मुख्यमंत्री यह कैसे कह सकते है कि हरियाणा में कोई भी जातिगत जनगणना की मांग नही कर रहा ? विद्रोही

सत्ता अहंकार में चूर मनोहरलाल खट्टर को पिछडे वर्ग की क्या तो आवाज सुनाई नही देती : विद्रोही
खटटर जी के लिए तीन जातियों के संघी ही हरियाणा है। प्रदेश मे तीन जातियों के संघीयों की आवाज के सिवाय खट्टर जी को न तो कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ दिखता है : विद्रोही

9 अक्टूबर 2023  – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के इस दावे को हास्यास्पद बताया कि प्रदेश में जातिगत जनगणना की कोई आवश्यकता नही है क्योंकि अभी तक किसी ने भी हरियाणा में जातिगत जनगणना की मांग नही की है। विद्रोही ने कहा कि सत्ता अहंकार में चूर मनोहरलाल खट्टर को पिछडे वर्ग की क्या तो आवाज सुनाई नही देती या उन्हे पिछडे वर्ग की जातिगत जनगणना करवाने की मांग इसलिए हरियाणा के लोगों की मांग की नही दिखती क्योंकि खटटर जी के लिए तीन जातियों के संघी ही हरियाणा है। प्रदेश मे तीन जातियों के संघीयों की आवाज के सिवाय खट्टर जी को न तो कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ दिखता है। इसका जीवंत प्रमाण सबके सामने है कि हरियाणा में सरकार में जितनी भी महत्वपूर्ण राजनीतिक नियुक्तियां व उच्च अधिकारियों को पोस्टिंग देखकर कोई अंधा भी बता सकता है कि प्रदेश में केवल तीन जातियों के संघीेयों को ही महत्व दिया जा रहा है। वही अन्य वर्ग, जातियों को जुमलेबाजी से ठगा जा रहा है। 

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा का पिछडा वर्ग पिछले दस वर्षो से ना केवल जातिगत जनगणना की मांग करता आ रहा है अपितु इस मांग को लेकर अनेक बार धरना-प्रदर्शन करके भाजपा सरकार को ज्ञापन भी सौंप चुके है। फिर मुख्यमंत्री यह कैसे कह सकते है कि हरियाणा में कोई भी जातिगत जनगणना की मांग नही कर रहा? जब प्रदेश का मुख्यमंत्री इस तरह सार्वजनिक रूप से झूठ बोलेगा तो सहज अनुमान लगा ले कि विगत 9 सालों में मुख्यमंत्री खट्टर ने पता नही कितनी बार झूठ बोलकर आम हरियाणवियों को ठगा होगा। विद्रोही ने कहा कि वैसे भी मुख्यमंत्री खट्टर को प्रदेश में जातिगत जनगणना करवाने की मांग का विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नही है क्योंकि हरियाणा परिवार पहचान पत्र के माध्यम से हरियाणा सरकार पहले ही प्रदेश में किस जाति के कितने परिवार है, यह आंकडा पीपीपी में दर्ज कर चुकी है। वहीं पीपीपी के माध्यम से हरियाणा के हर परिवार को मोबाईल पर संदेश देकर यह बता चुके है कि पीपीपी में उसकी क्या जाति दर्ज है। हरियाणा में कुल कितनी जातियों की कितनी संख्या है, यह आंकडा हरियाणा सरकार के पास उपलब्ध है।  

विद्रोही ने सवाल किया कि हरियाणा में जातिगत संख्या का अधिकृत आंकडा केवल भाजपा-संघ अपनी राजनीति के लिए सत्ता दुरूपयोग से क्यों करे? यह प्रदेश के हर नागरिक को क्यों नही विधिवत रूप से बताया जाता है कि हरियाणा में किस जाति की कितनी संख्या है। वहीं प्रदेश में जातिगत जनगणना करके पहले ही अनौपचारिक रूप से हो चुकी जातिगत जनगणना को औपचारिक रूप देने में भाजपा व मनोहरलाल खट्टर को क्या आपत्ति है? विद्रोही ने कहा कि भाजपा को छोडकर कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दल भी हरियाणा में जाति जनगणना का पुरजोर समर्थन कर रहे है।   

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