रेवाड़ी-28 जुलाई – वेतनमान की मांग को लेकर पिछले 24 दिनों से चली आ रही लिपिकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर सरकार ने सख्त रूख अपनाते हुए भले ही नो वर्क-नो पे (काम नही तो वेतन नहीं) के नियम लागू करने की घोषणा कर दी हो। वहीं सरकार की हठधर्मिता व मनमानी को लेकर लिपिकीय वर्ग कर्मचारियों ने भी अब सरकार से आर-पार की लड़ाई करने की ठान ली है। लिपिकों ने कड़ा रोष प्रकट करते हुए कहा कि तीन वार्ता के बाद भी सरकार जानबूझकर लिपिकीय कर्मचारियों की जायज मांग को पूरा करने में आनाकानी कर रही है। लंबे समय से हड़ताल बैठे लिपिक कर्मचारियों के प्रति सरकार के उदासीन रवैये व मनमानी के कारण कर्मचारियों ने आत्म सम्मान की लड़ाई बताते हुए अपने इस आंदोलन बड़ा रूप देने का निर्णय लिया है। 24वें दिन शुक्रवार को भी धरना स्थल पर कर्मचारी पूरे जोश व उत्साह के साथ हरियाणा सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाकर सरकार के खिलाफ गरजते रहेें।

वहीं क्रमिक भूख हड़ताल के सातवें दिन विभिन्न विभागों से 11 लिपिकीय वर्ग महिला कर्मचारियों मंजु कुमारी, ज्योति, अनुराधा, रचना, प्रेम, निशा, किरण, सोनु शर्मा, मोनिका, आशा व अनुराधा ने भूख हड़ताल पर रहकर अनशन जारी रखा।     

लिपिक एसोसिएशन के जिला प्रधान विकास यादव ने कहा कि प्रदेश का समस्त लिपिक वर्ग अपने 35400 रूपये मूल  वेतनमान की जायज मांग को लेकर पूरी तरह से अडिग है। सरकार नो वर्क-नो पे लागू करके व अन्य तानाशाही रवैये अपनाकर लिपिकीय वर्ग के कर्मचारियों को दबाने व बांटने का काम कर रही है। लेकिन कर्मचारी वर्ग किसी भी सूरत में सरकार से डरने व दबने वाला नहीं है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अब किसी भी स्तर पर चली जाए और कोई भी हथकंडे अपनाए लेकिन कर्मचारी पूरी ताकत व एकजुटता के साथ अपनी जायज मांग को पूरा करवाकर ही दम लेंगे। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर एसोसिएशन की राज्य स्तरीय इकाई भी बहुत जल्द ही कड़ा रूख अपनाने जा रही है तथा जल्द ही इसके परिणाम भी देखने को मिलेंगे। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो उसे इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।       

भारत मजूदर संघ के जिला प्रधान सावंत सिंह ने कहा कि तीन वार्ता करने के बाद भी लिपिकों की जायज मांग को पूरा करने के लिए सरकार जानबूझकर तानशाही व टालमटौल का रवैया अपना रही है। उन्होनें रेवाड़ी में जनसंवाद के लिए दौरे पर आए हुए मुख्यमंत्री से भी अपील कि वे समय रहते होश में आए और जल्दी से कर्मचारियों की जायज मांग को पूरा करें अन्यथा इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पडे़गा। उन्होंने आश्वस्त किया कि कर्मचारियों को सरकार व प्रशासन की ज्यादती से डरने की जरूरत नहीं है वो अपने हक की लड़ाई के लिए एकजुट होकर संघर्षरत रहे और 35400 रूपये मूलवेतनमान की मांग को पूरा करवाने के बाद ही धरने से उठे।       

कॉमरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट ने कहा कि सरकार नो वर्क-नो पे का नियम लागू करके कर्मचारियों को डराने व दबाने का काम कर रही है लेकिन कर्मचारी इसके बाद निडर होकर दोगुने जोश व उत्साह के साथ आंदोलन को मजबूत करने में जुट गया है। सरकार को यह नियम लागू करने से पहले समान काम समान वेतन के फार्मूला अनुसार लिपिको की जायज मांग को पूरा करना चाहिए था। लेकिन सरकार भेदभाव व असमानता करके कर्मचारियों को हड़ताल पर बैठने के लिए मजबूर कर रही है। प्रदेश की बेहतर व मजबूत अर्थिक स्थिति होने के बावजूद सीएम के ओएसडी वेतनमान को लेकर दूसरे प्रदेशों से अनुचित तुलना व गलत आंकडे़ प्रस्तुत करके जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे है लेकिन जनता अब उनकी बातों में आने वाली नहीं है। उन्होंने धरनारत कर्मचारियों को हौंसला व आत्मविश्वास बनाएं रखते हुए अपनी जायज मांग को लेकर मैदान में डटे रहने का आह्वान किया।       

वन विभाग कर्मचारी यूनियन के कमल सिंह यादव ने कहा कि सरकार पिछले 24 दिनों से चली आ रही लिपिक कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को गंभीरता से नहीं ले रही है और लिपिक कर्मचारियाें को हल्के में लेकर उनकी एकता को तोड़ने का प्रयास कर रही है। नो वर्क-नो पे, डयूटी पर लौट आने संबंधी नोटिस जारी करने तथा सस्पेंड करने की धमकी देकर इस आंदोलन का कमजोर करने का प्रयास करेगी। लेकिन अब कर्मचारियों ने पूरी तरह से ठान लिया है कि वो अपनी 35400 रूपये की जायज मांग को पूरा करवाकर रहेंगे।       

धरने में शुक्रवार को पूर्व डीईओ धर्मबीर बल्डोदिया, बिजेंद्र रंगा, लाजपत कौशिक, विजयलता, सुरेश कुमार, रामनिवास बेनीवाल, रोहताश, आजाद सिंह, सीताराम, बीर सिंह, सुरेंद्र सिंह ने संबोधित करते हुए सरकार से अविलंब धरनारत लिपिकों के सम्मानजनक मूल वेतनमान 35400 रूपये की मांग को पूरा करने की अपील की।

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