भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। लोकसभा चुनाव के लगभग 6 माह बचे और विधानसभा चुनाव के लगभग एक वर्ष। ऐसे में राजनीतिक सैक्टर निष्ठाएं बदलने का मौसम आ गया है। वैसे भी समाचार आने लगे हैं कि कांग्रेस में अन्य दलों के लोग शामिल हो गए, इनेलो में अन्य दलों के लोग शामिल हो गए, आप में अन्य दलों के लोग शामिल हो गए। राजनीति करने वाले लोग ऐसे मौसम में अपना भविष्य तलाशने के प्रयास में निष्ठाएं बदल लेते हैं।

हरियाणा तो वैसे भी आया राम-गया राम की धरती से जानी से जाना जाता है। अगर सत्तारूढ़ भाजपा की बात करें तो इसमें अधिकांश दल बदलकर आए हुए हैं। जब मोदी के नाम की हवा बहने लगी तो उस हवा के साथ वे लोग भाजपा में सम्मिलित हो गए।

वर्तमान राजनीति का स्वरूप बदल चुका है। यहां पार्टी के प्रति निष्ठावान, सच्चे और नैतिकता पसंद लोगों का स्थान चापलूस लोगों ने ले लिया है। राजनीति में वही लोग आगे बढ़ते हैं, जो चापलूसी करने में अव्वल होते हैं।

अभी हमारे गुरुग्राम जिले में ऐसे ही नेता हैं, जो राजनैतिक स्वार्थ के चलते पार्टी तो क्या धर्म भी बदलने को तैयार रहते हैं और मजेदारी देखिए, वही लोग पार्टी में ओहदे पाकर सम्मान प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे ही लोग अब फिर सक्रिय हो गए हैं। आगामी चुनाव का माहौल भांपते हुए यह विचार करने में कि हम किस पार्टी के नेता की अच्छी चापलूसी कर अपना स्थान बना पाएंगे लेकिन कहते वे केवल इतना ही हैं कि हमें अमुक पार्टी की नीतियां अच्छी लगीं अत: हम इस पार्टी के नेतृत्व में कार्य करेंगे।

वर्तमान में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पर ही नजर डालें तो भाजपा के ही आजीवन सदस्य रहने वाले उपेक्षित कार्यकर्ताओं का कहना है कि पहले तो अन्य पार्टियों से आए लोग विधानसभा की टिकट भी पा गए और पार्टी में भी अहम जिम्मेदारी उन्हें मिल गई। तब पार्टी को हमारी निष्ठाएं याद नहीं आईं, अब पार्टी हमें संपर्क करने के खोखले दावे कर रही है। अन्य पार्टी से आए लोग सत्ता की मलाई चाट, मोदी का जादू कम होते देख अन्य पार्टियों की ओर नजर गढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में राजनीति समाजसेवा नहीं केवल व्यापार बनकर रह गई है।

इस समय लगभग सारे हरियाणा में और गुरुग्राम में भी ऐसे कई नेता सक्रिय हो गए हैं जो राजनैतिक पूंजी निवेश कर आगामी चुनाव में अपना सत्ता में स्थान प्राप्त करने में लगे हुए हैं। उन लोगों का कहावत में यही कार्य लगता है कि जहां देखे तवा-परात, वहीं गुजारी सारी रात।

जनता को जागरूक होना होगा:
वर्तमान में जनता के सामने सभी दल बड़े-बड़े ख्वाब दिखाकर अपनी उपलब्धियों के गीत गा रहे हैं। जैसे सत्तारूढ़ भाजपा ने कुछ ऐसे कार्यक्रम चला रखे हैं, जिनसे वह जनता के पैसे से ही अपना प्रचार कर रहे हैं।

इसी प्रकार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की बात करें तो वह पिछले दस वर्ष के शासन और अन्य राज्यों से तुलना कर खुद को बेहतर बता रही है।

जजपा और इनेलो ताऊ देवीलाल के नाम को भुनाने के प्रयास में हैं और कह सकते हैं कि नई हरियाणा में आई आप पार्टी बिजली मुफ्त का प्रचार कर हरियाणा की सत्ता को हथियाना चाहती है।

जनता को सोचना होगा कि कोई भी दल अपने पास से कोई पैसा नहीं लगाता, कोई सामान मुफ्त नहीं देता, वह जनता के टैक्स में से ही देता है। और जहां वह टैक्स में से कहीं कुछ मुफ्त देगा तो उसकी भरपाई जनता पर टैक्स लगाकर ही करेगा न। अपने घर से तो नहीं लाएगा। तात्पर्य यह कि जनता को वर्तमान में झूठे प्रलोभनों में न आकर अपने विवेक से सोचना होगा कि किसे चुनकर वह आगामी दिनों में अपने अधिकार की सुविधाएं पा पाएंगे।

कुछ चर्चाकारों से बात हुई तो निष्कर्श यह निकलकर आया कि भगवान ने पशु और इंसान में बुद्धि का ही अंतर कर रखा है। पशुओं को बुद्धिहीन कहा जाता है और मनुष्य को बुद्धिमान परंतु वर्तमान राजनीति में वे लोग ही सफल नजर आ रहे हैं, जिन्होंने अपने विवेक का, अपनी बुद्धि का प्रयोग करना बंद कर, ऊपर से पार्टी के आदेश को मान उसी हिसाब से कार्य कर रहे हैं।

अब आप मनन कीजिए कि बुद्धि का प्रयोग बंद करने वाले लोग क्या आपकी समस्याओं को समझने में अपना विवेक लगाएंगे? शायद नहीं। क्योंकि उन्होंने अपना विवेक प्रयोग न करने की शर्त पर ही तो शक्तियां पाई हैं। तो समय है जनता को जागरूक होने का।

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