किसान पीड़ित हैं, सरकार कोई और रास्ता नहीं छोडती तो मजबूरी में जलाते हैं पराली : अनुराग ढांडा क्या सीएम खट्टर जानबूझकर हरियाणा और दिल्ली के लोगों को प्रदूषण की आग में झोंकना चाहते हैं? : अनुराग ढांडा बेलर मशीन की सब्सिडी देने में खट्टर सरकार का 50% से ज्यादा घोटाला : अनुराग ढांडा खट्टर सरकार का 80 हजार मशीनें होने का दावा, ग्राउंड पर 20 हजार भी नहीं : अनुराग ढांडा हरियाणा व दिल्ली के लोगों को जानबूझकर प्रदूषण की आग में झोंक रहे सीएम खट्टर : अनुराग ढांडा किसानों को अभी तक बायो डी कंपोजर उपलब्ध न कराना, खट्टर सरकार की सबसे बड़ी नाकामी : अनुराग ढांडा खट्टर सरकार पर दबाव बढ़ेगा तो किसानों पर केस दर्ज कर लाखों रुपए का जुर्माना लगाना शुरु कर देंगे: अनुराग ढांडा आम आदमी पार्टी ने लगातार ज्वाइंट एक्शन प्लान की मांग की, लेकिन केंद्र सरकार ने हमेशा मन की बात की: प्रियंका कक्कड़ यदि सीएम खट्टर के पास दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के लोगों का साफ हवा देने का सोल्यूशन नहीं तो इस्तीफा दे देना चाहिए: प्रियंका कक्कड़ प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली में देश का सबसे बड़ा कंस्ट्रक्शन बेस्ट प्लांट बना: प्रियंका कक्कड़ दिल्ली/चंडीगढ़, 9 अक्टूबर – आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रमुख प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ और हरियाणा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने सोमवार को पराली प्रदूषण के मुद्दे पर दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी के कार्यालय से संयुक्त प्रेसवार्ता की। अनुराग ढांडा ने कहा कि हर साल दिल्ली और आसपास का इलाका प्रदूषण से पीड़ित होता है। अभी से परानी जलाने के जो मामले आ रहे हैं वो चिंताजनक हैं। हरियाणा में खट्टर सरकार के आरोप तो बड़े बड़े होते हैं, लेकिन इस प्रदूषण को कम करने और पराली के कम जलने के लिए जो योजनाएं बनाई गई, वो धरातल पर बिल्कुल भी लागू नहीं हो रही हैं। दिन के हिसाब से पिछले सालों की तुलना करें तो 4 अक्टूबर को, 2021 को पराली जलाने की 2 घटनाएं, 2022 में 7 और 2023 में 29 घटनाएं सामने आई। इसी तरह 5 अक्टूबर को 2021 में 3, 2022 में 24 और 2023 में 24 घटनाएं। 8 अक्टूबर को 2021 में 27, 2022 में 0 और 2023 में 55 घटनाएं हैं। सभी को मिलाकर देखें तो हरियाणा में अभी तक पराली जलाने के मामले 3 गुना बढ़ गए हैं। नौ अक्टूबर तक 2021 में 62 घटनाएं थी, 2022 में 80 और 2023 में 277 पराली जलाने की घटनाएं हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि क्या सीएम खट्टर जानबूझकर हरियाणा और दिल्ली के लोगों को प्रदूषण की आग में झोंकना चाहते हैं? इस पूरे मामले में किसान आरोपी नहीं हो सकते, बल्कि पीड़ित हैं। क्योंकि न उनको जागरूक किया गया, न मशीनरी उपलब्ध करवाई गई और न वो संसाधन उपलब्ध करवाए गए जिसके जरिए किसान पराली का सही तरीके से समाधान कर सके। पहले से ही बाढ़ का प्रकोप झेल रहे हरियाणा के किसान अब उनके ऊपर जैसे ही को रिपोर्ट दर्ज होती है तो लाखों रुपए का जुर्माना किसानों पर लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दो महत्वपूर्ण चीजें हैं एक बेलर मशीन जिसके जरिए पराली के गट्ठे बनाए जाते हैं उनको ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध कराना। दूसरा है बायो डी कंपोजर, जो तीनों स्टेटस में सहमति बनी थी, इनकी रुपरेखा कैसी होनी चाहिए इसके लिए एक कमेटी भी बनी थी। उसमें ये तय हुआ था कि ये दोनों कदम जरूर उठाने हैं। हरियाणा में बेलर मशीन के लिए 5 लाख तक की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है लेकिन ये जानकर कर आश्चर्य होता है कि 1500 करोड़ रुपए सब्सिडी दी जा रही है, जब ग्राउंड पर जाकर देखा तो इसमें 50% से ज्यादा का घोटाला किया है। ग्राउंड में मशीनें ही उपलब्ध नहीं हैं, इसका मतलब सब्सिडी गलत तरीके से केवल कागजों में प्रोवाइड की गई। खट्टर सरकार 80000 से ज्यादा मशीनें होने का दावा करती है, आम आदमी पार्टी चुनौती देती है कि हरियाणा का कोई भी मंत्री और अधिकारी हमारे साथ जाकर देख सकते हैं 20000 बेलर मशीन भी इस वक्त ग्राउंड पर उपलब्ध नहीं हैं। जिनके बिना पराली का समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा पिछले साल भी ये आरोप लगाया गया कि जैसे दिल्ली ने पूसा का बायो डी कंपोजर इस्तेमाल करके किसानों को फ्री में उपलब्ध कराया, आम आदमी पार्टी से सीखने का दावा करते हुए खट्टर सरकार ने कहा हम भी उपलब्ध कराएंगे और इस बार भी स्टेटस की मीटिंग में कहा गया बायो डी कंपोजर बड़े पैमाने पर किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन जब हरियाणा में पराली जलाने के मामले 3 गुना बढ़ चुके हैं, जिले में जो डिस्ट्रीब्यूटर सेंटर पर भी बायो डी कंपोजर का एक पैकेट भी नहीं पहुंचा। जब पहुंचे उसके 15 दिन बाद इसको खेत में इस्तेमाल किया जा सकता है। ये खट्टर सरकार का सबसे बड़ा फेलीयर है। अब जब खट्टर सरकार पर दबाव बढ़ेगा तो किसानों पर केस दर्ज कर लाखों रुपए का जुर्माना लगाना शुरु कर देंगे। उन्होंने कहा जब सीएम खट्टर को पहले ही पता है कि इन दिनों देश की राजधानी और हरियाणा के कुछ इलाके प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं तो सीएम खट्टर ने जो योजनाएं है वो जमीन पर लागू हो सके इसके लिए पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किया। यदि लाखों लोगों को आप प्रदूषण के धुएं में घुटता देख सकते हैं या आपकी सरकार ने ऐसे इंतजाम कर दिए हैं कि आने वाले समय में ये प्रदूषण की समस्या और ज्यादा बढ़ने वाली है तो क्या सीएम खट्टर को सीएम के पद पर बैठे रहने का अधिकार है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि खट्टर सरकार कहती है कि जो भी पराली नहीं जलाएगा उसको एक हजार रुपए सब्सिडी देंगे। लेकिन खट्टर सरकार कि पिछले साल कितने किसानों के खाते में ये पैसे पहुंचे, किसान संगठन लगातार इस मुद्दे को लेकर सवाल उठा रहे हैं। खट्टर सरकार ने किसी भी योजना को सही तरीके से लागू नहीं किया। इसके परिणाम ये है कि सीजन के शुरू में ही 3 गुना पराली जलाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उन्होंने सीएम खट्टर से दिल्ली व हरियाणा के लोगों को इस धुएं के जहर में मत डुबोने और सख्त से सख्त इंतजाम कर पराली जलाने की घटनाओं को रोकने की मांग की। वहीं राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि दिल्ली सरकार लगातार जनता के मुद्दों पर काम करती आई। दिल्ली में आज सभी इंडस्ट्री मैंडेटरी कंपलाइंट्स के चलते पीएनजी फ्यूल पर शिफ्ट हो चुकी है। चाहे 24 बिजली हो जो दिल्ली में मिलती है, जिसकी वजह से दिल्ली में इनवर्टर और जनरेटर इस्तेमाल नहीं होता। दिल्ली में कोयला बेस्ड दो थर्मल प्लांट को बंद किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से लड़ने के लिए बीते कई साल से क्रेडिट एक्शन प्लान, समर प्लान और विंटर एक्शन प्लान चलता है। जब से आम आदमी पार्टी की सरकार एमसीडी में भी आई है तब से लगातार डस्ट को और कंस्ट्रक्शन से उत्पन्न मलबे को भी टारगेट कर रहे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार को ही बुराड़ी में देश का सबसे ज्यादा कैपेसिटी वाले कंस्ट्रक्शन बेस्ट प्लांट का उद्घाटन किया है और यहां पर मलबे को रिसाइकिल किया जाएगा। ये दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और दिल्ली के लोगों के अथक प्रयासों का नतीजा है जो युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध चला है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी लगातार ज्वाइंट एक्शन प्लान की मांग करती है, लेकिन ये दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र में एक ऐसी सरकार बैठी है जो केवल मन की बात करके चली जाती है, ज्वाइंट एक्शन प्लान में विश्वास नहीं रखती है। लेकिन ये सच है कि हर साल दिल्ली को अक्टूबर-नवंबर के महीने में पराली का प्रदूषण झेलना पड़ता है। जब से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से सीएम भगवंत मान ने पराली का समाधान निकालने पर अनेकों स्टेप लिये और लगातार काम करना शुरू किया। जिसके नतीजा पिछले वर्ष भी देखने को मिला, जब पराली प्रदूषण 2021 में मुकाबले कम था और इस बार 2023 में आम आदमी पार्टी ने सीक्यूएम को एक रिपोर्ट सबमिट कर दी है। जहां सुनिश्चित किया जाएगा कि पंजाब से पराली का प्रदूषण 50% और कम हो। उन्होंने कहा कि वहीं हरियाणा में अब तक पिछले साल के मुकाबले 3 गुना पराली जलाई जा चुकी है। अब सीएम खट्टर किसानों पर आरोप लगाना शुरु हो जाएंगे, क्योंकि उन्होंने सारा साल तो कुछ किया नहीं। यदि सीएम खट्टर के पास दिल्ली पंजाब और हरियाणा के लोगों का साफ हवा देने का सोल्यूशन नहीं है तो उनको इस्तीफा दे देना चाहिए। Post navigation मुख्यमंत्री यह कैसे कह सकते है कि हरियाणा में कोई भी जातिगत जनगणना की मांग नही कर रहा ? विद्रोही मुख्यमंत्री ने की एचपीपीसी और एचपीडब्ल्यूपीसी की बैठक की अध्यक्षता