सरकारी मेडिकल कॉलेज के प्रति रुझान खत्म करने के लिए ही लाए चिकित्सा बॉन्ड पॉलिसी
वायदे के मुताबिक प्रदेश में नहीं खोले जा रहे सरकारी मेडिकल कॉलेज

चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार निजी मेडिकल कॉलेजों के इशारे पर चल रही है। उनके कहे अनुसार ही सरकारी मेडिकल शिक्षा को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लागू की जा रही चिकित्सा बॉन्ड पॉलिसी भी इसी षड्यंत्र का हिस्सा है। जबकि, प्रदेश सरकार अपनी घोषणा के मुताबिक नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने के निर्णय से भी पीछे हट रही है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में निजी कॉलेजों के मुकाबले नाममात्र ही फीस ली जाती रही है। इसलिए सबसे पहले इनकी सीट फुल होती हैं। लेकिन, इनकी फीस बढ़ जाएगी तो फिर निजी मेडिकल कॉलेज भी डोनेशन के नाम पर लेने वाली राशि को बढ़ा देंगे। इससे उन्हें एक ही सेशन में अरबों रुपये का कारोबार मिल जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा दोबारा से लाई गई चिकित्सा बॉन्ड पॉलिसी के पीछे पूरी तरह से निजी मेडिकल कॉलेज हैं, यह बात अब धीरे-धीरे साफ हो गई है। अन्यथा प्रदेश सरकार की इतनी हिम्मत नहीं होती कि जिस पॉलिसी का पिछले साल जबरदस्त विरोध हुआ, उसे नए सेशन से की शुरुआत में फिर से लेकर आ जाए।

कुमारी सैलजा ने कहा कि साल 2014 में प्रदेश में सरकार बनते ही भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया था कि वह प्रदेश के हर जिले में एक-एक सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलेगी। यह दावा 8 साल बीतने पर भी हकीकत नहीं बन पाया है। अभी तक एक भी नया मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं हुआ है। करनाल में खोली जाने वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी का भवन भी अभी तैयार नहीं हुआ है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भिवानी, जींद व नारनौल में मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग का निर्माण तो शुरू हुआ, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इन तीन जिलों के अलावा कैथल, यमुनानगर, सिरसा में मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास की सिर्फ औपचारिकता की हुई हैं। जबकि, अन्य जिलों के लोग अभी तक प्रदेश सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं, कि उनके यहां मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास पत्थर कब रखा जाएगा।

कुमारी सैलजा ने कहा कि रेवाड़ी जिले में एम्स के लिए ग्रामीण अपनी जमीन भी दे चुके हैं, लेकिन 2015 में हुई घोषणा के बाद आज तक शिलान्यास भी नहीं हुआ। इससे साफ है कि राज्य सरकार प्रदेश में न तो सरकारी मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है और न ही सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के प्रति गंभीर है। प्रदेश सरकार सिर्फ दावों व वादों के बीच जनता को सपने दिखा रही है, उन्हें हकीकत में बदलने का उसके पास कोई प्लान नहीं है।

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