नेपाल का प्रतिनिधि मंडल पहुंचा गुरुकुल, 3 दिनों तक सीखेंगे प्राकृतिक खेती के गुर। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 12 सितम्बर : गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत जी के प्राकृतिक कृषि माॅडल पर अब विदेशी धरती पर भी प्राकृतिक खेती होगी। श्रीलंका के बाद अब नेपाल से 25 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल गुरुकुल मंे प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग हेतु पहुंचा है जो यहां पर 3 दिनों तक रहकर प्राकृतिक खेती की बारीकियां और वैज्ञानिक पहलुओं को समझेगा, साथ ही गुरुकुल फार्म का अवलोकन कर फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन को तथ्यों के साथ जान पाएगा। नेपाल के विदेश मंत्रालय के अपर सचिव गोकुल वी. के. और कृषि, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अधिकारियों का यह दल मंगलवार रात गुरुकुल में पहुंचा। आज हुई ‘प्राकृतिक कृषि गोष्ठी’ में राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी प्राकृतिक कृषि के सिद्धान्त और इसकी आवश्यकता पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डाॅ. हरिओम द्वारा लिखित ‘प्राकृतिक खेती के मूलभूत सिद्धान्त’ नामक पुस्तक का भी राज्यपालश्री द्वारा विमोचन किया गया। गोष्ठी में व्यवस्थापक रामनिवास आर्य विशेष रूप से उपस्थित रहे। आचार्यश्री ने बताया कि पिछले दिनों नेपाल के प्रधानमंत्री ने खाद की कमी को दूर करने हेतु भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से आग्रह किया। इस पर मोदी जी ने कहा कि खेती में रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड का प्रयोग तो हम स्वयं बंद करवाने के पक्ष में है, हम आपको रासायनिक खाद नहीं देंगे बल्कि इसका एक प्रबल विकल्प दे सकते हैं जिसे अपनाकर किसान खुशहाल होगा और धरती का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। नेपाल के प्रधानमंत्री की स्वीकृति के उपरान्त मोदी जी ने नेपाल के डेलीगेशन को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी राज्यपालश्री को सौंपी। इस प्रकार अब नेपाल की धरती पर भी प्राकृतिक खेती का शुभारम्भ होगा। रासायनिक खेती पर बोलते हुए राज्यपालश्री ने बताया कि पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में एक सर्वे करवाया गया जिसमें यह बात सामने आई कि खेतों में रासायनिक खाद, केमिकल और पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से बच्चों में हार्ट प्रोब्लम, किडनी फेल्योर जैसी बीमारियां पनप रही हैं, कई जगहों पर रासायनिक खेती के चलते लोगों में चर्मरोग बढ़ता जा रहा है, पंजाब से तो कैंसर के मरीजों हेतु एक कैंसर ट्रेन भी चलाई जा रही है। ऐसे में खेती में पेस्टीसाइड और केमिकल का इस्तेमाल बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा ही हाल जैविक (ऑर्गेनिक ) खेती में है, इसमें प्रयोग होने वाले खाद और दवाइयां इतनी महंगी है कि किसान की लागत बहुत अधिक बढ जाती है और उत्पादन घट रहा है। राज्यपालश्री ने बताया कि उन्होंने स्वयं लगभग 5 वर्षों तक आॅर्गेनिक खेती की है मगर इसमें उत्पादन लगातार घटता रहा, इसलिए बाद में उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती ही किसान और पर्यावरण को बचा सकती है और यह पूरी तरह से किसानों के हित में है। उनके नेतृत्व में अब तक हिमाचल, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंधप्रदेश, गोवा आदि में लाखों किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है और आने वाले दो वर्षों में गुजरात को जहरमुक्त प्रदेश बनाना उनका लक्ष्य है। नेपाल से आए अतिथिगण डाॅ. हरिओम के नेतृत्व में गुरुकुल के फार्म पर पहुंचे जहां उन्होंने गन्ना, धान, ड्रेगन फ्रूट सहित विभिन्न सब्जियों की फसलों को देखा। डाॅ. हरिओम ने बताया कि यहां पर धान में पानी हमेशा भरकर नहीं रखा जाता बल्कि दूसरी फसलों की तरह ही सिंचाई की जाती है और उत्पादन रासायनिक खेती से अधिक होता है। इसी प्रकार गन्ना एक बार लगाने के बाद लगातार 5 वर्षो तक फसल होती है जिसका उत्पादन 400 से 600 क्विंटल प्रति एकड़ तक हुआ है। फार्म पर सेब और केले की लघु वाटिका भी अतिथियों को खूब पसंद आयी। फार्म के भ्रमण के उपरान्त सभी अतिथि संतुष्ट नजर आए और उन्होंने आचार्यश्री के प्राकृतिक कृषि मिशन से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने का संकल्प लिया। Post navigation सेवा ट्रस्ट यू.के. इंडिया ने कुरुक्षेत्र पहुंची छात्राओं को किया सम्मानित वर्तमान युग में प्राचीन भारतीय खाद्य संस्कृति का विशेष महत्व : प्रो. सोमनाथ सचदेवा