बोहड़ाकला ओआरसी में गीता सम्मेलन के उपलक्ष पर बनाई ऑर्गेनिक 3डी रंगोली 

रथ पर सवार अर्जुन के साथ भगवान श्री कृष्णा की कृति बनी आकर्षण 

यह हर्बल रंगोली बनाने में 6 किलो दाल और 27 घंटे लगे 

फतह सिंह उजाला 

बोहड़ाकला / पटौदी 8 दिसंबर । देखने पर पहली ही नजर में साफ-साफ लगता है कि, सामने किसी पारंगत चित्रकार के द्वारा श्रीमद् भागवत ग्रंथ की कलाकृति बनाई गई है। इसे बनाने में महंगे पेंट या फिर रंगों का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन हकीकत इसके एकदम विपरीत है ।

चलिए इस रहस्य से भी पर्दा उठा देते हैं । पटौदी विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर जो कि उत्तर भारत का सबसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र है । यहां बीके सचिन के द्वारा ऑर्गेनिक कहो या हर्बल कहें, मनोहरी श्रीमद् भागवत गीता की 3डी रंगोली बनाई गई है । यहां ओम शांति रिट्रीट सेंटर परिसर में ही फर्श पर बनाई गई यह आध्यात्मिक और ऐतिहासिक रंगोली यहां आने वाले सभी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है । 

बीके सचिन के मुताबिक ओम शांति रिट्रीट सेंटर में ही तीन दिवसीय गीता सम्मेलन के उपलक्ष पर और वार्षिक दिवस के मौके पर यह आध्यात्मिक और भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए संदेश सहित जीवन की सच्चाई बताने वाली पुस्तक श्री भागवत गीता की रंगोली विशेष रूप से बनाई गई है । उन्होंने बताया इस रंगोली को बनाने में विभिन्न प्रकार और रंगों की 6 किलो दाल का इस्तेमाल हुआ है । बीते काफी लंबे समय से ऑर्गेनिक या फिर हर्बल विभिन्न प्रकार की रंगोलिया ही विभिन्न मौकों पर बनाने का सिलसिला चला आ रहा है । इसी कड़ी में जीवन की सच्चाई को बताने वाले आध्यात्मिक ग्रंथ श्रीमद् भागवत गीता की भी रंगोली बनाई गई । 

बीके सचिन के मुताबिक इस रंगोली का सबसे आकर्षक पहलू यह है कि पुस्तक के कवर की अनुभूति के साथ ही भगवान श्री कृष्णा और अर्जुन को रथ पर सवार दिखाया गया है । इस रंगोली या फिर कलाकृति को बनाने के लिए 3 घंटे पेपर वर्क किया गया और 7 घंटे तक पेंसिल से स्केच तैयार किया गया । इस 3डी हर्बल रंगोली या कलाकृति की ऊंचाई लगभग 10 फिट और इसकी चौड़ाई 6 फिट है । इस रंगोली या कलाकृति को जीवंत स्वरूप प्रदान करने के लिए यहां ओम शांति रिट्रीट सेंटर परिसर में ही रहने वाले भाई बहनों के द्वारा अपना भरपूर सहयोग दिया गया है। इस आध्यात्मिक और प्रेरणा देने वाली 3डी ऑर्गेनिक रंगोली को बनाने या रंग भरने में 17 घंटे से अधिक का समय लगा है । यह जो रंग भरे गए हैं वास्तव में विभिन्न प्रकार की दाल जिसमें  मसूर की दाल, मूंग की दाल, साबुत उड़द, साबूत दाना, प्लेन चावल, सेला चावल, साबुत मूंग, चावल का पाउडर और काली मिर्च पाउडर सहित अन्य खाद्य सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।

उन्होंने बताया इस प्रकार की ऑर्गेनिक या हर्बल रंगोली बनाने में दलों के इस्तेमाल करने का एक ही उद्देश्य और संदेश है, कि प्रकृति के प्रति हम सभी को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पर्यावरण की रक्षा के लिए पहल करनी चाहिए । रंग या पेंट के माध्यम से बनाए जाने वाली पेंटिंग या फिर रंगोली का पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव होता है । दूसरा सबसे बड़ी बात यह है कि एक बार बनाई गई रंगोली में इस्तेमाल हुई दालों को फिर से बनाई जाने वाली ऑर्गेनिक या हर्बल रंगोली में इस्तेमाल किया जाता है । इतना ही नहीं इन खाद्य सामग्री दालों का खाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।

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