चंडीगढ़, 14 जुलाई – रिटायर्ड आईएएस और हरियाणा के मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) श्री देवेंद्र सिंह ने कहा कि सीडब्ल्यूसी के दिशानिर्देशों के अनुसार यदि हथिनी कुंड बैराज में पानी का प्रवाह 1 लाख क्यूसेक से अधिक है, तो पानी पश्चिमी यमुना नहर (जिसमें हरियाणा के हिस्से का यमुना जल आता है) और पूर्वी यमुना नहर (जो यूपी की ओर बहती है) में बड़े पत्थरों के कारण प्रवाहित नहीं किया जा सकता क्यूंकि इससे बैराज संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए नहरों के हेड रेगुलेटर के गेट बंद कर दिए जाते हैं और यमुना नदी में पानी के मुक्त प्रवाह के लिए बैराज पर क्रॉस रेगुलेटर के गेट खोल दिए जाते हैं। श्री सिंह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। एक राजनीतिक दल के नेताओं ने आज सोशल मीडिया पर एक वीडियो के माध्यम से आरोप लगाया था कि हथिनी कुंड बैराज से पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर में पानी ना छोडकर यमुना नदी में पानी छोडा जा रहा है जिससे दिल्ली में बाढ आ गई है।

श्री देवेंद्र सिंह ने कहा कि किसी भी स्थिति में वर्तमान में WJC प्रणाली की क्षमता 17000 Cs (अधिकतम) है और EJC की 7000 Cs है, लेकिन ये आम तौर पर 4500 Cs से अधिक क्षमता नहीं रखती। इसके अलावा बैराज के नीचे की ओर कई नाले हैं, जो यमुना नदी में गिरते हैं और जिनसे दिल्ली तक पहुंचने वाले पानी में और वृद्धि होती है और आगरा, यूपी के माध्यम से नदी का पानी बंगाल की खाड़ी में बह जाता है।

उन्होंने कहा कि पूरे देश में यही स्थिति है, जिसमें पहाड़ियों से या नालों से आने वाला अतिरिक्त/बाढ़ का पानी नदियों में गिरता है, जो अंततः इस पानी को समुद्र में बहा देती है। तो इस मामले में भी कुछ भी असामान्य नहीं है और दिल्ली सरकार द्वारा बाढ़ तैयारियों के मामले में अपनी लापरवाही/अक्षमता को छुपाने के लिए अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है।

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