पंजाब से कम दाम रखना प्रदेश के किसानों के साथ भद्दा मजाक

 जुमला ही साबित हो रहा किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा

चंडीगढ़, 4 दिसंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि भाजपा द्वारा सत्ता में आने के लिए किसानों से उनकी आमदनी दोगुनी करने का वादा महज जुमला ही साबित हुआ है। गन्ने के दाम के मामले में हरियाणा पड़ोसी राज्य पंजाब से पिछड़ गया है। पंजाब में गन्ने का भाव अधिक होने के कारण हरियाणा का किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि गन्ने के दाम 450 रुपये प्रति क्विंटल कर किसानों को घाटे से बाहर लाने का प्रयास करे।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि लगातार दूसरा साल है, जब हरियाणा के मुकाबले पंजाब ने गन्ने का भाव अधिक तय किया है। अब पंजाब में गन्ने के दाम 391 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जबकि हरियाणा में 386 रुपये हैं। इसी तरह पिछले साल पंजाब में 380 रुपये प्रति क्विंटल दाम थे, लेकिन हरियाणा में 372 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर ही चीनी मिलों ने खरीदा था। जबकि, इससे पहले हरियाणा में गन्ने के दाम देश में सर्वाधिक ही रहते थे। गन्ने की मिठास में कोई कमी नहीं आने के बावजूद प्रदेश में दाम घटना किसी को भी तर्कसंगत नहीं लग रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गन्ने की फसल तैयार करने के लिए लागत में हर साल तेजी से बढ़ोतरी होती है। खाद व कीटनाशक के दाम बेहताशा तेजी आई है। ऐसे में गन्ने की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा न बन जाए, इसलिए दामों में एकमुश्त बड़ी बढ़ोतरी की जरूरत है। साथ ही नारायणगढ़ चीनी मिल की ओर बकाया किसानों की पिछले साल की पेमेंट भी तुरंत दिलाई जानी चाहिए।

कुमारी सैलजा ने कहा कि गन्ने के दाम तय करते समय खोई का भाव और मुद्रास्फीति की दर को ध्यान में नहीं रखा गया। जब खोई ही 400 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक दाम पर बिकती है तो फिर गन्ने का दाम तो इससे अधिक रखा ही जाना चाहिए, जो हर हाल में कम से कम 450 रुपये प्रति क्विंटल करना चाहिए। इससे कम दाम रहने पर पहले ही कर्ज में डूबे किसानों पर आर्थिक चोट पड़ रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने गन्ने की फसल पर प्रति क्विंटल 07 प्रतिशत वजन कटौती का आदेश तुरंत लागू किया हुआ है, ताकि चीनी मिलों को फायदा पहुंचाया जा सके। इसके विपरीत पड़ोसी राज्य पंजाब में यह कटौती महज 03 प्रतिशत ही है। इससे पता चलता है कि प्रदेश सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है। गठबंधन सरकार को किसानों की थोड़ी भी चिंता है तो फिर इस कटौती को भी कम करके 3 प्रतिशत पर लाना चाहिए।

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