पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच उझ नदी के पानी को लेकर विवाद, पाकिस्तान जा रहा लाखों क्यूसेक पानी
खट्टर बोले- दिल्ली को मुफ्तखोरी की आदत, पंजाब भुगत रहा SYL नहीं बनवाने का परिणाम

अशोक कुमार कौशिक 

लगातार बारिश से उफनाई नदियां जहां अब शांत होने लगी हैं। वहीं, हरियाणा-पंजाब और दिल्ली में बाढ़ को लेकर राजनीति का पारा चढ़ने लगा है। दिल्ली में यमुना नदी ने 45 साल का रिकॉर्ड क्या तोड़ा, राजधानी के कई इलाके जलमग्न हो गए। राहत की बात यह है कि फिलहाल यमुना का जलस्तर घट रहा है और जलभराव की स्थिति भी नियंत्रण में आ रही है। लेकिन दिल्ली में बाढ़ के बाद राहत और बचाव कार्य से ज्यादा चर्चा राजनीति को लेकर रही। दिल्ली में पानी कैसे आया, क्या जानबूझकर छोड़ा गया, देश की राजधानी होने के बावजूद भी दिल्ली इस तरह के हालात का सामना करने के लिए तैयार क्यों नहीं, क्या हर मामले को राजनीतिक रंग देना चाहते हैं केजरीवाल? ये ऐसे सवाल है जो काफी चर्चा में बने हुए हैं। एक नाम इस दौरान खूब चुना गया, वह नाम था हथिनी कुंड बैराज का। हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद ही दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर चला गया और इसने एक बार फिर से हरियाणा बनाम दिल्ली कर दिया। 

राष्ट्रीय राजधानी में बाढ़ का ठीकरा हरियाणा पर फोड़ रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर पलटवार करते हुए सीएम मनोहर लाल ने कहा कि दिल्ली को मुफ्तखोरी की आदत पड़ गई है। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार ने जरा भी प्रयास किए होते तो स्थिति नहीं बिगड़ती। इसी तरह पंजाब सरकार सतलुज-यमुना लिंक नहर बनवा देती तो उसे ऐसी बाढ़ से नहीं जूझना पड़ता क्योंकि अतिरिक्त पानी एसवाईएल के जरिये आसानी से दक्षिण हरियाणा तक पहुंचाया जा सकता था। उधर रावी नदी की ट्रिब्यूटरी उझ नदी से 2.60 लाख क्यूसेक पानी एक बार फिर छोड़ दिया है। यह पानी रावी नदी से होता हुआ पाकिस्तान में चला जाएगा। इस पानी को संभालने के लिए पिछले कई सालों से सिर्फ बातें ही हो रही हैं। इस पानी को आपस में बांटने को लेकर सहमति न बनने के कारण हजारों क्यूसेक पानी हर साल पाकिस्तान जा रहा है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है।

जम्मू-कश्मीर से शुरू होकर 100 किलोमीटर का सफर तय करती हुई उझ पंजाब में रावी नदी में गिरती है। इसमें चार और ट्रिब्यूटरी जिनमें खूनी नाला, तरना, जलालिया, संगरवां भी शामिल हैं। आमतौर पर उझ में 600 क्यूसेक पानी ही होता है अगर इस पर बैराज बना लिया जाए तो इसे 800 क्यूसेक तक बढ़ाया जा सकता है। चूंकि उझ से आने वाले पानी को रोकने के लिए नीचे कोई भी भंडारण व्यवस्था नहीं है इसलिए यह पानी पाकिस्तान चला जाता है।

पंजाब सरकार ने केंद्र को भेजा था ये प्रस्ताव

पंजाब सरकार ने यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था कि मकौड़ा पत्तन पर बैराज बना दिया जाए जो उझ और रावी के बीच का स्थान है और इस पानी को कलानौर और रमदास डिस्ट्रब्यूशन सिस्टम में डालकर गैर सिंचित क्षेत्रों में प्रयोग कर लिया जाए। इसका पानी पीने के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।

केंद्र ने पंजाब के सामने रखी ये शर्त

पंजाब ने इसके लिए 433 करोड़ रुपए की परियोजना साल 2020 में भेजी थी और कहा था इसे नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में लगाया जाए। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि अगर पंजाब इस पानी को पड़ोसी राज्य हरियाणा और राजस्थान की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए हिस्सेदार बनाएगा तो इसे नेशनल प्रोजेक्ट के रूप लिया जाएगा। लेकिन पंजाब ने इस प्रस्ताव पर कहा कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर ही इस पानी के रिपेरियन हिस्सेदार हैं। इस पानी पर केवल उनका अधिकार है। हरियाणा और राजस्थान गैर रिपेरियन राज्य होने के कारण इस पर अपना हक नहीं जता सकते।

नॉर्थ जोन काउंसिल बैठक में तीनों राज्यों के बीच छिड़ी थी बहस

इस साल के जनवरी महीने में जयपुर में नॉर्थ जोन काउंसिल की बैठक में भी इस मुद्दे पर तीनों राज्यों के बीच लंबी बहस छिड़ी थी। लेकिन किसी सिरे पर नहीं चढ़ सकी। पंजाब के जल स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव ने बैठक में कहा कि पानी पाकिस्तान जाने के लिए पंजाब को जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि मकौड़ा पत्तन में जो आधारभूत ढांचा विकसित किया जाना है उसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा चुका है और न ही वह यहां बैराज बनाने की अनुमति दे रहे हैं और न ही फंड। जबकि हरियाणा के अधिकारियों ने कहा कि इस अतिरिक्त पानी को सभी संबंधित राज्यों में वितरित किया जाना चाहिए।

चंडीगढ़ में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि बाढ़ से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश को हरियाणा सरकार पांच करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देगी। अचानक आई बाढ़ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा में आठ से 12 जुलाई के दौरान 110 एमएम वर्षा हुई जोकि सामान्य 28.4 एमएम वर्षा से करीब चार गुणा है।

आम आदमी पार्टी का आरोप

एक ओर आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते रहे कि हमें राजनीति नहीं करनी, मिलकर काम करना है। दूसरी ओर उनके मंत्री ओर पार्टी के नेता भाजपा शासित हरियाणा को दिल्ली में बाढ़ के लिए जिम्मेदार मानते रहे। दिल्ली के सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जानबूझ कर दिल्ली को डुबोया जा रहा है। हथिनीकुंड बैराज से अतिरिक्त पानी केवल दिल्ली भेजा जाता था। सुप्रीम कोर्ट समेत दिल्ली के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों को जलमग्न करने की भी साजिश थी। उन्होंने दावा किया कि बैराज से अतिरिक्त पानी हरियाणा में पश्चिमी नहर और उत्तर प्रदेश में पूर्वी नहर की ओर नहीं छोड़ा जा रहा है। दिल्ली की पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी ने सवाल किया कि क्या शहर में बाढ़ की स्थिति से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह बड़ा सवाल है कि हथिनीकुंड बैराज से सारा पानी सिर्फ दिल्ली के लिए ही क्यों छोड़ा गया? वहां से उत्तर प्रदेश और हरियाणा जाने वाली नहरों में एक बूंद भी पानी नहीं छोड़ा गया। इसका जवाब हरियाणा को देना होगा। क्या दिल्ली में बाढ़ की स्थिति को टाला जा सकता था? 

हरियाणा का पक्ष

आम आदमी पार्टी के आरोपों पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की मसलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अपने तल्ख तेवर दिखाते हुए दिल्ली सरकार को अनपढ़, बेशर्म तक कह दिया। उन्होंने हथिनी कुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़ने के दिल्ली सरकार के आरोप को वाहियात करार देते हुए कहा कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान हमारा हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब पानी ज्यादा हो जाता है तो नदी के नेचुरल फ्लोर की ओर ही इसे छोड़ा जाता है। यह नियम बहुत पहले से बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमें जानबूझकर पानी छोड़ना रहेगा तो इससे हमारा ही नुकसान होगा। दिल्ली के बाद पानी फिर से हरियाणा में ही जाता है और फरीदाबाद और पलवल से यमुना होकर गुजरती है। उन्होंने कहा कि यमुना के साथ हरियाणा का क्षेत्र ज्यादा लगता है। पानी से हमें ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन हमने किसी को बदनाम नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह आरोप-प्रत्यारोप अच्छा नहीं है। यह न तो मानवता, न ही राज्य और न ही देश के हित में है।” खट्टर ने सवाल किया कि क्या ऐसा हो सकता है कि “हम पहले अपने जिलों को डुबो देंगे और फिर दिल्ली को।” उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “यह, हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे, जैसा है।

गौरव भाटिया ने क्या कहा

भाजपा ने आरोप लगाया कि दिल्ली में बाढ़ के लिए आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार जिम्मेदार है। पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्थिति से निपटने में ‘असफल’ रहने के लिए जनता से माफी मांगे। भाजपा ने तो साफ तौर पर कहा कि आप और केजरीवाल अपने भ्रष्टाचार और निष्क्रियता से बचने के लिए बहाना बना रहे हैं। जिस तरह से उन्होंने कोविड-19 और प्रदूषण के दौरान केंद्र और अन्य राज्यों को जिम्मेदार ठहराया था उसी तरह अब वह दिल्ली में आई बाढ़ के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), दिल्ली के उप राज्यपाल और अन्य एजेंसियां लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं जबकि ‘आप’ नेता और केजरीवाल सरकार के मंत्री शहर में आई बाढ़ के लिए ‘साजिश’का आरोप लगा रहे हैं।” 

क्यों हो रही राजनीति

हरियाणा में भाजपा की सरकार है जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की। दोनों एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन। दोनों ओर से हर मामले को लेकर एक दूसरे पर निशाना साधा जाता है और इससे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जाती है। अरविंद केजरीवाल लगातार अपनी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करना चाहते हैं। वह हरियाणा में भी चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा सरकार पर दिल्ली बाढ़ की जिम्मेदारी डालते हुए वह कहीं ना कहीं अपने खिलाफ बन रहे माहौल को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली में चुकी इस वक्त एमसीडी पर भी आम आदमी पार्टी का राज है। ऐसे में दिल्ली बाढ़ को लेकर सबसे ज्यादा सवाल आम आदमी पार्टी से ही पूछे जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी इस बहाने भाजपा पर भी निशाना साधने में लगी रही। साथ ही साथ यह बताने की भी कोशिश कर रही थी कि दिल्ली में अधिकारी उपराज्यपाल का निर्देश मानते हैं इसलिए बचाव कार्यों में देरी हो रही है।

राजनीति में यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की आपदाओं को लेकर राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, सत्ताधारी दल को इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि अभी जो स्थिति आई है, उससे निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। लेकिन लोकतंत्र में इस तरह की स्थिति बहुत ही देखने को मिलता है। हालांकि, जनता राजनीतिक दलों की हर चाल को समझती है और वक्त आने पर इसका जवाब भी देती है। यही तो प्रजातंत्र है

हथनीकुंड बैराज से 500 मीटर पीछे बांध बनाने के लिए होगा सर्वे

मुख्यमंत्री ने बताया कि हथनीकुंड बैराज से 500 मीटर पीछे बांध बनाने के प्रस्ताव पर हिमाचल सरकार के साथ कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा यमुना और सहायक नदियों पर प्रस्तावित रेणुका, किशाऊ और लखवार बांध परियोजनाओं के लिए प्रयासों में तेजी लाई जाएगी। अगर यह बांध बन जाते हैं तो यमुना नदी में साल के सात-आठ महीने पानी का बहाव सुनिश्चित हो सकेगा। 

नदियों में खनन की छूट देने की सिफारिश

विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा लगाए गए आरोपों कि नदियों में बढ़ते खनन के कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है, को अतार्किक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ और खनन का कोई संबंध नहीं है। वास्तविकता यह है कि नदी में वैध खनन से नदियों की जल ग्रहण क्षमता में वृद्धि हो सकती है क्योंकि इससे अतिरिक्त जमा गाद को हटा दिया जाता है। इससे निचले इलाकों में बाढ़ को रोकने में मदद मिल सकती है।

उन्होंने केंद्र सरकार को भी सुझाव दिया है कि नदियों और नहरों में एक सीमा तक खनन की स्वीकृति देकर अतिरिक्त सिल्ट को हटाया जाना चाहिए तलहटी में उनकी जल क्षमता भी बढ़ सके।

‘दिल्ली में पड़ते तीन बैराजों से गाद हटाने के लिए कभी नहीं हुए प्रयास’

यमुना नदी में अचानक 11 लाख क्यूसेक पानी आने से हालात बिगड़ने के आरोप लगा रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बगैर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस स्थिति के लिए दिल्ली सरकार खुद जिम्मेदार है। जब हरियाणा से यमुना में करीब साढ़े तीन लाख क्यूसेक पानी यमुना में गया तो दिल्ली में यह 11 लाख क्यूसिक कैसे हो गया।

‘रिपोर्ट से सामने आएगी हकीकत’

उन्होंने कहा सही मायने में असल वजह दिल्ली में यमुना नदी पर आईटीओ, ओखला और वजीराबाद में स्थित बैराज है जहां भारी मात्रा में गाद जमी हुई है। परंतु दिल्ली सरकार की ओर से कभी इन बैराज की सफाई कराने के लिए न कोई प्रयास हुए और न कभी हमसे कोई मदद मांगी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि रविवार को विशेषज्ञ अफसरों की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंप देगी जिससे बाढ़ की असलियत सामने आ जाएगी।

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