जयराम विद्यापीठ में देर रात्रि तक चला भव्य हास्य कवि सम्मेलन, श्रोता हुए हंसी से लोटपोट। जयराम विद्यापीठ में गीता जयंती महोत्सव पर 32 वर्षों से आयोजित हो रहा है हास्य कवि सम्मेलन। हास्य कवियों ने देश की राजनीति के साथ भ्रष्टाचार और मानवीय संबंधों पर किए कठोर कटाक्ष। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र (संजीव कुमारी) 22 दिसम्बर : गीता जयंती महोत्सव के अवसर पिछले 32 वर्षों से हर वर्ष भव्य हास्य कवि सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इस वर्ष भी गीता जयंती 2023 के अवसर पर जयराम विद्यापीठ परिसर में श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं के दिलों को खूब गुदगुदाया। विद्यापीठ में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में पंडाल लोगों से खचाखच भरा रहा। देर रात्रि तक चले हास्य कवि सम्मेलन में देश के कवियों में पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा, डा. सीता सागर, दिनेश बावरा, सुंदर कटारिया तथा अनिल अग्रवंशी ने अपनी काव्य रचनाओं की प्रस्तुति दी। इस मौके पर हास्य कवि सम्मेलन में श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के साथ विद्यापीठ में भागवत कथा कर रहे भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर सहित खचाखच भरे पंडाल में हजारों की संख्या में श्रोता मौजूद थे। हास्य कवियों का विधिवत स्वागत किया गया। हास्य कवि सम्मेलन का मंच संचालन अनिल अग्रवंशी ने किया। हास्य कवि अनिल अग्रवंशी ने तो अपनी रचनाओं में ठेठ हरियाणवी अंदाज में जहां सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों में कटाक्ष किए वहीं गीता की महत्ता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी को हंसाने की कला ही जीवन की वास्तविक कला है। आज जीवन में तनाव तो कहीं से भी ले लो। युवा कवि सुंदर कटारिया ने भी अपनी रचनाओं ने जहां पारिवारिक संबंधों पर व्यंग्य किया वहीं वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की। हरियाणवी संस्कृति पर भावनाओं को व्यक्त किया । महिला कवयित्री डा. सीता सागर ने बहुत ही मार्मिक रचनाएँ प्रस्तुत की। उन्होंने दिल, आत्मा और भगवान से संबंधों को बहुत ही सुंदर अंदाज में प्रस्तुत किया। महिला भावनाओं को रचना में बेहतरीन एवं दिल को छू जाने वाले अंदाज में प्रदर्शित किया। मुंबई से आए दिनेश बावरा ने तो राष्ट्रीयता एवं भारतीय संस्कृति से अपनी रचनाओं की शुरुआत की। मोबाइल से प्रभावित हो रहे जीवन एवं सामाजिक व्यवस्था को खतरे पर चिंता व्यक्त की। विख्यात हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने तो मनुष्य जीवन की आयु से अपनी रचनाओं की शुरुआत की। 90 साल का जीवन जीने से अच्छा है कि 40 साल का सार्थक जीवन जिया जाए। उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में पति पत्नी संबंधों पर भी कई कटाक्ष किए। आज समाज में सकारात्मक जिंदगी की आवश्यकता है। हास्य कवि सम्मेलन में कथावाचक आचार्य श्याम भाई ठाकर ने भी खूब आनंद लिया। इस मौके पर श्रवण गुप्ता, कुलवंत सैनी, राजेंद्र सिंघल, पवन गर्ग, के.के. कौशिक, टेक सिंह, राजेश सिंगला, जयपाल शर्मा, सुनील गौरी, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, राजेश शास्त्री इत्यादि भी मौजूद रहे। Post navigation व्यक्ति, समाज, राष्ट्र व विश्व की समस्याओं का समाधान श्रीमद्भागवद् गीता में समाहित : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोरोना व युद्धों जैसी विभिषिकाओं से दुनिया को बचा सकता है गीता का संदेश: मुख्यमंत्री मनोहर लाल