WHO ने जेएन.1 के तेजी से वैश्विक प्रसार के बाद इसे निगरानी में रखे जाने वाले स्वरूप के रूप में वर्गीकृत किया है. हाल के सप्ताहों में, जेएन.1 के मामले कई देशों में सामने आए हैं और इसका प्रसार विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है. Cartoon mascot logo and symbol of Corona virus दिल्ली – देश में कोरोना के मामलों में एक बार फिर इजाफा हो रहा है. एक वक्त जब कोरोना के मामले बेहद कम हो गए थे तो हर किसी ने राहत की सांस ली थी. हालांकि कोरोना के नए वेरिएंट के आने के साथ ही कोविड-19 के केसेज में इजाफा देखने को मिल रहा है, जिसने केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक की चिंताओं को बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में देश में कोविड-19 के कुल 656 मामले सामने आए हैं. साथ ही इस दौरान एक शख्स की मौत भी हो गई. उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड के नए वेरिएंट जेएन.1 तथा इन्फ्लूएंजा सहित श्वसन रोगों के बढ़ते मामलों को देखते हुए निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने का आग्रह किया है. साथ ही देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या आज 3742 दर्ज की गई है. इनमें सर्वाधिक योगदान केरल का है. केरल में बीते 24 घंटे में 128 नए मामले सामने आए हैं. इसके बाद राज्य में कोरोना के एक्टिव मामलों की कुल संख्या 3000 तक पहुंच गई है. वहीं कर्नाटक में कुल एक्टिव मामले 271 हो गए हैं. यहां पर बीते 24 घंटे के दौरान कोविड संक्रमण के 96 नए मामले सामने आए हैं. वहीं कोरोना मामलों को लेकर तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र है, जहां पर आज 35 नए मामले सामने हैं. इसके साथ ही यहां पर कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 103 हो गई है. एम्स के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोविड का नया सब वेरिएंट गंभीर संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने का कारण नहीं बन रहा है. गुलेरिया ने कहा कि यह अधिक संक्रामक है और तेजी से फैल रहा है. उन्होंने कहा कि यह अधिक संक्रमण का कारण बन रहा है लेकिन डेटा यह भी बताते हैं कि यह गंभीर संक्रमण या अस्पताल में भर्ती होने का कारण नहीं बन रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, सर्दी, गले में खराश, नाक बहना और शरीर में दर्द शामिल है. उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से कोविड-19 और इसके नए उप-स्वरूप जेएन.1 तथा इन्फ्लूएंजा सहित श्वसन रोगों के बढ़ते मामलों को देखते हुए निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने का आग्रह किया है. डब्ल्यूएचओ ने लोगों से भी ऐहतियाती कदम उठाने की अपील की है. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, “कोविड-19 वायरस विश्व स्तर पर सभी देशों में फैलता, परिवर्तित और प्रसारित होता रहता है. वर्तमान साक्ष्य से पता चलता है कि जेएन.1 द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम कम है. इसके विकास के अनुसार हमें अपनी प्रतिक्रिया तय करनी चाहिए और लगातार नजर रखनी चाहिए.” उन्होंने कहा, “इसके लिए देशों को निगरानी और अनुक्रमण को मजबूत करना होगा और आंकड़ों को साझा करना सुनिश्चित करना होगा.” कई देशों में सामने आए हैं जेएन.1 के मामले डब्ल्यूएचओ ने जेएन.1 को इसके तेजी से वैश्विक प्रसार के बाद इसे निगरानी में रखे जाने वाले स्वरूप के रूप में वर्गीकृत किया है. हाल के सप्ताहों में, जेएन.1 के मामले कई देशों में सामने आए हैं और इसका प्रसार विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है. सर्दियों के मौसम में बढ़ सकते हैं मामले सिंह ने कहा, सीमित उपलब्ध साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए जेएन.1 द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को वर्तमान में वैश्विक स्तर पर कम आंका गया है. यह आशंका है कि यह स्वरूप अन्य वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों के बीच कोविड-19 के मामलों में वृद्धि कर सकता है खासकर उन देशों में जहां सर्दियों का मौसम शुरू हो रहा है. डॉ. खेत्रपाल सिंह ने कहा, “चूंकि लोग छुट्टियों के मौसम में यात्रा करते हैं और उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं, घर के अंदर बहुत सारा समय एक साथ बिताते हैं, जहां खराब वायु संचरण (वेंटिलेशन) श्वसन रोगों का कारण बनने वाले वायरस के संचरण की मदद करता है, इसलिए उन्हें सुरक्षात्मक उपाय करने चाहिए और अस्वस्थ होने पर समय पर इलाज कराना चाहिए.” WHO ने दिया टीकाकरण पर दिया जोर क्षेत्रीय निदेशक ने विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा के खिलाफ टीकाकरण के महत्व पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, “डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित सभी कोविड-19 टीके जेएन.1 सहित सभी प्रकारों से होने वाली गंभीर बीमारियों और मौत से रक्षा करते रहेंगे.” इस तरह से जानिए JN.1 वेरिएंट को JN.1 वेरिएंट SARS-CoV-2 का सब-वैरिएंट है. JN.1 वेरिएंट को ओमिक्रॉन फैमिली का माना जाता है और यह बीए.2.86 वर्जन का वंशज है. हालांकि यह पूरी तरह से नया नहीं है. वैश्विक स्तर पर इसका पहला मामला इस साल जनवरी की शुरुआत में सामने आया था. उसके बाद से इसके मामले अमेरिका, कुछ यूरोपीय देशों, सिंगापुर, चीन और अब भारत में देखने को मिल रहे हैं. Post navigation खेल में राजनीति या राजनीति में खेल ? इस दिन होगा राम मंदिर का उद्घाटन, भाजपा ने जब बनाया मुद्दा