कमलेश भारतीय फिर एक नया दिन, फिर एक न एक पुरानी याद ! पंजाब विश्विद्यालय की कवरेज के दिनों एक बार छात्रायें अपनी हाॅस्टल की वार्डन के खिलाफ कुलपति कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गयीं । कड़ाके की सर्दी में रजाइयां ओढ़े धरना जारी रखा । मैं लगातार कवरेज करता गया । आखिरकार छात्राओं की जीत हुई और वार्डन को बदल दिया गया । छात्राओं की नेता का नाम था अनिता डागर और बरसों बाद हिसार में जब फतेह सिंह डागर उपायुक्त बने तब ध्यान आया अनिता डागर का । वह बताती थी कि भिवानी की रहने वाली हूं और डागर भी । बस, मन में आया कि हो न हो , उपायुक्त डागर का कोई कनेक्शन हो अनिता के साथ ! मैंने आखिर पूछ ही लिया ! श्री डागर बहुत हंसे और बोले कि अनिता मेरी ही बेटी है और आजकल मुम्बई रहती है और यही नहीं एक एन जी ओ चलाती है ! कमाल ! अनिता! कभी अपने पापा की ऊंची पोस्ट का जिक्र नहीं किया और भिड़ गयी कुलपति से ! जब वार्डन की ट्रांसफर दूसरे हाॅस्टल में हुई तब मुझे संपादक विजय सहगल ने बताया कि तुम जिसके खिलाफ धरने की कवरेज कर रहे थे, वह कोई और नही बल्कि ‘पंजाब केसरी’ के संपादक विजय चोपड़ा की बहन है ! आज ही विजय जी का फोन आया कि तुम्हारे रिपोर्टर ने छात्राओं के धरने की कवरेज कर हमारी बहन की ट्रांसफर करवा दी ! खैर ! जब फतेह सिंह डागर के यहां कोई मांगलिक कार्य था, तब उन्होंने मुझे भिवानी बुलाया तब मैंने पूछा कि अनिता आयेगी ? वे बोले कि भाई की शादी में बहन क्यों नही आयेगी ? इस तरह काफी सालों बाद उस ‘धाकड़ छोरी’ अनिता से मुलाकात हो पाई और उसी दिन उसकी इंटरव्यू नभ छोर में दी । मुझे राकेश मलिक लेकर गये थे , जो बीएसएनएल में एस डी ओ हैं ! अनिता से मैंने पूछा कि क्या अब भी लीडरी करती हो? वह हंसी और बोली कि अब लीडरी नहीं बल्कि समाजसेवा करती हूँ, मुम्बई में एनजीओ चला कर ! देखिए, कैसे पंजाब विश्वविद्यालय का कनेक्शन कहाँ हिसार व भिवानी से जुड़ता चला गया !ऐसा ही मज़ेदार कनेक्शन जुड़ा हरियाणा में कांग्रेस की बड़ी नेत्री सैलजा से, जिसे हरियाणा में ‘बहन जी’ के रूप में जाना जाता है । मुझे पजाब विश्वविद्यालय की कवरेज करते कुछ ही समय हुआ था कि केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुश्री सैलजा का सम्मान डी एस डब्ल्यू डाॅ अनिरूद्ध जोशी ने विश्विद्यालय की ओर से रखा ! वीआईपी गेस्ट हाउस के पास के मैदान में ! उन्होंने बताया कि सैलजा एम ए अंग्रेज़ी के प्रथम वर्ष की छात्रा रही लेकिन एम ए पूरी न कर सकी क्योंकि उनके पिता व कांग्रेस नेता चौ दलबीर सिंह का निधन हो गया और उन्हें पिता की राजनीतिक जिम्मेदारी व विरासत संभालनी पड़ी । हमें यह खुशी है कि हमारी छात्रा अपने शिक्षकों से भी ऊपर पहुंच गयी है । यही शिक्षक की सबसे बड़ी खुशी होती है कि उसके छात्र उससे ऊंचे उठें ! सच, आज तक याद रही यह बात ! फिर सैलजा आईं मंच पर और कहा कि वे हाॅस्टल में रहती थीं ऊपर की मंजिल पर और आज तक याद है कि कैसे किसी परिवारजन के मिलने आने पर महिला सेवादार ऊंची आवाज़ लगातीं कि हिसार वाली सैलजा नीचे आ जाओ, घर से मिलने आए हैं, जैसे कोर्ट में आवाज़ लगती है कि जल्दी पेश हो जाओ ! उन दिनों मुझे पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड मेरे बकाया पैसे नहीं दे रहा था ! मैं खटकड़ कलां के गवर्नमेंट आदर्श सीनियर स्कूल के प्रिंसिपल के पद से रिजाइन देकर ‘दैनिक ट्रिब्यून’ में आया था । मैंने समारोह में बैठे बैठे ही सैलजा के नाम एप्लिकेशन लिख ली और जैसे ही हमें इंटरव्यू के लिए इनके पास बुलाया तो बातचीत के बाद मैंने अपनी अर्ज़ी भी सौ़ंप दी ! करिश्मा देखिये ! कुछ दिन बाद पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड के अकाउंट विभाग से दफ्तर में फोन आया कि आपने तो हमारी शिकायत केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सैलजा से कर दी , अब आप आकर अपनी बकाया राशि का चैक ले जाओ ! इस तरह यह मेरी सैलजा से पहली मुलाकात थी और मैंने कभी सोचा भी न था, कि कभी हरियाणा के हिसार में मैं रिपोर्टर बन कर आऊंगा और मुझे किराये का मकान बिल्कुल सुश्री सैलजा के पड़ोस में मिलेगा ! बाद में वही मकान मैंने खरीद लिया और इस तरह सुश्री सैलजा का पक्का पड़ोसी बन गया ! अब जो कोई मुझ से मेरे घर का पता पूछता है तो मैं बताता हूँ कि सैलजा का घर देखा है? बस, वहीं आकर मुझे फोन कर देना, मैं वहीं लेने आ जाऊंगा!आज यहीं विराम, कल फिर सुनाऊंगा यादें! 9416047075 Post navigation मोक्षाश्रम यहाँ दुखों की पोटलियां सुखों में बदल जाती हैं ….. क्या “विदेश में सपने देखने का पासपोर्ट” नए क्षितिज खोज पायेगा?