सीएचजेयू ने मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल से की मुलाकात, सौंपा ज्ञापन

– सीएचजेयू ने पत्रकार पेंशन योजना के लिए जारी अधिसूचना में लगाई शर्तों को गैर-तर्कसंगत बताया

– नई अधिसूचना वापिस लेने व पेंशन योजना पहले वाली अधिसूचना पर योजना जारी रखने का आग्रह

चंडीगढ़, 28 नवंबर : चंडीगढ़ एंड हरियाणा जर्नलिस्ट यूनियन (सीएचजेयू) ने मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव व सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल से मुलाकात कर पत्रकारों की पेंशन योजना के लिए जारी की गई नई अधिसूचना में लगाई गई शर्तों को गैर-तर्कसंगत बताते हुए इस अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग की है। सीएचजेयू के अध्यक्ष राम सिंह बराड़, प्रदेश चेयरमैन बलवंत तक्षक, उपाध्यक्ष निशा शर्मा व चंडीगढ़ प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष नलिन आचार्य की ओर से डॉ. अमित अग्रवाल को दिए गए ज्ञापन में कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा पत्रकारों के लिए 10 हजार महीना पेंशन शुरू करने व पिछले महीने इसे बढ़ाकर 15 हजार करने की पूरे देश के पत्रकारों ने इसकी व्यापक प्रशंसा की है। लेकिन पत्रकारों की पेंशन बढ़ाने को लेकर जो अधिसूचना जारी हुई है, उसमें कुछ शर्तें ऐसी जोड़ी गई हैं, जो तर्कसंगत नहीं है।

सीएचजेयू ने कहा कि अब जारी नई अधिसूचना में यह नियम जोडा गया है कि परिवार पहचान पत्र के अनुसार परिवार के सिर्फ एक सदस्य को ही पेंशन मिल सकेगी। यानि अगर पति व पत्नि दोनों पत्रकार हैं तो उनमें से अगर पति को पहले पेंशन शुरू हो जाती है तो पत्नी को पेंशन नहीं मिल सकेगी। पुराने नियमों में ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी। इसके अलावा पुराने नियमों में यह प्रावधान था कि अगर पेंशन पाने वाले पत्रकार का निधन हो जाता है, तो उसके जीवन साथी (पत्नी अथवा पति) को पूरी पेंशन मिलेगी। यानि उस समय पत्रकार का निधन होने पर उसके जीवन साथी को पूरी 10 हजार रुपए महीना पेंशन मिलती थी। नए नियमों के अनुसार इसे घटाकर अब आधी पेंशन कर दी गई है। यानि उनके लिए पेंशन 10 हजार से बढक़र 15 हजार होने की बजाय अब मात्र 7,500 रूपए कर दी गई है। इन नियमों में एक यह भी प्रावधान किया गया है कि किसी पत्रकार के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज होने पर उसकी पेंशन बंद कर दी जाएगी।

सीएचजेयू प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ कोई झूठा मामला दर्ज करवा दे, तो मामला दर्ज होते ही उसकी पेंशन बंद करना उचित नहीं होगा। वैसे भी प्राकृतिक न्याय के अनुसार जब तक कोई दोषी नहीं ठहराया जाता तब तक उसे निर्दोष ही माना जाता है। इसके अलावा भी पेंशन प्रदान करने के नियमों को सरल करने की बजाय अब और ज्यादा कड़े व सख्त कर दिए हैं। नए नियमों में यह भी प्रावधान किया है कि पेंशन पाने वाले पत्रकारों के लिए पीपीपी कार्ड जरूरी है। पेंशन पाने वाले चंडीगढ़ व अन्य स्थानों पर रह रहे पत्रकारों के पीपीपी कार्ड बन नहीं रहे हैं। सीएचजेयू ने डॉ. अमित अग्रवाल से आग्रह किया कि 14 नवंबर की अधिसूचना को वापस लिया जाए। सीएचजेयू ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पत्रकारों को कर्मचारियों की तरह कैशलैस मेडिकल सुविधा देने का ऐलान किया था। अभी तक पत्रकारों को कैशलैस मेडिकल कार्ड नहीं मिले हैं। सीएचजेयू ने डॉ. अग्रवाल से यह भी आग्रह है कि सभी पत्रकारों को यह सुविधा देते हुए पत्रकारों के कैशलेस मेडिकल कार्ड जल्दी बनवाए जाएं और पत्रकारों की निशुल्क बस सुविधा पर लगी किलोमीटर सीमा हटाने सहित पत्रकारों की अन्य लंबित सभी मांगे भी जल्दी लागू करवाएं।

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