*अधिकांश पत्रकार सरकार से सवाल करना अर्थात अपना नैतिक कर्तव्य तक भूल गए,

*आज खुद घुटनों लगते देखे गए पत्रकार जो सत्ताओं को घुटनों पर लाया करते थे,

*मीडिया पर बंदिशें देश के चौथे स्तंभ और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रहार करना है,

गुरुग्राम 2 जनवरी 2024 – माईकल सैनी आम आदमी पार्टी जिला मीडिया प्रभारी ने कहा कि आज स्तिथि यह है कि अखबारों के पाठक सच्ची खबरों से महरूम हो गए हैं उनतक जरूरी सूचनाएं तक नहीं पहुंच पा रही यहाँ तक कि जनता के सरोकार से जुड़ी खबरों का भी अकाल सा महसूस करते है क्योंकि अखबारों में प्रकाशित खबरों का सार एक समान ही लगने लगा है, खोजी पत्रकारिता के माहिर पत्रकार नामालूम कहाँ विलुप्त हो गए हैं और विज्ञापन लेकर खबरें छापने वाले तथाकथित पत्तलकारों की भरमार नजर आती है भले ही उन्हें पत्रकारिता का अ-हलफ नहीं ज्ञात हो !

माईकल सैनी ने बताया कि निर्भीक पत्रकार निष्पक्षता से सत्ताधारी दल से सवाल कर ख़बरों की तह तक जाना भूल चुके हैं अगर वह खबरों की समीक्षा कर अपनी लेखनी लिखते तो उसका असर यकीनन सत्ता के अहंकार में चूर नेताओं पर जरूर नजर आता और आज जिस भय से मीडियाकर्मि भयभीत नजर आ रहे हैं उस भय से भयभीत सरकार में बैठे लोगों दिखाई पड़ते मगर ना-मालूम जिन्होंने पत्रकारिता को निम्नस्तरीय बना दिया है वह कोनसा निजीहित साधने के लिए मौन साधे हुए हैं ?
माईकल सैनी ने कहा कि मौजूदा खट्टर सरकार से उसकी नीतियां, घोषित योजनाओं के बजट की व्यवस्था और पहले से लाखों करोड़ के कर्ज में डूबे प्रदेश को उभारने की की नीतियों तथा प्रदेश में कितने प्रतिशत लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचा और कितने प्रतिशत लोग अभी वंचित (शेष) रह गए बारे मीडिया को सवाल पूछने चाहिए थे !

मीडिया को सवाल करना चाहिए कि कितने पूंजीपति मित्र बैंकों से ऋण लेकर भाग गए और उनका कितना लोन राइट-ऑफ किया सरकार ने तथा कबतल्क ऋण वसूली की योजना है और साथ ही यह भी पूछे कि खट्टर सरकार ने भाजपा के निजी प्रचार पर प्रदेश वासियों का कितना धन खर्च किया और आस्था के नाम पर कितना सरकारी खजाना लुटाया गया तथा हरियाणा के सरकारी विभाग को भीतरी मजबूती के लिए कौनसी योजना अमल में लायी गई यदि नहीं तो क्यों नहीं ?

सत्ता से सवाल किसानो की फसल, युवाओं की बेरोजगारी, महंगाई, महिला सुरक्षा, शिक्षा, चिकित्सा की बिगड़ती स्तिथियों पर सवाल करके जनता तक खबरें पहुंचाना चाहिए, सच्ची खबरें छापने के लिए छप्पन इंची सीना नहीं केवल थोड़ी सी हिम्मत चाहिए होती है क्या वह भी शेष नहीं ?

माईकल सैनी ने कहा जिस-दिन मीडिया सवाल पूछने की हिम्मत जुटा लेगी यकीन मानिए उसी दिन भाजपा की मौजूदा सरकार ताश के पत्तों की तरह ढहना शुरू हो जाएगी , पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों को याद रखना चाहिए कि उनका कर्तव्य सत्ता से सवाल कर लोगों तक जानकारी पहुंचाना होता है न कि वह सूचना लोगों को देना जिसे सत्ताधारी दल देना चाहता है !

स्मर्ण रहे एक डरा हुआ पत्रकार लोगों को गुमराह करने के साथ एक नपुंसक पीढ़ी का भी निर्माण करता है और यह सरासर लोगों के विश्वास के साथ खिलवाड़ है धोखा है, आजकल के पत्रकारों को उन निर्भीक स्वतंत्र पत्रकारों से प्रेरणा लेनी चाहिए जो सत्ताओं के सामने झुकने के बजाय उन्हें अपने सामने झुकाने का मादा रखते थे ।

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