सरकारी एक्शन पर विपक्ष का रिएक्शन
मुख्यमंत्री न्याय करना चाहते हैं तो अपनी सैलरी, में खुद कटौती लेनी चाहिए – पर्ल चौधरी
शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय के प्रमुख तो माननीय मुख्यमंत्री स्वयं ही है
विभाग के सचिव और विभाग के मंत्री डॉ कमल गुप्ता के वेतन की भी कटौती हो
2 हफ्ते पहले ही गुरुग्राम निगम के कमिश्नर पीसी मीणा ने 52 कमेटिया गठित की थी
औचक निरीक्षण में अंततः गुरुग्राम की लचर पड़ी सफाई व्यवस्था की पोल खुल ही गई
फतह सिंह उजाला
![](https://i0.wp.com/bharatsarathi.com/wp-content/uploads/2023/12/IMG-20230721-WA0288.jpg?resize=640%2C889&ssl=1)
गुरुग्राम 22 दिसंबर । 2 हफ्ते पहले ही गुरुग्राम निगम के कमिश्नर पीसी मीणा ने 52 कमेटिया गठित की थी, ताकि शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त की जाए । अब प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के औचक निरीक्षण में अंततः गुरुग्राम की लचर पड़ी सफाई व्यवस्था की पोल खुल ही गई । मुख्यमंत्री ने सुपरवाइजर से लेकर के विभाग के कमिश्नर जॉइंट कमिश्नर के वेतन कटौती का निर्देश दिया है। जहां सफाई कर्मियों के सुपरवाइजर पर 1000 फील्ड अफसर अजय कुमार पर 1000 एडिशनल सेनेटरी इंस्पेक्टर पर 2000 सीनियर सेनेटरी इंस्पेक्टर पर 3000, जॉइंट कमिश्रर के एक महीने और कमिश्नर के 15 दिन की तनख्वाह को काटने के निर्देश दिए गए ।
सफाई व्यवस्था को लेकर सरकार के इस क्रिया पर रिएक्शन जाहिर करते हुए कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री को सैलरी कटौति में यही नहीं रुकना चाहिए था और हरियाणा प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय-विकास विभाग के सचिव की भी वेतन कटौती करनी चाहिए। विभाग के मंत्री डॉ कमल गुप्ता के वेतन की भी कटौती करनी चाहिए और अगर सही मायने में मुख्यमंत्री न्याय करना चाहते हैं तो उन्हें अपनी सैलरी, भले एक दिन की क्यों ना हो मैं खुद कटौती लेनी चाहिए क्योंकि शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय के प्रमुख तो माननीय मुख्यमंत्री स्वयं है। भाजपा सरकार ने बड़े ही बैंड बाजा से गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम किया था। लेकिन उनके काम करने के तरीके से जनता ने समय-समय पर गुरुग्राम का नाम बदलकर कूड़ा ग्राम कर दिया है ।
महत्वपूर्ण बात कि ऐसी स्थिति आई क्यों
उन्होंने कहा महत्वपूर्ण बात यह है की ऐसी स्थिति आई क्यों ? मात्र 2 महीने पहले 2 अक्टूबर को भाजपा के स्थनीय विधायक और शहरी निकाय गुरुग्राम और मानेसर के अधिकारी विशेष सफाई योजना के पोस्टर छपवा कर हाथ में झाड़ू लेकर के फेसबुक, अन्य सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में विज्ञापन दे रहे थे। उसी समय यह बात उठाई थी की नगर निगम और शहरी विकास विभाग का मुख्य कार्य अपने क्षेत्र में दिन प्रतिदिन सफाई व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना है। इससे बीमारियों पर भी काबू पाया जाता है ।
समस्या की जड़ विभिन्न निगम पार्षद का चुनाव नहीं
पर्ल चौधरी के मुताबिक समस्या की जड़ गुरुग्राम मानेसर सहित प्रदेश के निगमों में पार्षद का चुनाव नहीं करवाया जाना है पिछले दो वर्षों से गुड़गांव निगम में जनप्रतिनिधि का कार्यकाल पूरा हो चुका है मानेसर निगम भी अपने गठन के बाद एक ही चुनाव नहीं हुआ है तो कहीं ना कहीं गुड़गांव शहर में कूड़े की वर्तमान स्थिति के लिए निगम चुनाव के लिए जिम्मेदार अधिकारी भी जिम्मेदार है क्योंकि पार्षदों का मुख्य काम जनता की समस्याओं को दूर करना है लेकिन सरकार अभी तक निगम में डीलिमिटेशन का ही काम कर रही है गुड़गांव व मानेसर दोनों निगमों में डीलिमिटेशन के नाम पर दलित वर्ग के लिए आरक्षण को 20% से कम करने में अधिकारी लगे हुए हैं मानेसर निगम में दलित आरक्षण को 20% से घटाकर 15% कर दिया गया है वही गुड़गांव नगर निगम में दलित आरक्षण को 20% से घटाकर 8.33% करने की कोशिश की जा रही है सरकार की मंशा यह है की गुड़गांव शहर और मानेसर के दलित समुदाय के लोग सिर्फ और सिर्फ शहरों का कूड़ा उठाने के लिए बने हैं निगम सरकार में हिस्सेदारी के लिए नहीं।
सफाई व्यवस्थ दुरुस्ती को कौन सी नई शपथ लेंगे ?
कांग्रेस नेत्री ने कहा गुरुग्राम निगम और मानेसर निगम का यह हाल है कि जब भी एक बारिश होती है, तो पूरा का पूरा गुरुग्राम शहर समुद्र में तब्दील हो जाता है । क्योंकि आज जो कूड़ा जमीन पर दिखाई पड़ रहा है , इसको निगम के पदाधिकारी नालियों में डलवा करके अपनी जिम्मेदारी से निवृत हो लेते हैं । इसलिए मुख्यमंत्री से यह निवेदन है कि शहरी स्थानीय निकाय के सचिव , मंत्री के साथ-साथ स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों के वेतन में भी कटौती करनी चाहिए । अभी 2 दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने भर्तियों में भ्रष्टाचार को हटाने के लिए श्रीमद्भागवत गीता की शपथ बात की थी। अब गुरुग्राम, मानेसर सहित प्रदेश के हर शहर को अपने 2019 के संकल्प पत्र में घोषित सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कौन सी नई शपथ लेंगे ? मुख्यमंत्री अगर बाबा साहब अंबेडकर की अध्यक्षता में रचित संविधान में जो शपथ, उन्होंने विधायक और मुख्यमंत्री बनते समय ली थी । उसी का निर्वहन ठीक से करें तो तो शहर भी साफ रहेगी और और बाबा साहेब अम्बेडकर जी के अनुयायियों के हकों की भी रक्षा हो जाएगी ।