कमलेश भारतीय हरियाणा के स्थानीय निकाय मंत्री की ससुराल इंदौर है और वे हिसार को आपनी ससुराल जैसा खूबसूरत बनाने की बात करते रहे । आज फिर समाचार आया कि इदौर स्वच्छता में देश भर में प्रथम रहा है तो डॉ कमल गुप्ता से सवाल किया कि हिसार को स्वच्छ बनाने का आपका दावा कितना पूरा हो पाया?? हालांकि डाॅ कमल गुप्ता कार्यकर्त्ताओं से घिरे लोक निर्माण विश्रामगृह में बैठे थे, फिर भी समय निकाला और मेरे सवालों का जवाब देते कहा कि देखिये, मैं मानता हूँ कि मैं अपना सपना पूरा नहीं कर पाया लेकिन इसकी कोशिश बहुत की सफाई के लिए ढंढूर वासियों ने कूड़ा कचरा वहां डालने का विरोध किया और फिर हमने कोशिश की कि इसकी व्यवस्था हांसी के निकट कर दें लेकिन यह ज्यादा सूटेबल नहीं थी । फिर हम आज़ाद नगर की ओर गये, वहाँ भी विरोध का सामना करना पड़ा । अब आप ही बताइये कि यदि कचरा डालने की जगह ही नहीं मिलेगी तो सफाई का दावा कैसे कर सकते हैं? अब हमने लुबास विश्वविद्यालय के पास 55 एकड़ ज़मीन का प्रोजेक्ट भेज रखा है, यदि यह मंजूर हो जाता है तो सफाई व्यवस्था ठीक हो जायेगी। आप नगर में निराश्रित पशुओं को पकड़ने के अभियान में कितने सफल रहे? यहाँ भी स्वीकार करता हूँ कि उतनी सफलता नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी। फिर भी हमने ढंढूर में गौअरण्य बनवाया, जिसमें छह हज़ार गाय रखने की व्यवस्था की गयी है। आप ही सोचिए यदि ये छह हज़ार गाय भी सड़क पर होतीं तो सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाता! अगला सवाल एयरपोर्ट को लेकर है। क्या यह आपको आने वाले चुनाव मे स्पोर्ट करेगा या तलवंडी राणा के लम्बा धरने का विरोध बाधा बनेगा? कमलेश जी, हमें इसकी स्पोर्ट मिलेगी क्योंकि पिछले पचहतर सालों में हरियाणा में एक भी एयरपोर्ट नही हैं । अभी इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। आजकल दृश्यता के कारण उड़ानें बंद है। इसमें हवाई यात्रियों के बैठने की क्षमता भी तीस से बढ़ाकर एक सौ तीस कर दी गयी है! मेयर गौतम सरदाना की मेयर की अवधि समाप्त हो गयी है। कैसा रहा उनका कार्यकाल? बहुत बढिया रहा और हमने मिलकर शहर के लिए काम किया! एक आखिरी सवाल। हिसार दूरदर्शन बंद हो गया । आपके सहित सभी मंत्रियों को थ्यान आकर्षित करने के लिए ज्ञापन सौंपे गये। फिर से यह बंद क्यों कर दिया? यह केंद्र सरकार का फैसला है। हमने पूरी कोशिश की थी। Post navigation संघ विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी के नाम पर स्थापित करेगा चेयर पीठ गुजविप्रौवि : कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई। मेरी यादों में जालंधर- भाग ग्यारह ……. अश्क और मोहन राकेश के ठहाके….कुछ कदम आगे, कुछ कदम पीछे