फसल का पंजीकरण करो तो एक ही संदेश आता है-एरर…….

हेल्प लाइन नंबर मिलाओ तो जवाब मिलता है इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं

सरकार ने गेहूं फसल पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 दिसंबर की निर्धारित, कैसे होगा पंजीकरण

चंडीगढ़, 28 दिसंबर।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदेश की जनता के साथ पोर्टल-पोर्टल खेल रही है, इस खेल का कोई रेफरी नहीं है जिसके चलते हर व्यक्ति खासकर किसान इसे लेकर परेशान है, क्योंकि सरकार ने किसान को पोर्टल में ऐसा बांध दिया है कि वह थक हारकर बैठ जाता है और उसे उसकी फसलों का समर्थन मूल्य कभी नहीं मिल पाता। मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल किसानों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। सरकार ने गेहूं फसल पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 दिसंबर निर्धारित की है जबकि पोर्टल दम तोड़ चुका है, पंजीकरण करते हुए जवाब आता है एरर, हेल्पलाइन नंबर मिलाओ को पता चलता है कि इस मार्ग की सभी लाइने व्यस्त है। सरकार को इस दिशा में कदम उठाते हुए पंजीकरण की तिथि को बढ़ाया जाए और पोर्टल को सुचारू रूप से चलाया जाए।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 25 दिसंबर 2018 को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल लांच किया था जिससे मनोहर सरकार ने अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में गिनाया था। सरकार ने दावा किया था कि इसका उद्देश्य किसानों से फसल की पूरी जानकारी लेकर मंडी में फसल बेचने में आ रही किसानों को दिक्कतों को दूर करना व फसलों की सुचारु रूप से खरीद करने में मदद करना था। सरकार इस पोर्टल को लांच करके भूल गई कि किसानों को कैसी कैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है आज मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल ही किसानों के लिए जी का जंजाल बन गया है। सरकार ने किसानों को कभी नहीं बताया कि पोर्टल को किस-किस फसल के लिए कब-कब खोला जाता है, कब बंद किया जाता है, इसकी समय सारणी व तालिका क्या है? पोर्टल कृषि विभाग की अमानत बनाकर रख दिया है जब उसकी मन आता है खोला जाता है और जब मन करता है तो बंद कर दिया जाता है। यानि कोई समय सारणी व तालिका नहीं है। इस पोर्टल की सबसे बड़ी खामी ये है कि यदि अकुशल किसान किसी भी कारण से पोर्टल पर अपनी फसल का ब्योरा दर्ज नहीं करवा पाया तो वह अपनी फसल मंडी में बेच नहीं सकता।

उन्होंने कहा कि इस पोर्टल पर गेहूं की फसल के पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 दिसंबर निर्धारित की गई है पर पोर्टल किसानों का साथ ही नहीं दे रहा है जिसके चलते गेहूं की फसल का पंजीकरण नहीं हो पा रहा। अगर पंजीकरण न हुआ तो किसान मंडी में अपनी फसल नहीं बेच सकता और प्राइवेट एजेंसी एमएसपी पर गेहूं की खरीद करेगी नहीं ऐसे में किसान को आर्थिक नुकसान होगा और इस नुकसान के लिए सरकार सीधे सीधे जिम्मेदार होगी क्योंकि ये सब उसके इशारे पर ही किया जा रहा है, सरकार किसान की फसल को एमएसपी पर खरीदना ही नहीं चाहती। फसल मंडी में पड़ी रहती है और सरकार फसल की सरकारी खरीद ही बंद कर देती है। उन्होंने कहा कि किसान फसल पंजीकरण के लिए जैसे ही पोर्टल पर जाता है और पंजीकरण करता है तो रिपोर्ट एरर ओके होती है। हालात ये है कि पोर्टल दिन में एक या दो घंटे ही चलता है उस पर सर्वर स्लो होता है ऐसे में किसान कुछ नहीं कर पाता दूसरे किसान जब हेल्पलाइन पर जाता है तो फोन मिलाते ही एक ही संदेश आता है कि इस मार्ग की  सभी लाइने व्यस्त है ऐसे में किसान कहां जाए। उन्होंने कहा है कि अब मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर परिवार पहचान पत्र जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है, एक पीपीपी पर परिवार के कई सदस्य है और सबकी अपनी अलग अलग जमीन है तो एक पीपीपी से एक ही व्यक्ति का नाम जुड़ेगा अन्य का नहीं है तो ऐसे में किसान सिर पकड़ कर बैठ जाता है।  उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता खासकर किसान बहुत परेशान हो चुका है, इस बार उसने सरकार को सबक सिखाने का मन बना लिया है।

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