डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन के नियमों में हो सुधार

वाहन कबाड़ नीति की विसंगतियां की जाएं दूर

चंडीगढ़, 27 नवंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश के लोगों की जेब खाली करने के लिए नई-नई जुगत भिड़ा रही है। वाहन कबाड़ नीति में डीजल वाहनों के स्क्रैप करने की मियाद 10 साल फिक्स करना सरासर गलत है। प्रदेश सरकार को एनसीआर के जिलों में डीजल वाहन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में भी संशोधन करना चाहिए, जिसमें वाहन की मियाद तो 10 साल फिक्स है, लेकिन वाहन मालिक से टैक्स 15 साल के लिए वसूला जा रहा है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की वाहन कबाड़ नीति में निजी उपयोग वाले डीजल वाहनों को स्क्रैप करने की मियाद 15 साल फिक्स करनी चाहिए। इससे पहले इन वाहनों को स्क्रैप करने का फैसला पूरी तरह से जनविरोधी है। निजी डीजल वाहन का 10 साल में कुछ नहीं बिगड़ता और इसे इतने कम समय में खत्म करना लोगों पर बड़ी आर्थिक चोट साबित होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनसीआर के जिलों में निजी डीजल वाहन के प्रयोग के लिए 10 साल का समय तय है, लेकिन इसके बाद अन्य जिलों या देश के अन्य हिस्सों के लोग इन वाहनों को खरीद लेते हैं। ऐसे में वाहन मालिक को इसकी ठीकठाक कीमत भी मिल जाती है और पुराने वाहनों के शौकीन लोगों को अच्छी कंडीशन में गाड़ी भी मिल जाती है। जब 10 साल की समय सीमा में यह वाहन किसी अन्य जिले में चला ही गया है तो इसको स्क्रैप करने की समय सीमा 15 साल रखी जानी चाहिए।

कुमारी सैलजा ने कहा कि एनसीआर के जिलों में रहने वाले लोगों के साथ प्रदेश सरकार का दोहरा रवैया सामने आ रहा है। इनके डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन 15 साल के लिए किया जाता है। बाकायदा रोड टैक्स व अन्य भुगतान भी 15 साल के हिसाब से लिए जाते हैं, जबकि इन्हें वाहन चलाने की इजाजत सिर्फ 10 साल के लिए मिलती है। ऐसे में इन लोगों से सिर्फ 10 साल के लिए ही टैक्स व अन्य भुगतान किए जाने चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 10 साल के बाद निजी डीजल वाहन जब एनसीआर से बाहर चला जाए तो वहां पर उसे फिर से रजिस्ट्रेशन का इंतजाम किया जाना चाहिए। जिसने भी इसे खरीदा हो, पांच साल का एकमुश्त रोड टैक्स उनसे लिया जाए। इसके लिए वाहन रजिस्ट्रेशन नियमों में बदलाव की जरूरत है। यह सब मोटर व्हीकल रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन के बाद ही संभव हो पाएगा।

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