बोधराज सीकरी की हनुमान चालीसा पाठ का आंकड़ा हुआ 4 लाख 31 हजार पार

कलयुग में केवल “रामनाम” ही आधार : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। कल दिनांक 14 नवंबर को माँ वैष्णो दरबार गढ़ी हरसरू जिसकी संचालिका पूनम माता जी है और सह संयोजिका डॉक्टर अलका शर्मा है, में सुंदर हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन किया गया।

मां वैष्णो दरबार गढ़ी हरसरू गुरुग्राम में श्री हनुमान चालीसा पाठ की मुहिम में धर्मगुरु एवं विश्व विख्यात ज्योतिषाचार्य डॉक्टर एच.एस.रावत की गरिमामयी उपस्थिति रही। 21 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ प्रत्येक मंगलवार की भांति श्री गजेंद्र गोसाई जी ने व्यास पीठ से संगीतमय ढंग से सभी संगत को साथ लेकर किया। सबसे पहले शंखनाद किया गया व उस के पश्चात तीन बार ऊँ का उच्चारण किया गया।

अंत में 108 बार राम नाम की माला का जाप कराया गया। इसके पश्चात श्री गजेंद्र गोसाई जी ने डॉ. एच.एस रावत जी को संबोधन करने के लिए प्रार्थना की। गोसाई जी ने कहा कि माँ वैष्णो दरबार गढ़ी हर सरु मिनी वैष्णो देवी दरबार है और यहाँ पूरे उत्तर भारत से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि अलका जी जब डॉक्टर रावत से जुड़ी तो जुड़ने के पश्चात उनके मार्गदर्शन में व उनके आशीर्वाद से डॉक्टर अलका बन गई और जब पंजाबी बिरादरी महा संगठन के प्रधान श्री बोध राज सीकरी से जुड़ी तो महिला प्रकोष्ठ की सह-संयोजिका हुई और जब केंद्रीय श्री सनातन धर्म सभा के प्रधान श्री खुल्लर जी से जुड़ी तो उन्हें धर्माचार्य की उपाधि दी गई। इस दौरान श्री रावत जी को लाइफ टाइम अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। व डॉक्टर रावत जी ने सीकरी जी को भी इस हनुमान चालीसा मुहिम के सूत्रधार के लिए सम्मानित किया। डॉक्टर रावत जी ने सर्व प्रथम श्री बोध राज सीकरी जी को बधाई दी कि आप इतने बड़े उद्योगपति होने के पश्चात भी जिस लगन से समाज सेवा कर रहे हैं व इस हनुमान चालीसा की मुहिम से सभी को साथ लेकर चल रहे हैं इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।

डॉक्टर रावत ने कहा कि मैं दावे से कह सकता हूं कि अगले जन्म में भी सीकरी जी ही यह मुहिम पुनः शुरू करेंगे और गोसाईं जी ही व्यास पीठ से हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे व संगत के रूप में आप सभी लोग शामिल होंगे।

उन्होंने इसका प्रमाण दिया कि यह जो आपके संचित पुण्य कर्म है यह आगे कैसे सामने आते हैं उन्होंने इसका प्रमाण महाभारत के युद्ध का देते हुए कहा कि शमयिक ऋषि के पुत्र को श्राप मिला और वह अगले जन्म में चिड़िया बनी और जब वह
गर्भवती थी की एक पेड़ पर बैठी थी और इधर महाभारत का युद्ध चल रहा था वहां से एक तीर उस चिड़िया को चीरता हुआ निकल गया और चिड़िया नीचे पड़ी रेत पर गिरी चिड़िया तो मर गई पर उस में से चार अंडे उस रेत पर गिरे।युद्ध के दौरान ही एक तीर 1 घंटी में लगी जंजीर में लगा जो कि उस जंजीर को चीरता हुआ निकल गया और वह घंटा जहां पर चिड़िया के चार अंडे थे उसी के ऊपर इस प्रकार गिरा कि अंडे उसमें ढक गए और वह घंटा उन का कवच का रूप बना रहा।

युद्ध समाप्त होने के पश्चात जब एक बार शमयिक ऋषि वहां से गुजर रहे थे तो उन्होंने चिड़िया के बच्चों की चह-चहाहट की आवाज सुनी और उन्होंने उस घंटे को उठाया तो नीचे देखा की चार चिड़िया के बच्चे चह चहा रहे हैं और वह सब समझ गये और उन चारों चिड़िया के बच्चों को लेकर अपने आश्रम में आ गए और उन की दाना पानी से सेवा करते रहे। क्योंकि आश्रम में वेद मंत्रों का उच्चारण होता था तो वह चिड़िया के बच्चे भी संस्कृत भाषा सीख गये और एक दूसरे से संस्कृत में वार्तालाप करते थे उन्होंने यह प्रमाण देकर सिद्ध किया कि जिस प्रकार उन चिड़िया के बच्चों ने भी संस्कृत भाषा सीखी और आश्रम में रह कर शुभ कर्म किये । ठीक इसी प्रकार मेरा पूरा विश्वास है कि अगले जन्म में भी सीकरी जी इसी हनुमान चालीसा की मुहिम को और आगे बढ़ाएंगे और गोसाई जी ही व्यास पीठ से हनुमान चालीसा का पाठ कराएंगे व जो संगत अब तक इस मुहिम में अपने शुभ कर्म संचित कर चुकी है वह भी उनके साथ ही इस संगत के रूप में रहेगी ।

बोध राज सीकरी ने अपने वक्तव्य में बताया कि “मानस” में प्रेम के संबंध में एक प्रसिद्ध चौपाई आती है :

“हरि व्यापक सर्वत्र समाना।
प्रेम ते प्रगट होय मैं जाना।।”

अर्थात भगवान देश, काल, दिशा आदि में सब जगह समान रूप से व्यापक हैं लेकिन वो प्रेम से ही प्रकट होते हैं। प्रेम के संबंध में ही “मानस” में गोस्वामी जी ने लिखा है :

“रामहि केवल प्रेम पियारा ।

जानि लेहु जो जानहि हारा ।। अर्थात… “भगवान रामजी” को केवल “प्रेम” ही प्यारा है और इस भेद या रहस्य को जानने वाला ये जान भी जाता है। लेकिन कलयुगी प्रभाव के कारण अपने निजी हितार्थ हम सब “प्रेम” को भूल से गए हैं इस कारण हमारा हृदय कमल मुरझाया हुआ है। कलयुग से पार जाने हेतु भी गोस्वामी जी लिखते हैं :

“कलयुग केवल नाम आधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।। अर्थात .कलयुग में केवल “रामनाम” ही आधार है हम सब “राम राम” नाम सुमिरन करते करते इससे पार हो जायेंगे।

कल 250 लोगों ने 21-21 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया। इस अवसर पर मंदिर की संयोजिका पूनम माता जी का विशेष सहयोग रहा। साथ ही पंडित भीम दत्त, गजेंद्र गोसाईं, श्री ऐच एस चावला , प्रमोद सलूजा, धर्मेन्द्र बजाज, रजिंद्र बजाज, रमेश कामरा, अनिल कुमार, ओ.पी कालरा, द्वारिका नाथ, सतपाल नासा, रमेश मुंजाल, युधिष्ठर अलमादी. किशोरी डुडेजा, ओ.पी गाबा, सुरेंद्र बरेजा , पूजा खेत्रपाल. ज्योत्सना बजाज. पुष्पा नासा, रचना बजाज, वीणा, सीमा कपूर, कांता मक्कड़ सिमरन बजाज और मीनाक्षी मुंजाल उपस्थित रहे।

बुधवार को प्रमोद सलूजा जी का जन्मदिन है अत: उनसे आरती करवायी गई।इसके अतिरिक्त कैनविन फाउंडेशन के संस्थापडॉक्टर डी पी गोयल और जानेमाने आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर परमेश्वर अरोड़ उपस्थितरहे।

इसके अतिरिक्त “ जनता रिहैबिलिटेशन ट्रेनिंग सेंटर भीमगढ़ खेड़ी गुरुग्राम’ के चालीस विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से गायकी के साथ 21-21 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया। इसका आयोजन श्री नरेंद्र शर्मा और श्री पी.पी मेहता ने किया। यह पाठ निरंतर हर मंगलवार चलेगा

राम मंदिर, प्रताप नगर की प्रभात फेरी में 100 भक्तों ने 11 बार हनुमान चालीसा पाठ किया।

जामपुर शिव मंदिर में 21 भक्तों ने 5 बार हनुमान चालीसा पाठ किया।

इस कार्यक्रम से पहले 424,553 पाठ 144 स्थान पर हो चुके हैं और इसमें 30,053 लोग पिछले सप्ताह तक जुड़ चुके थे और कल की संख्या मिला कर अब तक कुल 431,848 हनुमान चालीसा पाठ, 148 स्थान और 30,464 लोग जुड़ चुके हैं।

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