विरासत सांझी उत्सव में वितरित किए गए 1 लाख 35 हजार से अधिक के पुरस्कार

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र: विरासत भारतीय संस्कृति के इतिहास का ऐसा केन्द्र बनेगा जिसमें भारत के सभी प्रदेशों के पर्यटक हरियाणा की संस्कृति के दर्शन करेंगे। यहां पर हरियाणवी संस्कृति को जिस तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है वह हरियाणा ही नहीं अपितु उत्तर भारत के लिए एक नवीन प्रयोग है। यह उद्गार मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती ने विरासत में आयोजित सांझी उत्सव के पुरस्कार वितरण में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि सांझी कला को बचाने के लिए विरासत ने जो प्रयास किए वह अपने आप में बड़े प्रयास हैं।

विरासत सांझी उत्सव के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित राज्य स्तरीय सांझी उत्सव में 1 लाख 35 हजार से अधिक के पुरस्कार प्रतिभागियों को वितरित किए। पानीत से कमलेश को 51 हजार का, गौत्तम सत्यराज जींद को 31 हजार, मिनाक्षी को 21 हजार, हर्ष कुमार को 11 हजार, वृंदावन से सपना ठाकुर को 51 सौ, किरन, गुरदीप सिंह, मुस्कान, अन्नु कुमारी, रेखा को 21 सौ, मीनू, अंजु, मीना, शीला, काजल को 11 सौ रुपये के पुरस्कार वितरित किए गए।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आए खानपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुदेश, चौ. रणवीर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रणपाल, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल को विरासत की टीम द्वारा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।। इसके साथ ही विशेष मेहमान के रूप में लाडवा समाज सेवी संदीप गर्ग, चैतन्य कॅरियर कंसल्टेंट के डायरेक्टर अभिषेक शर्मा, कुरुक्षेत्र भट्ठा ऐसोसिएशन के प्रधान अश्वनी अरोड़ा को भी विरासत की तरफ से सम्मानित किया गया। डॉ. पूनिया ने जानकारी देते हुए कहा कि इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद अम्बाला मण्डल की ओर से सांझी के गीतों पर आधारित सांस्कृतिक संध्या में सांझी के गीत गाकर महिलाओं ने सांझी उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया।

21 फुट की सबसे बड़ी सांझी को मिला 31 हजार का पुरस्कार
विरासत सांझी उत्सव में 21 फुट की सबसे बड़ी सांझी गौत्तम सत्यराज गांव डिघाणा ने लगाई। जो अब तक की सबसे बड़ी सांझी है। सबसे बड़ी सांझी को विरासत की ओर से 31 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया।

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