जाटोली कॉलेज के प्रिंसिपल घनश्याम दास को 80 प्रतिशत दृष्टि दोष, लेकिन भरपूर जोश    संगीत विषय और संस्कृत भाषा में पारंगत है घनश्याम दास   जाटोली कॉलेज स्टाफ के लिए कॉलेज के इतिहास में यादगार रही दिवाली   महिला शिक्षा के बिना समाज और राष्ट्र की तरक्की संभव ही नहीं 

 फतह सिंह उजाला                                     

जाटोली / पटौदी 10 नवंबर । कोई भी व्यक्ति दिव्यांग नहीं है l परमपिता परमेश्वर-भगवान ने प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता के मुताबिक परिपूर्ण बनाया है या उसकी काबिलियत के मुताबिक गुण भी प्रदान किए हैं । जिन्हें समाज में दिव्यांग कहा जाता है, वास्तव में ऐसे सभी लोगों में कोई ना कोई अतिरिक्त गुण प्रतिभा का समायोजन भगवान के द्वारा किया गया है।  यह बात विशेष चर्चा के दौरान गवर्नमेंट कॉलेज जटौली के नवनियुक्त प्रिंसिपल घनश्याम दास के द्वारा कही गई । गौरतलब है कि प्रिंसिपल घनश्याम दास को 80 प्रतिशत दृष्टि दोष है, लेकिन वह जोश से भरपूर दिखाई देते हैं । 

  गुरुग्राम सेक्टर 14 महिला कॉलेज से प्रमोशन के साथ ही ट्रांसफर के उपरांत गवर्नमेंट कॉलेज जटौली में बतौर प्रिंसिपल जिम्मेदारी संभाल रहे प्रिंसिपल घनश्याम दास में बिना किसी लाग लपेट के कहा जब परमपिता परमेश्वर ने मानव रचना में भेदभाव नहीं किया तो फिर हम भेदभाव करने वाले कौन होते हैं ! प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता और काबिलियत के मुताबिक परिपूर्ण है । चार दशक से अधिक पुराने गवर्नमेंट कॉलेज जटौली के स्टाफ विशेष रूप से चतुर्थ श्रेणी के स्टाफ के लिए वर्ष 2023 की दिवाली यादगार रही । गवर्नमेंट कॉलेज जटौली में बतौर प्रिंसिपल सेवाएं दे रहे घनश्याम दास के द्वारा बिना किसी भेदभाव के कॉलेज के चतुर्थ श्रेणी स्टाफ को दिवाली मिलन के मौके पर सादा समारोह में व्यक्तिगत रूप से उपहार भेंट में दिए गए । उपहार प्राप्त सभी कर्मचारी बेहद भावुक दिखाई दिए । इस मौके पर प्रिंसिपल घनश्याम दास की पत्नी श्रीमती आशा देवी, कॉलेज के स्टाफ सदस्यों में प्रोफेसर डॉक्टर त्रिलोक सिंह,  डॉक्टर डॉक्टर जय सिंह, डॉक्टर श्रीमती ज्योत्सना गुलाटी, विनोद कुमार, श्रीमती सुदेश कुमारी, कविता, संजय, वीरेंद्र, मदन, सतीश, योगेश सहित अन्य भी मौजूद रहे । 

यहां कॉलेज के प्रिंसिपल ऑफिस में चर्चा का सिलसिला आगे बढ़ते हुए सवालों के जवाब में प्रिंसिपल घनश्याम दास ने कहा देहात के युवा छात्र वर्ग में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है । जरूरत इस बात की है देहात की इस प्रतिभा को उसकी योग्यता के मुताबिक सही मार्गदर्शन किया जाए। आज का युवा पहले के मुकाबले अपनी शिक्षा को लेकर बेहद गंभीर दिखाई देता है । उन्होंने कहा छात्र वर्ग की आयु ज्ञान अर्जित करने की अवस्था है । छात्र, अध्यापक, प्राध्यापक और अभिभावक सभी को मिलकर ज्ञान अर्जन को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मोबाइल पर मोबाइल कंपनियों के द्वारा दिए जा रहे फ्री के इंटरनेट डाटा के युवा छात्र वर्ग के द्वारा उपयोग किया जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा विज्ञान और तकनीक का सही इस्तेमाल किया जाना बहुत जरूरी है । इसी मौके पर एक कड़वे सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा मेरे को दृष्टि दोष के वजह से लिखने और पढ़ने में कुछ परेशानी महसूस होती है। लेकिन यह परेशानी इतनी अधिक भी नहीं है कि मैं पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर रहूं ।  

इसी मौके पर उन्होंने महिला शिक्षा के संदर्भ में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा महिला शिक्षा के बिना समाज और राष्ट्र की तरक्की संभव ही नहीं है। अनादि काल में भी महिला शिक्षा के महत्व को हम बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं कर सकते । उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब महिला शिक्षा की बात की जाती है , तो महिलाओं से संबंधित अनेक विषयों पर भी आज के समय में चर्चा किया जाना बहुत जरूरी है । एक सवाल के जवाब में प्रिंसिपल घनश्याम दास ने कहा संगीत और संस्कृत यह दोनों ही भारतीय सनातन संस्कृति के लिए देवताओं का वरदान है । संस्कृत भाषा वास्तव में देव भाषा है, इसी प्रकार से संगीत के लिए भी कहा जा सकता है। संगीत जीवन में नीरसता को दूर करता है , इसी प्रकार से संस्कृत भाषा संस्कृति और अन्य भाषाओं की जननी कहीं जा सकती है।