भाजपा का किसान विरोधी चेहरा आया सामने।

चंडीगढ़, 9 सितंबर। किसानों की हमदर्दी जताने वाली केंद्र की भाजपा सरकार किसानों से लंबे समय से भारी भरकम जीएसटी नाजायज रूप से वसूल रही है जिससे भाजपा का किसान विरोधी होने का असली चेहरा सामने आया है।

यह बात अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व सांसद कुमारी सैलजा ने कही। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता काबिज होने के बाद जीएसटी घटाने का नाम नहीं ले रही है जबकि राष्ट्रीय किसान संगठन इस मुद्दे को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। किसानों के उपयोग में आने वाली कीटनाशक, खाद, बीजों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाना कतई वाजिब नहीं है। इसके लिए कृषि रसायन क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के संगठन एग्रो कैंम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) जीएसटी को लेकर स्पष्ट कर चुकी है कि उर्वरकों पर पांच फीसदी जीएसटी के मुकाबले कीटनाशक पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जा रहा है जोकि किसानों के हित में नहीं है क्योंकि उन्हें फसल संरक्षक रसायन खरीदने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है।

दूसरी तरफ उर्वरक और फसल संरक्षक रसायन एक ही श्रेणी में आते हैं लेकिन इन पर जीएसटी दर अलग-अलग है जिसका कोई मतलब नहीं बनता। संगठन के अध्यक्ष परीक्षित मूंदड़ा ने जीएसटी को लेकर अनुरोध भी किया लेकिन सरकार इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रही है। पूर्व सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि कीटनाशकों व बीजों पर जीएसटी 18 प्रतिशत लगाया जा रहा है जबकि उर्वरकों पर जीएसटी केवल पांच फीसदी है। समिति की रिपोर्ट में यह बात रखी गई है कि कीटनाशक भी रसायन और पेट्रोकेमिकल्स की स्लैब में आते हैं जिसके अनुसार इन पर भी पांच फीसदी जीएसटी किया जाना चाहिए। कुमारी सैलजा ने कहा कि तकरीबन 90000 करोड रुपए की फसलें कीटों और बीमारियों के कारण सालाना बर्बाद हो जाती है जोकि सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है इसलिए समिति ने भी सुझाव दिया है कि कीटनाशकों पर जीएसटी 18 फीसदी से घटकर 5 फ़ीसदी किया जाना चाहिए ताकि किसानों को लाभ मिल सके और कृषि उत्पादन में वृद्धि हो सके लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार इन सब को अनसुना कर रही है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि कीटनाशकों पर शुल्क कम करने के प्रस्ताव की जांच के बाद वित्त मंत्रालय इस मुद्दे को जीएसटी परिषद के समक्ष रख सकती है। पेस्टिसाइड मैन्युफैक्चरर्स एवं फॉर्म्युलेटेड एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार से बजट में कीटनाशकों पर जीएसटी दर घटाने की मांग भी की है जिन्होंने कीटनाशकों पर जीएसटी दर को 18 फीसदी से घटकर 5 फीसदी करने की मांग की थी जिस पर भी सरकार विचार करने को तैयार नहीं है। पीएमएफएआई ने इसके अलावा ड्यूटी ड्राबैक को 2 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी करने की मांग की थी साथ ही संगठन ने टेक्निकल और फिनिश्ड पेस्टिसाइड्स पर आयात शुल्क बढ़कर 20 से 30 फीसदी करने की मांग की थी। जिस पर सरकार चुप्पी साधे हुए हैं। सैलजा ने कहा कि कृषि रसायन क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के संगठन एसीएफआई ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आगामी बजट में फसल का संरक्षण करने वाले रसायनों पर आयात शुल्क और वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी कम करने का आग्रह किया है लेकिन किसान विरोधी कहलाने वाली भाजपा सरकार इन मुद्दों पर चर्चा करने को भी तैयार नहीं है।

संगठन के अध्यक्ष परीक्षित मूंदड़ा ने अपने बयान में कहा है कि भारत ने पिछले कुछ समय में किसी भी नई फसल सुरक्षा रसायन मोलेक्यूल की खोज नहीं की है इसका कारण बताया गया है कि व्यवसायीकरण तक की प्रक्रिया में अधिक खर्च आना है जो की सरकार की किसान विरोधी मंशा को उजागर करता है। कुमारी सैलजा ने किसानों की हिमायत करते हुए कहा कि उन्हें प्राकृतिक आपदा के दौरान मुआवजा लेने के लिए बीमा कंपनियों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है जबकि किसानों ने इसका मोटा प्रीमियम कंपनियों को भुगतान किया है लेकिन सरकार किसानों की हिमायत करने की बजाय प्राइवेट कंपनियां की सपोर्ट कर रही है। बीमा क्लेम लेने के लिए किसानों को आंदोलन करते हुए जलघर की टंकियों पर चढकर आक्रोश जताना पड़ रहा है। सैलजा ने कहा कि यदि भाजपा की किसान हितैषी नीति है तो श्वेत पत्र जारी करें।

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