‘जो गुर्जर नै छेड़ेगा वो मारा जावेगा…’ मीटिंग में बोले भाजपा विधायक लीलाराम
आज अटेली चौक पर सरकार के द्वारा “जातीय वैमस्य फ़ैलाने” के विरोध में प्रदर्शन, सीएम का पुतला-दहन

अशोक कुमार कौशिक

उत्तरी भारत पर शासन करने वाले 9वीं शताब्दी के शासक मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण को लेकर हरियाणा के कैथल में गुज्जर और राजपूत समुदायों के बीच तनाव व्याप्त हो गया है। इस मामले को लेकर 3 पार्षदों समेत बीजेपी के 29 सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इस्तीफा दे दिया है। दरअसल, हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर प्रतिमा का अनावरण करने वाले थे, उनको राजपूत समुदाय से भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद सरकार ने विरोध को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस तैनाती की। इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों को कैथल पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस को गाड़ियों का रूट बदलना पड़ा।

कैथल में गुर्जर समाज ने सम्राट मिहिरभोज के नाम से एक चौक बनवाया है। इसमें सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे गुर्जर शब्द लिखा हुआ है। गुर्जर शब्द से राजपूत समाज को आपत्ति है। उनका कहना है कि सम्राट मिहिर भोज का चौक बनवाएं, गुर्जर समाज के लोग भी पूजा या अनावरण करें, लेकिन उनके नाम के आगे गुर्जर शब्द ना लगवाएं तो इसी को लेकर राजपूत समाज व गुर्जर समाज में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिसको लेकर जिसको लेकर आज प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हुए थे और चौक के आसपास पूरा एरिया छावनी में तब्दील हो गया था। जैसे तैसे सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण कर दिया गया। प्लीज आपकी तपत अभी दक्षिण हरियाणा में नहीं पहुंची है । दक्षिणी हरियाणा में दोनों समुदायों ने अभी शांति है। आज राधेश्याम गोमला के नेतृत्व में राजपूत समाज के योद्धाओं ने अटेली चौक पर सरकार के द्वारा “जातीय वैमस्य फ़ैलाने” के विरोध में रोष प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री मनोहरलाल का पुतला-दहन किया ।

इसके बाद बीजेपी विधायक लीला राम गुर्जर ने मिहिर भोज को गुर्जर शासक के रूप में चित्रित करने वाली प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री नहीं आ सके, क्योंकि उन्हें एक बैठक में भाग लेना था। पुलिस सुरक्षा में प्रतिमा का अनावरण करने के बाद बीजेपी नेता ने दावा किया कि मिहिर भोज गुर्जरों के पूर्वज थे।

विधायक लीलाराम ने कहा कि हमने गुर्जरों के पूर्वज सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया है। पूरा समुदाय खुश है। इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं हुआ है। प्रतिमा का अनावरण करने के लिए शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर को यहां (कैथल) पहुंचना था, लेकिन कुछ बैठकों के कारण वह नहीं पहुंच सके।

‘जो गुज्जर नै छेड़ेगा वो मारा जाएगा…’

यहां पर गाने चल रहे थे ‘जो गुज्जर नै छेड़ेगा वो मारा जाएगा…’ इन्हीं गानों के शब्दों का सहारा लेते हुए विधायक लीलाराम ने अपने संबोधन में कहा ‘जो गुज्जर को छेड़ेगा वो मारा जाएगा… गुज्जर को कोई नहीं छेड़ सकता, सिर्फ गुर्जर ही छेड़ सकता है।’ अब विधायक के इन बोल को लेकर विवाद छिड़ा है. ससे पहले भी विधायक लीलाराम विवादित बयान दे चुके हैं।

आमने-सामने गुर्जर और राजपूत समाज

गौरतलब है कि सम्राट मिहिरभोज के नाम से गुर्जर समाज ने चौक कैथल में बनवाया है, जिसमें सम्राट मिहिरभोज के नाम के आगे गुर्जर सम्राट लिखा गया है। राजपूत समाज ने इस पर आपत्ति जताई है। जिसके बाद 19 जुलाई को राजपूत समाज के लोग इकट्ठा हुए तो पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए उन्हें खदेड़ दिया। वहीं, राजपूत समुदाय ने कहा कि मिहिर भोज को गुर्जरों का पूर्वज कहना ‘इतिहास को विकृत’ करना है। इतिहासकारों का दावा है कि 9वीं शताब्दी के शासक प्रतिहार राजपूत वंश के थे और गुर्जर उपसर्ग उस क्षेत्र को दर्शाता है, जहां उन्होंने शासन किया था, जो वर्तमान दक्षिण राजस्थान और उत्तरी गुजरात है।

हरियाणा बीजेपी के नेताओं का सामूहिक इस्तीफा

राजपूत समाज के लोगों पर बुधवार को किए गए लाठीचार्ज व आंसू गैस को लेकर समाज में भाजपा से जुड़े पदाधिकारियों ने पार्टी के विभिन्न पदों से सामूहिक त्यागपत्र दे दिया। घटना के बाद कैथल जिले के तीन पार्षदों समेत बीजेपी के 29 सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष को लिखे पत्र में सदस्यों ने पार्टी पर उनके इतिहास को विकृत करने में मदद करने और पुलिस की मदद से मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण करने का आरोप लगाया है। इसमें ये भी कहा गया है कि मिहिर भोज को गुर्जर के रूप में दर्शाया गया है, जो कि गलत है।

राजपूतों के खिलाफ पुलिस ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की

कैथल से बीजेपी पार्षद विकास राणा ने कहा कि सामूहिक इस्तीफा सिर्फ शुरुआत है। अगर पार्टी हमारे इतिहास को विकृत करना जारी रखती है, तो आगामी चुनावों में बुरी तरह हार जाएगी। राजपूतों के खिलाफ पुलिस द्वारा पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की गई, यह सब भाजपा सरकार के संरक्षण में हुआ । उन्होंने कहा कि हम उस पार्टी के सदस्य होने पर शर्म महसूस कर रहे हैं, जिसमें हमारे समुदाय के लिए कोई सम्मान नहीं है, इसलिए सामूहिक इस्तीफा दिया गया।

कलायत मंडल के अध्यक्ष महीपाल राणा ने कहा कि पूरे प्रकरण के जिलाध्यक्ष अशोक गुर्जर जिम्मेदार हैं। पार्टी उनके लिए सर्वोपरि थी। प्रतिमा पर गुर्जर शब्द की जगह वे लोग हिंदू सम्राट लिखवाने के लिए लगातार पार्टी के जिलाध्यक्ष से संवाद कर रहे थे। जिलाध्यक्ष ने उन लोगों को अंधेरे में रखा व प्रशासन पर दबाव बना कर मामले में सामंजस्य बनने ही नहीं दिया। जिलाध्यक्ष राजपूत समाज को मामले का हल सम्मानजनक ढंग से निकालने की बात कही, फिर बाद में समाज को नीचा दिखाने की भूमिका बनाई।

किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष जयदीप राणा ने कहा कि जिलाध्यक्ष ने केवल अपने समाज के हितों को साधा। वीरवार को प्रशासन के संरक्षण में जिलाध्यक्ष पांच लोगों को साथ लेकर मूर्ति का अनावरण करके चले गए। राणा ने कहा कि पार्टी संगठन को जब इस मामले का पता था और मंत्री कंवरपाल गुर्जर प्रतिमा का अनावरण करने आ रहे थे। यदि पार्टी का संगठन चाहता तो मामले में हस्तक्षेप करके सुलझा सकता था। पार्टी छोड़ने की शुरुआत जिला कैथल से हो चुकी है और अब प्रदेश के अन्य जिलों से भी राजपूत समाज के पदाधिकारी अपने दायित्वों से त्यागपत्र देंगे।

दूसरी ओर इस संबंध में भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक गुर्जर ने भाजपा पदाधिकारियों की तरफ से त्याग पत्र देने के मामले में कहा कि राजपूत समाज के लोग उनके बड़े भाई के समान है। वे उनका शांति बनाएं रखने के लिए उनका आभार जताते हैं। जैसे वे कह रहे हैं, ऐसी कोई बात नहीं है।

यूपी और एमपी में भी चल रहा है विवाद

इन्हीं मुद्दों पर पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश के दादरी और मध्य प्रदेश के ग्वालियर में घटनाएं देखी गई थीं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दादरी में गुर्जर शब्द हटाकर मिहिर भोज की मूर्ति का उद्घाटन किया था, जबकि ग्वालियर में मिहिर भोज को गुर्जर बताने पर कोर्ट में मामला चल रहा है. क्षत्रिय संगठनों ने इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और कई राज्यों में आगामी चुनावों में भाजपा सरकार को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है.

error: Content is protected !!