जुमला साबित हुआ निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण:  कुमारी सैलजा

जजपा के वादे को पूरा करने की शुरू से ही नहीं थी भाजपा की मंशा
जानबूझकर इतना कमजोर कानून बनाया, जो हाई कोर्ट में टिक नहीं पाया

चंडीगढ़, 18 नवंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण देने का वायदा सिर्फ जुमला था। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में यह कानून टिक नहीं पाएगा, यह सभी को पता था। अपनी सहयोगी जजपा का चुनावी वादा पूरा न होने देने की मंशा से भाजपा ने कानून बनाते समय जानबूझकर खामियां छोड़ी थी। भाजपा तो शुरू से ही नहीं चाहती थी कि यह कानून बने और फिर प्रदेश में लागू हो।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन प्रदेश और प्रदेश के लोगों के भले के लिए नहीं है। यह प्रदेश के संसाधनों की लूट-खसोट में हिस्सेदारी के लिए है। इनका मकसद कभी भी आम जन का भला करना नहीं रहा। ये शुरू से ही अपने-अपने हित साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसलिए जनहित को ध्यान में रखते हुए आज तक अपने चुनावी वायदे पूरे नहीं कर पाए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 में सत्ता में आई भाजपा सरकारी नौकरियों में दूसरे प्रदेशों के युवाओं को खुलकर भर्ती करती रही है। अब तो दूसरे प्रदेशों के आवेदकों को आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने का ऐलान भी कर चुकी है। इससे साफ है कि हरियाणवियों के रोजगार पर डाका डालने की इनकी नीयत है। जो सरकार अपने प्रदेश की सरकारी नौकरियों में यहां के युवाओं को भर्ती नहीं करना चाहती, वह निजी क्षेत्र में आरक्षण की पक्षधर हो भी नहीं सकती।

कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण के नाम पर हरियाणा के युवाओं को पिछले 4 साल के दौरान खूब बहकाया। 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून महज़ एक धोखा था। हाई कोर्ट द्वारा आरक्षण रद्द के फैसले ने साबित कर दिया कि गठबंधन सरकार केवल युवाओं को पथ भ्रमित करने पर लगी थी। सरकार कोर्ट में यह साबित ही नहीं कर पाई कि संविधान के किस अनुच्छेद के तहत यह बिल लाया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे साफ है कि सरकार की मंशा आरक्षण बिल के प्रति ईमानदार नहीं थी और न ही पैरवी अच्छे ढंग से पैरवी की गई। इनकी मंशा ठीक होती तो पहले संसद की मंजूरी के साथ बिल लाते। इनका उद्देश्य केवल और केवल युवाओं की आंखों में धूल झोंकना था।

You May Have Missed

error: Content is protected !!