शहीद सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा का 14 वां  दिन

आशीर्वाद का वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि।
श्रद्धा एवं भावना से ग्रहण की गई वस्तु व विचार प्रभावित करते हैं     

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 11 अक्तूबर : भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से उत्पन्न गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के 14 वें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि मनुष्य की ग्रहण करने की विधि एवं धारणा ठीक होनी चाहिए। मनुष्य जीवन में सोच, भावना एवं कर्म का बहुत महत्व है। बुधवार की कथा प्रारम्भ से पूर्व यजमान रमेश परुथी तथा पुष्पा परुथी ने महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज के सानिध्य में भारत माता एवं व्यासपीठ का पूजन व आरती की।

कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने बताया कि मनुष्य द्वारा जीवन में जिस भी भावना से जो कार्य किया जाता है उसी के अनुसार फल मिलता है। उन्होंने कहा कि पूरी श्रद्धा एवं भावना से ग्रहण करने से वस्तु एवं विचार सभी प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार माता पिता एवं संत महापुरुषों से आशीर्वाद ग्रहण करने की भावना एवं आचरण का प्रभाव है। उन्होंने बताया कि आशीर्वाद का वैज्ञानिक दृष्टि से भी प्रभाव है। श्रद्धा से तो अनहोनी भी होनी में परिवर्तित हो जाती है। डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने बताया कि योग एवं वेदों में बहुत शक्ति है। इसके पुराणों में प्रमाण हैं। बुधवार की कथा में भगवान श्री कृष्ण जन्म हुआ। इस अवसर पर श्रद्धालु भजनों की मस्ती में झूमने को मजबूर हुए। इस मौके पर राम निवास शर्मा, अखंड गीतापीठ दिल्ली के ट्रस्टी दया किशन गोयल, मीनाक्षी गोयल, लक्ष्मण दास, आचार्य कथावाचक दिनेश भाई, डा. जय भगवान सिंगला, आशा सिंगला, डा. दीपक कौशिक, डा. सुनीता कौशिक, प्रेम नारायण शुक्ल, पुष्पा शुक्ल, जय शंकर, मीनाक्षी शर्मा, कुसुम सैनी, प्रेम नारायण अवस्थी, भूपेंद्र शर्मा, भारत भूषण बंसल इत्यादि भी मौजूद रहे।

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