गुडग़ांव, 26 अगस्त (अशोक) : उपभोक्ता के बिजली के बिल में बिजली निगम द्वारा 35 हजार 741 रुपए की धनराशि जोडक़र वसूल करने के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज सौरभ शर्मा की अदालत ने बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि जमा कराई गई राशि 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को वापिस की जाए।

सैक्टर 39 के निवासी उपभोक्ता दलीप सिंह के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली निगम ने उपभोक्ता के बिजली के बिल में 35 हजार 741 रुपए की धनराशि जोडक़र भेज दी थी, जब उपभोक्ता ने बिजली निगम से इस बारे में बात की तो पता चला कि 6 अगस्त 2016 की बिजली चैकिंग के दौरान बिजली चोरी का केस बनाकर उपभोक्ता पर 2 लाख 54 हजार 340 रुपए का जुर्माना लगा दिया था और जुर्माने पर 35 हजार 741 रुपए ब्याज बच गया था, जो मई 2019 के बिजली के बिल में जोड़ दिया गया था।

अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता ने बिजली निगम को बताया कि बिजली चोरी का मामला पहले से ही अदालत द्वारा उसके हक में तत्कालीन सिविल जज मनीष कुमार की अदालत दे चुकी है और बिजली निगम की अपील भी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार शर्मा की अदालत में खारिज हो चुकी है और जमा कराई गई जुर्माना राशि भी 12 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को वापिस मिल चुकी है। लेकिन बिजल निगम ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। बिजली बिल में जोड़ी गई राशि ब्याज सहित बढक़र 86 हजार 255 रुपए हो चुकी थी। उपभोक्ता ने बिजली निगम से गुहार भी लगाई कि उसे यह धनराशि वापिस की जाए। लेकिन बिजली निगम ने उसकी एक न सुनी।

अंत में उपभोक्ता को बिजली निगम के खिलाफ 3 नवम्बर 2020 को अदालत में केस दायर करना पड़ा। अब इस मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज सौरभ शर्मा की अदालत नें उपभोक्ता के हक में फैसला देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि 86 हजार 255 रुपए की धनराशि 24 प्रतिशत ब्याज सहित उपभोक्ता को वापिस की जाए। क्योंकि उपभोक्ता पर पहले भी बिजली चोरी का आरोप बिजली निगम ने लगाया था और फिर उसके बाद 35 हजार 741 रुपए गलत तरीके से उसके बिल में जोड़ दिए थे। जिसके कारण उसे बड़ी दिमागी परेशानी हुई है। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता अब उन कर्मचारियों पर मानहानि का केस दायर करने की तैयारियों में जुट गया है, जिन्होंने उसके खिलाफ गलत कार्यवाही की थी।

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