कि उसका ढाबे से कोई लेना-देना नहीं है और वह बिजली की कोई चोरी नहीं कर रहा है और न ही ढाबे को बिजली दे रहा है, लेकिन बिजली बिजली निगम की जांच टीम ने कुछ नहीं सुना और उसका बिजली का कनेक्शन भी काट दिया था। उपभोक्ता द्वारा 7 सितम्बर 2020 को बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया। तत्कालीन अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए 11 सितम्बर 2020 को उपभोक्ता को आदेश दिया कि वह 2 लाख 93 हजार 569 रुपए जुर्माना राशि बिजली निगम में जमा कर दे और बिजली निगम को आदेश दिए थे कि वह उपभोक्ता का बिजली का कनेक्शन जोड़ दे। उपभोक्ता ने अदालत के आदेश का पालन करते हुए उक्त जुर्माना राशि बिजली निगम में जमा कर दी थी। अब सिविल जज की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए बिजली चोरी का मामला गलत पाया और बिजली निगम को आदेश दिए कि जमा कराई गई जुर्माना राशि उपभोक्ता के आने वाले बिजली के बिलों में समायोजित कर दी जाए।

अधिवक्ता का कहना है कि अदालत ने जमा कराई गई जुर्माना राशि पर उपभोक्ता को कोई ब्याज नहीं दिया है। इसलिए उपभोक्ता ब्याज के लिए इस अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेगा।

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