श्रीराम भक्त हनुमान समस्त मानव जाति के लिए वंदनीय : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। कल दिनांक 18 जुलाई 2023 को आदर्श रामलीला क्लब, अर्जुन नगर में अपने यहां हनुमान चालीसा पाठ की मुहिम जो समाजसेवी बोधराज सीकरी ने चलाई हुई है, उनके माध्यम से आयोजन किया। कार्यक्रम से पूर्व गजेंद्र गोसाईं के हाथ से हनुमान जी के ध्वज का ध्वजारोहण किया गया, जिसे रामलाल ग्रोवर ने भजन के माध्यम से शुरू करवाया। गजेंद्र गोसाईं ने व्यास गद्दी पर बैठकर लगभग सवा घंटे में संगीतमय और लयबद्ध तरीके से श्री हनुमान चालीसा पाठ का समापन किया और उसके उपरांत लगभग आधे घंटे के बोधराज सीकरी के प्रवचन से वहां बैठे धार्मिक श्रद्धालुओं और साधकों के मन को हर लिया।

उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि हनुमान जी को श्रीराम सदा अपने पास बिठाते है क्योंकि हनुमान जी ने तीन काम किये और वो काम है पहला नाम छोड़ा। हनुमान जी ने अपना कोई नाम नहीं रखा। जब भी कभी अपना परिचय देते थे तो रामदूत जैसे माता सीता के पास जब अशोक वाटिका में गए तो वहां जाकर उन्होंने अपना नाम नहीं बताया। बल्कि कहा कि

राम दूत मैं मातु जानकी।
सत्य सपथ करुनानिधान की॥

इस प्रकार जब हनुमान जी ने अरण्यकांड में राम जी और लक्ष्मण जी का परिचय पूछा तो राम जी ने भी अपना नाम नहीं बताया। क्योंकि वो नाम में विश्वास नहीं करते। उन्होंने कहा

कोसलेस दसरथ के जाए,
हम पितु बचन मानि बन आए।

इस प्रकार आज का समाज नाम में विश्वास करता है एवं मंदिर के अंदर पंखा दान देते समय भी उस पर अपना नाम लिखवाता है। जो अनुचित है।

इसी प्रकार हनुमान जी ने अपना रूप छोड़ा। हनुमान जी वानर का रूप लेकर आए। हमें किसी का मजाक उड़ाना हो, कैसे बंदर जैसा मुंह बनाकर रखा है, कैसे बंदर जैसे दांत दिखा रहा है, यह कहकर किसी का उपहास करते हैं।

हनुमान जी से जब किसी ने पूछा कि आप रूप बिगाड़कर क्यों आए तो हनुमान जी कहा कि अगर मैं रूपवान हो गया तो मेरे इष्टदेव भगवान पीछे रह जाएंगे। इस प्रकार भगवान बोले चिंता मत करो हनुमान मेरे नाम से ज्यादा तुम्हारा नाम होगा। और ऐसा हुआ भी आज राम जी के मंदिर से ज्यादा जगह-जगह हनुमान जी के मंदिर पाए जाते हैं। भगवान राम ने कहा कि मेरे दरबार में पहले तुम्हारे दर्शन होंगे।

राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे

तीसरा यश छोड़ा। हम थोड़ा सा भी बड़ा काम करें तो अपने नाम का प्रचार करते हैं। अखबारों में हमारी फोटो छपती है। पर हनुमान जी ने इतने बड़े-बड़े काम किये पर यश ईश्वर को दिया। एक बार भगवान वानरों के बीच में बैठे थे तो सोचने लगे हनुमान स्वयं अपने मुख से तो कुछ कहेंगे नहीं इसलिए हम ही हनुमान जी की बढ़ाई कर देते हैं। उन्होंने कहा कि हे हनुमान जी तुमने कैसे सागर को पार कर दिया तो हनुमान जी बड़े मुस्कुराकर के बोले

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही

हे प्रभु! आपके नाम की मुंदरी ने मुझे पार किया। भगवान बोले तो वापस कैसे आए तो उन्होंने कहा कि माँ सीता ने अपना चूड़ामणि मुझे दिया था। उस चूड़ामणि का प्रताप था कि मैं वापस आ गया।

भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया। फिर बोले हनुमान जी लंका को कैसे जलाया तो हनुमान जी ने कहा लंका को जलाया आपके प्रताप ने, लंका को जलाया रावण के पाप ने, लंका को जलाया माँ जानकी के श्राप ने।

भगवान ने मुस्कुराते हुए घोषणा की कि हनुमान तुमने यश छोड़ा है तुमने नाम छोड़ा है तुमने रूप छोड़ा है इसलिए ना जाने तुम्हारा यश कौन-कौन गाएगा।

सहस बदन तुमरो यश गावे
अस कही श्रीपत कंठ लगावे।

इस प्रकार बोधराज सीकरी ने हनुमान चालीसा की व्याख्या कर वहाँ बैठे विशेषकर युवाओं का मन हर लिया।

कल के आयोजन में 350 साधकों ने हिस्सा लेकर 21-21बार पाठ किया। सुशांत लोक फ्लायर पार्क में 15 मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों ने 7-7बार पाठ किया। जामपुर शिव मंदिर ईस्ट ऑफ कैलाश में 40 लोगों ने 5-5 बार पाठ किया।

पिछले मंगलवार तक 232965 पाठ हो चुके थे और कल के पाठ की संख्या को सम्मिलित करने के बाद यह संख्या 240620 पार कर गई।

अगला पाठ 25 जुलाई को राधा कृष्णा मंदिर सेक्टर 15 पार्ट 2 में होगा।

आदर्श राम लीला कमेटी के सदस्य : श्री गंगाधर खत्री, जनरल सेक्रेटरी यशपाल ग्रोवर जिन्होंने मंच संचालन किया, उनके साथ अशोक डुडेजा और फरियादी का सहयोग रहा। तीन युवा बच्चों ने हनुमान और सीता की झांकी से प्रस्तुति प्रस्तुत की।

मैट्रिमोनियल सर्विस का श्री गणेश बोधराज सीकरी, ओमप्रकाश कथूरिया, प्रमोद सलूजा, डॉ.परमेश्वर अरोड़ा के हाथों से किया गया।

इस दौरान धार्मिक किताबों की लाइब्रेरी का बोधराज सीकरी ने श्रीगणेश किया। इस आयोजन में नवीन गोयल और डी.पी गोयल ने भी सहभागिता की।

गणमान्य व्यक्तियों में ओमप्रकाश कथूरिया, सुरेंद्र खुल्लर, प्रमोद सलूजा, रामलाल ग्रोवर, धर्मेंद्र बजाज, रमेश कालरा, रमेश कामरा, डॉ.परमेश्वर अरोड़ा, भाजपा नेता पूनम भटनागर, गंगागिरी कुटिया की पूरी टीम, रवि मनोचा, किशोरी डुडेजा, द्वारका दास मक्कड़, रमेश मुंजाल, ब्राह्मण भीम दत्त, जिज्ञासु, वासदेव ग्रोवर, जय दयाल कुमार, अनिल कुमार, ओमप्रकाश गाबा, रूपक चौधरी, पँडित चुन्नी लाल, हरीश शर्मा, नरिंदर कथूरिया, संजय तनेजा, भारत भूषण कालरा, विजय वर्मा, सतपाल नासा, हेमंत मोंगिया, सी.बी मनचंदा, कमल सलूजा, गोपाल गाबा, सुभाष गांधी, उमेश ग्रोवर, अशोक ग्रोवर, टी.सी आहूजा, दीवान डुरेजा, निशि मोंगिया, श्रीमती सुरेश सीकरी, ज्योत्सना बजाज, शशि बजाज, रचना बजाज, रीना रानी, सुनीता हसीजा, आशा, सुमन, लीना, सीमा कपूर व अन्य जन उपस्थित रहे।

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