राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह दौरान गृभगृह में संघी नेताओं की बजाय हिन्दू धर्म के बड़े धर्माचार्य को गृभगृह में प्रवेश से वंचित क्यों रखा? विद्रोही

क्या भगवान राम पर भाजपा-संघ का पेटेंट है और जिन्हे वे राम भक्त होने को प्रमाण पत्र दे, वही राम भक्त होगा? विद्रोही

8 जनवरी 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-संघ 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का राजनीतिकरण करके एक तरह से भगवान राम का अपमान कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के निर्माण व प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर मोदी-भाजपा-संघ द्वारा कब्जा करके इस कार्यक्रम के माध्यम से लोकसभा चुनाव 2024 में लोगों को भावनात्मक रूप से शोषण करके वोट हडपने का औजार बनाना खुद बताता है कि भाजपाई-संघीयों की भगवान राम में श्रृद्धा होने की बजाय उनकी आस्था भगवान राम के नाम पर वोट हडपने सत्ता पाने व भगवान राम के नाम से इक्कठा किये जा रहे अरबो-खरबो रूपये के चंदे को हडपकर उस पैसे का चुनाव में प्रयोग करने मात्र की है। मोदी-भाजपा-संघ के इस कुकृत्य को समझकर हिन्दू धर्म के सबसे बड़े धर्माचार्यो चारों पीठों के शंकराचार्यो ने सार्वजनिक रूप से राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है। 

विद्रोहीे ने सवाल किया कि जब हिन्दू धर्म केे सबसे बड़ेे धर्माचार्य शंकराचार्य ही इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नही हो रहे, तब यह बताना भी बेमानी है कि यह अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को वोट बैक की औच्छी गंदी राजनीति के लिए मोदी-भाजपा-संघ ने विशुद्ध रूप से राजनीतिक नौटंकी में बदल दिया है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह मेें जो पांच व्यक्ति 22 जनवरी को राम मंदिर के गृभगृह में रहेंगे, वे सभी कट्टर संघी है। क्या भगवान राम केवल संघीयों के ही है? वहीं यह सवाल तो पूछा ही जायेगा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह दौरान गृभगृह में संघी नेताओं की बजाय हिन्दू धर्म के बड़े धर्माचार्य को गृभगृह में प्रवेश से वंचित क्यों रखा? एक विशुद्ध धार्मिक आयोजन के कर्ताधर्ता भाजपा-संघ नेता रहे और धर्माचार्य ताली बजाने वाले दर्शक, यह तो सनातन हिन्दू धर्म की मान्यताओं का निर्लज उल्लघंन व अपमान है।  

विद्रोही ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया था, तब देश के सभी धर्मो, वर्गो, पक्षों, राजनेताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया था, तब आज अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पूर्व वोट बैंक की औच्छी गंदी राजनीति के लिए भाजपा-संघ सत्ता बल पर कांग्रेस व विपक्ष को राम विरोधी प्रचारित करके दुष्प्रचार क्यों कर रहे है? क्या भगवान राम पर भाजपा-संघ का पेटेंट है और जिन्हे वे राम भक्त होने को प्रमाण पत्र दे, वही राम भक्त होगा? क्या भाजपा-संध नेता भगवान राम से भी बड़े हो गए? क्या हिन्दू धर्म भाजपा-संघ की बपौती है? विद्रोही ने आमजनों से अपील कीे कि वे इन ज्वलंत प्रश्नों पर ईमानदारी व गंभीरता से चिंतन-ममन करे व भगवान राम नाम के नाम पर भाजपा की औच्छी गंदी राजनीति के जाल में फंसकर अपने पैरों पर खुद कुल्हाडी न मारे। 

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