प्रदेश के 102 वर्षीय दादा दुलीचंद को सरकार ने दिखाया सरकारी कागजों में मृत

फिल्म का नाम होगा “India’s Dead Men Alive”

यह डॉक्युमेंट्री फिल्म दुनिया के 150वें इंटरनेशनल (अंतर्राष्ट्रीय) फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी।

फिल्म को डायरेक्ट वीरेंद्र ललित ने किया है । यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म 4 से 5 महीने में तैयार हो जाएगी।

मुबई से रोहतक आई स्पेशल टीम शूट करने के लिए

रौनक शर्मा

रोहतक – हरिकृत फिल्म्स के बैनर तले बन रही 45 मिनट की इस डॉक्युमेंट्री फिल्म में देश व् प्रदेश के बुजुर्गों पर है जिन्हें सरकार द्वारा मृत घोषित कर दिया गया लेकिन नवीन जयहिंद ने “थारा फूफा जिंदा है”आन्दोलन चला उनकी लड़ाई लड़ी और सरकारी कागजों में उन्हें जिंदा करवाया।

आज मुंबई से वीरेंद्र ललित, कुलदीप सिंह और विनोद आए थे। जो नवीन जयहिंद से जुड़ी जानकारियां और वीडियो बनाकर गए है। इस वीडियो में नवीन जयहिंद ने “थारा फूफा जिंदा है” आंदोलन के बारे में उनका अनुभव और संघर्ष साझा किया।

नवीन जयहिंद की “थारा फूफा जिन्दा है” यह मुहिम चंडीगढ़ तक गूंजी और देश-विदेश के अखबारों में इसे अपनी खबरों में जगह दे इस मुहीम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया।

“थारा फूफा जिन्दा है” आंदोलन के बारे में जानकारी साझा करते हुए नवीन जयहिंद ने बताया कि यह आंदोलन नहीं बल्कि एक संघर्ष था जिसे हरियाणा के बुजुर्गों ने जीता। प्रशासन व सरकारी नीतियों की कमियों की वजह से प्रदेश के हज़ारों बुजुर्गों को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। जिससे उन्हें मिल रही पेंशन काट दी गई और न ही सरकार द्वारा दी जा रही कोई सुविधा मिल रही थी। प्रदेश के बुजुर्ग एक सरकारी ऑफिस से दूसरे सरकारी ऑफिस में भटक रहे थे। नेताओं के घरों पर हाजिरी लगा रहे थे लेकिन कोई भी उनकी सुनने वाला नहीं था।

जयहिंद ने आगे बताया कि इस आंदोलन का उद्देश्य सरकार की नीतियों की वजह से परेशान बुजुर्गों को न्याय और उनका हक़ दिलाना था।

इस आंदोलन की वजह से प्रदेश के 2 लाख बुजुर्गों को पेंशन मिली और हजारों बुजुर्गों को सरकारी कागजों में जिंदा किया गया।

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