कहा-भ्रष्टाचार बढ़ने से सरकारी खजाना हो रहा है खालीअधिकारियों को लीव पर भेजना कोई सजा नहीं, सख्त कार्रवाई हो

चंडीगढ़, 30 दिसंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री मनोहर लाल दिखा रहे है कि उन्होंने प्रदेश में बहुत काम किया है जबकि प्रदेश में कही पर कोई काम दिखाई नहीं दे रहा है, सीएम अपनी ही घोषणाओं पर अमल तक नहीं करवा पा रहे है, कोई भी काम समय पर नहीं हो रहा, इन हालातों में प्रदेश में केवल और केवल भ्रष्टाचार ही बढ़ रहा है जिसने सरकारी खजाने को खाली करके रख दिया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को लीव पर भेजना कोई सजा नहीं अगर अधिकारी ने लापरवाही है तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए पर इस सरकार के कार्यकाल में ब्यूरोक्रेसी पूरी तरह से हावी है जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि  भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार हर क्षेत्र में विफल रही है, उसकी हर नीति से जनता परेशान रही है, अब चुनाव का समय समीप आने पर अब दिखावा कर रहे है कि उन्होंने प्रदेश में बहुत काम किया है, जबकि धरातल पर कुछ भी नहीं है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपनी की गई घोषणाओं को भी अमलीजामा तक नहीं पहना पाए है। पिछले दो साल में उन्होंने 1770 घोषणाएं की जिनमें से मात्र 262 ही पूरी हुई है, 355 ऐसी घोषणाएं है जिन पर काम ही शुरू नहीं हुआ है। इस सरकार के कार्यकाल में एक से बढक़र एक बड़ा घोटाला हुआ, सरकार ने हर बार कहा कि जांच करवाकर दोषी पर कार्रवाई करेंगे पर कोई जांच शुरू नहीं हुई अगर जांच होती तो अपनो के ही हाथ काले मिलते। विधानसभा सत्र में सरकार ने माना ही भ्रष्टाचार के 721 मामले सामने आए है। उन्होंने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भ्रष्टाचार को लेकर हंगामा रहा, फरीदाबाद नगर निगम को 200 करोड़ का, गुरूग्राम नगर निगम का 180 करोड़ का भिवानी नगर परिषद में 03 करोड़ 83 लाख रुपये का, अंबाला नगर निगम में  05 करोड़ रुपये का और यहीं पर स्टेडियम निर्माण में 86 करोड़ का, पंचकूला नगर निगम में करोडों रुपये के घोटाले का मुद्दा उठा पर सरकार खुद को बचाने में लगी रही। उन्होंने कहा कि इन घोटालों की जांच करवाकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल जब भी किसी कार्यक्रम में जाते है या जनसंवाद करते है तो जनता सरकार द्वारा करवाए गए कार्य के बारे में जानकारी मांगी जाती है इस पर सीएम अधिकारियों से जवाब तलब करते है, अधिकारियों ने कुछ किया हो तो वे सीएम को बताए। ऐसे में सीएम जनता के समक्ष मौन रह जाते है। सीएम अधिकारियों को लीव पर भेज देते हैं। फरीदाबाद में जवाब न मिलने पर एक्सईएन के खिलाफ जांच के आदेश दिए तो रेवाड़ी के संपदा अधिकारी को निलंबित करने के, इसके बाद राज्य स्तरीय दिशा समिति की बैठक में भी सीएम ने दो अधिकारियों को पांच दिन की कंपलसरी लीव पर भेजने और दो को बैठक से बाहर कर दिया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को लीव पर भेजना या उन्हें बैठक से बाहर निकालना कोई सजा नहीं है अगर किसी ने गलती की है, लापरवाही की है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि दूसरे अधिकारी इससे सबक ले सके। सच तो ये है कि सरकार ने घोषणाएं की है पर उसका कोई काम दिख नहीं रहा है, यही कारण है कि सरकार को जुमलों की सरकार और सीएम को घोषणा सीएम कहा जाने लगा है। सच तो ये है कि ये सरकार जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में विफल रही है, इस सरकार ने प्रदेश के सभी वर्ग के लोग परेशान है, जनता इस गठबंधन सरकार से छुटकारा पाना चाहती है।

error: Content is protected !!