गुरुग्राम, 2 अक्टूबर 2023 – राष्ट्रीय कवि संगम, गुरुग्राम के तत्वावधान में 1 अक्टूबर 2023, रविवार को प्रातः 11 बजे से  जियान इंटरनेशनल कान्वेंट स्कूल सेक्टर 5, पार्ट-3  के सभागार में ‘दिनकर जयंती स्मृति काव्य गोष्ठी’ का आयोजन किया गया,  जिसमें राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के कृतित्व व व्यक्तित्व को स्मरण करते हुए उन्हें शब्द सुमन अर्पित किया गया I कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विद्यालय की प्राचार्य स्नेहा जी उपस्थित थीं I गोष्ठी की अध्यक्षता सुरुचि परिवार के अध्यक्ष डॉ. धनीराम अग्रवाल ने किया I राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ अशोक बत्रा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई I उन्होंने अपने मंच कौशल से उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया I राष्ट्रीय कवि संगम का विस्तृत परिचय प्रस्तुत करते हुए संस्था की कुछ आगामी  योजनाओं के बारे में भी उन्होंने अपनी बात रखी I  वरिष्ठ पत्रकार अनिल आर्य ने  कार्यक्रम के आरंभिक सञ्चालन का दायित्व निर्वाह बखूबी किया I सुखविंदर कौर, डॉ शैलजा दुबे का सराहनीय योगदान रहा I काव्य गोष्ठी का सञ्चालन करते हुए अनिल श्रीवास्तव ने कहा दिनकर जी आजादी से पहले विद्रोही कवि के रूप में जाने जाते थे और आजादी के बाद उन्हें राष्ट्र कवि का दर्जा मिला यद्यपि सत्ता की नीतियों के खिलाफ लिखने से वो कभी नहीं चुके I अतिथि-गण द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं अंजलि श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से विधिवत काव्य गोष्ठी’ का शुभारम्भ किया गया I 

काव्य गोष्ठी में मुख्य रूप से सुनील शर्मा, सुजीत कुमार, बिमलेन्दु सागर, हरींद्र यादव, नरेंद्र गौड़, राजेश्वर वशिष्ठ, शकुंतला मित्तल, दीपशिखा श्रीवास्तव, डॉ. मीनाक्षी पांडेय,  सुखविंदर कौर, डॉ शैलजा दुबे, डॉ. प्रवीण शर्मा, किरण यादव, रवि किरण सचदेव, मीना चौधरी, चाँदनी केसरवानी, डॉ अशोक बत्रा, मदन साहनी, डॉ धनीराम अग्रवाल एवं अनिल श्रीवास्तव  ने काव्य पाठ किया I 

 डॉ. अशोक बत्रा ने जहाँ दिनकर जी की पंक्तियाँ प्रस्तुत कर उन्हें नमन किया, वहीं भगवान  राम पर अद्भुत कविता प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी I  राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को दर्शाते हुए उनकी पंक्तियाँ थीं – 

“हम नहीं आवाज सत्ता की या फिर प्रतिपक्ष की, राष्ट्र की आवाज हैं हम, राष्ट्र की वाणी हैं हम I”  त्रिलोक कौशिक की  ग़ज़ल के कुछ अशआर थे,”सांकल की टूटन को पढ़कर दरवाज़े का मन टूटा, उसके बाद सुना है घर की, सब दीवारें, टूट गईं।”   बिमलेन्दु सागर ने उर्मिला की पीड़ा को अपने गीत में पिरोकर श्रोताओं को प्रभावित किया I उनकी कुछ पंक्तियाँ थीं, “भावों को मैं शब्द देता हूँ बस यही सोचकर, कुछ न कुछ तो छोड़ जाना है ज़माने के लिए I”  डॉ शैलजा दुबे की खूबसूरत पंक्तियाँ थीं, “अनुदित से कभी हैं हम, कभी मदमस्त क्षेपक हैं I  कभी हैं भोर का वंदन, कभी हम सांध्य दीपक हैं I” सुखविंदर कौर ने कारगिल शहीद ऑपरेशन रक्षक छोटे भाई को समर्पित करते हुए मार्मिक कविता पढ़ी,”वो भी इक माँ की आँखों का तारा था,  उसको भी जीवन तुम जैसा प्यारा था I” मीनाक्षी पांडेय के  सुमधुर कंठ से प्रस्तुत गीत को खूब सराहना मिली ,”नेह भरी एक छाँव बोने में, हम अनगिन घावों से भर गये।” हरियाणी हास्य का पुट हरींद्र यादव की रचना में देखने को मिला, “लोग लुगइयों, वोटर भाइयों, थारा कह्या पूगा दूँगा, एक बार मन्ने मौका दे दे, सगले  कष्ट मिटा दूंगा I” दीपशिखा श्रीवास्तव ने मन में उमड़ते प्रश्न के माध्यम से श्रोताओं को सोचने पर  विवश कर दिया,”प्रश्नों के उमड़े इस ज्वार को आज सच की दरकार है बोल मेरी कलम.. लिख सके जो उस सच को क्या तुझमें वो अंगार है..? सुजीत कुमार ने जन कवि दिनकर जी का स्मरण करते हुए बेहतरीन काव्य पाठ किया, ‘मुश्किल है राह मगर चलना जरूर है, मंजिल अभी दूर है…I” शकुनला मित्तल ने शहीदों को नमन करते हुए पंक्तियाँ पढ़ी, “लिपट तिरंगे में तुम आए,कभी भूल नहीं पाऊंगी मृत्यु नहीं अमरत्व मिला है, सोच ये मांग सजाऊंगी I” रवि किरण सचदेव की ग़ज़ल को भी सराहा गया,”नेवले बनकर पुरोधा सामने जब आएंगे…I” किरण यादव की बानगी देखिये, “बार-बार आ रही हैं कानों में, जिंदगी ये तेरी सदा है क्या ”  नरेंद्र गौड़ ने अपनी रचना ‘झाड़-फूंक’ के माध्यम से माँ की महिमा को सुन्दर ढंग से बयां किया I चांदनी केसरवानी के गीत एवं मीना चौधरी के दोहों को भी प्रशंसा मिली I मदन साहनी ने अपनी चर्चित कविता मछलियां पढ़ कर वाहवाही लूटी I वरिष्ठ कवि राजेश्वर वशिष्ठ ने सशक्त  रचना पढ़ी I सुनील शर्मा ने ओजस्वी वाणी में वीर रस की कविता पढ़ी I अनिल श्रीवास्तव ने हास्य व्यंग्य रचना ‘निष्ठावान नेता’ पढ़ी I प्राचार्य स्नेहा जी ने कवियों को अपने विद्यालय में छात्रों के बीच काव्य पाठ करने एवं प्रतिभावान छात्रों को प्रोत्साहित करने हेतु निवेदन किया I

डॉ. धनीराम अग्रवाल ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए सफल व सार्थक आयोजन के लिए साधुवाद दिया I डॉ अशोक बत्रा व अनिल आर्य ने अतिथि-गण को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया I अनिल आर्य ने  विद्यालय की प्राचार्य व प्रबंध निदेशक ऊषा प्रियदर्शी, सहभागी कवियों, आमंत्रित अतिथि-गण एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया I इस अवसर पर नीरज श्रीवास्तव ओमप्रकाश सैनी सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे I

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