भरतेश गोयल

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, विक्रम नाथ और जस्टिस संजय कौल की पीठ ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अर्थात ई. डी. के डायरेक्टर संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को अवैध घोषित किया है तथा ई डी, सी बी आई के निदेशक के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए उचित सिस्टम स्थापित करने का निर्देश दिया है l

विदित रहे कि संजय मिश्रा ज़ी की नियुक्ति ई डी में 2018 में की गई थी l कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले ही 2020 में उनका कार्यकाल 18 नवंबर 2021 तक बढ़ा दिया गया l 17 नवंबर 2022 को उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही उन्हें कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 18 नवंबर 2023 तक सेवा काल विस्तार की अनुमति दे दी थी l निदेशक का 2 वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात् उन्हें अतिरिक्त 3 और सालों के लिए विस्तार प्रदान किया जा सकता है, ऐसा अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार ने पूर्व में सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को दरकिनार कर दिया जिसके अनुसार किसी भी हालात में संजय मिश्रा का कार्यकाल नवंबर 2021 के बाद नहीं बढ़ाये जाने का निर्देश था l लेकिन केंद्र सरकार ने रिटायरमेंट के बाद भी ई डी एवं सी बी आई के निदेशक को अतिरिक्त पाँच साल का सेवा विस्तार दिया जा सकता है अध्यादेश लाकर एक नया कानून स्थापित करने की कोशिश की जिसके खिलाफ कई लंबित याचिकाओं पर निर्णय सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सेवा विस्तार को अवैध माना और संजय मिश्रा को महज 31 जुलाई 2023 तक का ही वक़्त दिया है जबकि उनका कार्यकाल 18 नवंबर 2023 तक बाकी है l

सॉलिसीटर की तमाम दलीलों के बावजूद कोर्ट का यह फैसला निश्चित रूप से असाधारण व ऐतिहासिक माना जायेगा क्योंकि विपक्ष का आरोप था कि पिछले कुछ वर्षों में ई डी द्वारा दायर विभिन्न नेताओं के खिलाफ मुकदमों में 96% से ज्यादा विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं l पूर्व में शिवसेना के संजय राउत के ऊपर दायर मुकदमे और उन्हें जेल में रखने पर वहाँ के हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले ने जाँच एजेंसी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था l नवाब मलिक सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया जैसे कई नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों में उच्च व उच्चतम न्यायालय का निर्णय आना बाकी है l ऐसे में दिल्ली सरकार की शक्तिओं के खिलाफ लाए गए अध्यादेश का मामला हो, शिवसेना तथा एन सी पी में विभाजन का मामला हो अथवा सुप्रीम कोर्ट में लंबित चल रहे अन्य दो तीन महत्वपूर्ण मुकदमे हों, उनका फैसला ही आने वाले वक्त में देश की राजनीती की दिशा व दशा तय करेगा ऐसा कहना एवं सोचना सर्वथा उपयुक्त रहेगा

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