आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री, मंत्री व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ………. क्या 2024 में लगा पाएंगे नैया पार

भरतेश गोयल

मैं कल के प्रमुख समाचारों का शीर्षक देख कर अचंभित था l लगभग सभी प्रमुख पत्रों ने मुख्यमंत्री का गुणगान करते हुए लिखा कि उन्होंने कैसे कई सैकड़ों करोड़ों की परियोजना का शिलान्यास करते हुए प्रदेशवासियों सौगात दी l इस पर सभी मंत्री, विधायक व भाजपा नेता उनका गुणगान करके राजदरबार में अपना नंबर बनाने में लगे रहे l लेकिन मुख्यमंत्री ज़ी प्रदेश की आम जनता चाहे वो युवा हो, गृहिनी हो , व्यापारी हो अथवा सरकारी कर्मचारी हों, सभी बुरी तरह से त्रस्त व पीड़ित हैं l सब्जिओं तथा अन्य खाद्य पदार्थों की आसमान छूती कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है l

लिपिकों की अनिश्चिकालीन हड़ताल चलने से सरकारी कार्यालयों में काम ठप्प पड़ा है व जनता को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है l आप उनके प्रतिनिधियों से मुलाक़ात कर समस्या का समाधान निकालने का प्रयास क्यों नहीं करते जो कि 2014 से ही ठंडे बस्ते में डाल कर एक किनारे रख दी गई हैं l यदि अपने मन की बात न कहकर जनता से सीधा संवाद स्थापित करें तो प्रदेश को विकास की पटरी पर लाया जा सकता है, नहीं तो जिस प्रकार हरियाणा प्रदेश प्रभारी संगठन मंत्री होते हुए अपनी हठधर्मिता के चलते तत्कालीन बंसीलाल सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उसके बाद प्रदेश में भाजपा का क्या हश्र हुआ था किसी से छुपा नहीं है l यदि इतिहास अपने आप को दोहराता है तो इस बार निशाने पर आपकी अपनी ही सरकार होगी l

अब बात करें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनकड़ की जो अपने तीन सालों का कार्यकाल पूरा होने पर प्रेस वार्ता में गर्व से अपनी उपलब्धियों का बखान कर अपनी ही पीठ थपथपा रहे थे l उनके अनुसार अब तक 34 पन्ना प्रमुख सम्मलेन हो चुके हैं व 23 जुलाई को 6 और पन्ना प्रमुख सम्मलेन आयोजित होना निश्चित हुआ है l मात्र दावा करने से सत्यता का धरातल नहीं बदला जा सकता l दक्षिणी हरियाणा में अलग अलग क्षेत्रों के भाजपा कार्यकर्ताओं से बात की गई तो पता चला कि उनमें से अधिकांश को अपनी गली वार्ड या क्षेत्र के पन्ना प्रमुख के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी l राजनीतिक रैलियों की भांति ही पन्ना प्रमुख सम्मलेनों में नेताओं द्वारा अपने लोगों को भर भर कर ले जाने से पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता दिग्भ्रमित हो रहा है, यही कारण है कि मंत्री व नेताओं की सभाओं में वो नदारद रहते हैं l

कार्यकर्ताओं की गहन उदासीनता को देखते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जागना होगा तथा सरकार व संगठन में उचित बदलाव कर सत्ता विरोधी लहर को नियंत्रित करना होगा अन्यथा भविष्य में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं l

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