मन, कर्म, वचन को एकाग्र करने का सशक्त माध्यम हनुमान चालीसा पाठ : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। दिनांक 22 अगस्त, मंगलवार को सनातन धर्म, गौरी शंकर मंदिर सेक्टर – 7 एक्सटेंशन, गुरुग्राम में समाजसेवी बोधराज की अगुवाई में हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया। गजेंद्र गोसाई शाम 5 बजे कन्याकुमारी से लेंड किये पर उसके बावजूद समय पर पाठ शुरू किया। इस कार्यक्रम का आयोजन गाबा और वर्मा परिवार द्वारा किया गया। जिसमें सूत्रधार के रुप में ज्योत्सना बजाज और धर्मेंद्र बजाज की विशेष भूमिका थी। आयोजन में 300 से अधिक लोगों ने 21-21 बार पाठ किया। यानी 6300 पाठ हुए।

यद्यपि मंदिर का प्रांगण छोटा था, उसके बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ हर 5 मिनट के अंदर बढ़ती जा रही थी और खचाखच 300 से अधिक श्रद्धालु मंदिर के प्रांगण के अंदर और ना जाने कितने मंदिर के बाहर खड़े होकर के हनुमान चालीसा पाठ का आनंद ले रहे थे। प्रसन्नता की बात यह है कि इस प्रकार के आयोजन में युवा पीढ़ी अब आगे बढ़-चढ़कर के आ रही है। हनुमान चालीसा पाठ के उपरांत बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य का शुभारंभ तुलसीकृत रामायण की चौपाई से किया :

“होई है वही जो राम रचि राखा”

बोधराज सीकरी के कथनानुसार ईश्वर कृपा से असंभव भी सम्भव हो सकता है। उन्होंने एक लघु कथा का उदाहरण देकर के कि किस प्रकार काशी विश्वनाथ में एक बूढ़े ब्राह्मण ने तप कर भोले बाबा को प्रसन्न किया और भोले बाबा से संतान का वरदान मांगा। भोले बाबा ने कहा कि आपको सुपुत्र चाहिए या कुपुत्र। पूछने पर भोले बाबा ने स्पष्ट किया कि कुपुत्र लंबा जिएगा और आपकी सेवा नहीं करेगा लेकिन सुपुत्र अल्पायु होगा परन्तु आपकी सेवा करेगा। ब्राह्मण विद्वान थे। उन्होंने सुपुत्र की इच्छा प्रकट की और भोले बाबा ने उन्हें पुत्र तो दिया और बोला मात्र 5 वर्ष यह बालक जिएगा। ब्राह्मण विद्वान थे तो उन्होंने उन पांच वर्षों में उस बालक के अंदर इतने अच्छे आध्यात्मिक संस्कार अंकुरित कर दिए कि जब अंतिम वर्ष आया तो उस बच्चे का रुझान संतों की तरफ हो गया और जो भी संत आये उसे आशीर्वाद देकर जाए। एक दिन ऐसा हुआ कि सप्त ऋषि आए जब मात्र एक सप्ताह उसका जीवन बाकी था। सप्त ऋषियों ने चिरंजीवी और आयुष्मान का वरदान दिया और ब्राह्मण प्रसन्न हो गया। जब सप्त ऋषियों को मालूम हुआ कि इस बालक की मात्र आयु एक सप्ताह है तो वो चिंतित हुए ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी को प्रणाम किया। ब्रह्मा जी ने सप्त ऋषियों को आयुष्मान भव और चिरंजीवी भव का आशीर्वाद दिया। इसी तरह उस बालक ने भी प्रणाम किया उसे भी वही वरदान दिया।

जब ब्रह्मा जी को वास्तविकता मालूम हुई तो वो भी चिंतित हुए और सभी सप्त ऋषि मिलकर ब्रह्मा जी के साथ भगवान शिव के दरबार में गए और शिवजी ने भी सभी को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया, चाहे वो ब्रह्मा जी हों, चाहे वो सप्त ऋषि हों, चाहे वो नन्हा सा बालक हो। जब शिवजी को पता चला कि यह तो वही बालक है ब्राह्मण पुत्र जिसको मात्र 5 वर्ष तक जीवन है तो वो बच्चा शिव प्रभु के चरणों में नतमस्तक हो गया और जैसे ही उसका अंतिम समय आया तो उस समय यमराज आया। उस समय बच्चा शिवलिंग के पास बैठकर ॐ नमः शिवाय का जाप कर रहा था और जैसे ही यमराज आया तो उस बच्चे ने शिवलिंग को आलिंगन किया और शिव साक्षात अपने त्रिशूल के साथ प्रकट हुए। उन्होंने यमराज को अपना औऱ उस बच्चे का राज बताया। यमराज उस बच्चे को छोड़कर चला गया और वो बच्चा बड़े होकर ऋषि मार्कण्डेय बना जो चिरंजीवी कहलाते हैं जैसे हनुमान जी अमृत्व प्राप्त कर चुके हैं। इस प्रकार मार्कण्डेय ऋषि ने भी अमृत्व प्राप्त किया है। उनके कहने के अनुसार कि असम्भव भी ईश्वर की कृपा से संभव हो सकता है। ब्शर्ते हमारा ईश्वर के प्रति समर्पण, हमारा प्रेम, हमारी आस्था, हमारी भक्ति बिल्कुल नि:स्वार्थ भाव से हो। बोधराज सीकरी के इस वक्तव्य ने सबका मन गद्गद कर दिया।

लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। इसके अतिरिक्त फ्लायर पार्क सुशस्त लोक में 7 लोगों ने पांच-पांच बार पाठ किया। गढ़ी हरसरू में माता वैष्णोदेवी मंदिर में 15 लोगों ने 5 बार पाठ किया। जामपुर शिव मंदिर में 31 लोगों ने 2-2 बार पाठ किया। इसके अतिरिक्त सीकरी जी की 44 लोगों की मित्र मंडली श्री सुरिंदर खुल्लर प्रधान श्री केंद्रीय सनातन धर्म सभा की अगुवाई में कन्याकुमारी रामेश्वरम और मदुरै मीनाक्षी गए और सभी ने रोजाना 1-1 बार पाठ किया। कुल 264 बार पाठ हुए।

मुहिम में अब तक ये आंकड़ा 2 लाख 84 हजार 464 हो गया। कुल लोगों की अब तक की मुहिम में भागीदारी 17807 हो गई।

इस अवसर पर जाने माने समाज सेवी प्रमोद सलूजा, रमेश कामरा, ओ.पी कालरा, केदारनाथ मक्कड़, सतपाल नासा, दलीप लूथरा प्रेसिडेंट आरडब्ल्यूए दशहरा ग्राउंड न्यू कॉलोनी, राम लाल ग्रोवर, रमेश मुंजाल, पंडित हरीश शर्मा , मुल्खराज वाधवा, अशोक गेरा, अनिल कुमार, ओमप्रकाश गाबा, जगदीश कुकरेजा, राजपाल आहूजा, रवि मनोचा, रूपम चौधरी, सुख देव, ज्योत्सना बजाज, ज्योति वर्मा, पुष्पा नासा, शशि बजाज, रचना बजाज, मीनाक्षी मुंजाल, सुंदरी कालरा, सुदेश वाधवा, डॉ. वीना अरोड़ा, यजमान महिंदर गाबा एवं हरीश वर्मा, ज्योति गाबा एवं कंचन वर्मा तथा राजपाल आहूजा, जगदीश मेहता, रमेश खनेजा, जितेंद्र थरेजा, नवीन कुमार, कैलाश सेठी, निर्मला चोपड़ा, चंद्र पोपली, सरला कुमार, कांत मक्कड़, संतोष पाहुजा, सिमरन, मनोज गुप्ता, निधि गुप्ता, राकेश बवेजा, राजपाल नासा, उपस्थित रहे।

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