डीसी रेट व अनुबंध आधार पर कार्यरत कर्मचारी भी पिछले 10 से 20 साल तक सरकार को अपनी सेवाएं देने के बावजूद आज भी निययित होने की आस में अपनी उम्र गंवाते जा रहे है : विद्रोही
भाजपा खट्टर सरकार ने राज संभाला, सबसे पहले कांग्रेस द्वारा बनाई गई कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की इस पोलिसी को ही माननीय न्यायालय का सहारा लेकर रोक दिया और नई पोलिसी आज तक नही बनाई : विद्रोही

7 जुलाई 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने जारी एक बयान में कहा कि हरियाणा भाजपा-जजपा खट्टर सरकार से प्रदेश में कोई वर्ग खुश नही हैं। चाहे प्रदेश का किसान हो, मजदूर वर्ग हो या सरकारी अथवा अर्ध-सरकारी कर्मचारी वर्ग हो, सभी सरकार के तुगलकी फरमानो व क्रियाक्लापों से असंतुष्ट है तथा उनमें सरकार के प्रति भारी रोष है। प्रदेशभर का किसान व मजदूर लम्बे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है तो वहीं सरकारी कर्मचारी पुरानी पैंशन बहाली की मांग को लेकर लम्बे समय से हरियाणा में संघर्ष की राह पर है। दूसरी ओर प्रदेशभर में डीसी रेट व अनुबंध आधार पर कार्यरत कर्मचारी भी पिछले 10 से 20 साल तक सरकार को अपनी सेवाएं देने के बावजूद आज भी निययित होने की आस में अपनी उम्र गंवाते जा रहे है। कच्चे कर्मचारियों की हालत तो और भी दयनीय है, क्योंकि सरकार उनके रोजगार को सुरक्षित करने के प्रति गंभीर नही है अपितु उल्टा उन्हे कैसे बाहर का रास्ता दिखाया जाये, इसकी योजनाएं बनाने को आतुर नजर आती है। जिन कच्चे कर्मचारियों ने 10 से 20 साल तक अपनी सेवाएं सरकार को दे रहे हो, उन्हे अब यदि उम्र के इस पडाव पर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, वे कहीं के नही रहेंगे क्योंकि सरकारी भर्तीयों के लिए अधिकांश की उम्र बीत चुकी चुकी है और अपनी सारी युवावस्था वे सरकार की सेवा में गवां चुके है। सरकार अपने कर्मचारियों के लिए अभिभावक की तरह होती है, किन्तु भाजपा-जजपा सरकार से ऐसी आशा बेमानी है। विद्रोही ने भाजपा खट्टर सरकार को सलाह दी कि उसे अपने पडौसी राज्य राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार व हिमाचल प्रदेश में हाल ही में निर्वाचित कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खु सरकार से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने अभिभावक की भूमिका निभाकर अपने कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का तोहफा दिया है। 

विद्रोही ने कहा कि खट्टर सरकार कच्चे कर्मचारियों की कितनी घोर विरोधी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्ववर्ती भूपेन्द्र सिंह हुडडा नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पोलिसी बनाई थी जिसके आधार पर प्रदेशभर में सैकडों अनुबंधित कर्मचारी पक्के हुए जो आज भी अपनी नियमित सेवा सरकार को दे रहे है। किन्तु जैसे ही प्रदेश में भाजपा खट्टर सरकार ने राज संभाला, सबसे पहले कांग्रेस द्वारा बनाई गई कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की इस पोलिसी को ही माननीय न्यायालय का सहारा लेकर रोक दिया और नई पोलिसी आज तक नही बनाई। बिडम्बना की बात तो यह है कि जो कच्चे कर्मचारी कांग्रेस की सरकार में नियमित हुए थे, उनके भविष्य पर भी भाजपा खट्टर सरकार ने तलवार लटका रखी है। विद्रोही ने कहा कि प्रदेशभर में विभिन्न सरकारी विभागों व कार्यालयों में कार्यरत कच्चे कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर जहां भाजपा खट्टर सरकार द्वारा इनके भविष्य को सुरक्षित नही किया जा रहा है तो दूसरी ओर कोरोना काल से इनकी वेतन बढोतरी भी रोकी हुई जो बढ़ती महंगाई में किसी भी प्रकार न्योचित नही है। जब केन्द्र व प्रदेश सरकार कोरोना काल में रूकी वेतन बढोतरी को शामिल करके पक्के कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते में बढोतरी कर चुकी है, तो ऐसे में कच्चे कर्मचारियों के वेतन में बढोतरी क्यों नही कई, इसका जवाब खट्टर सरकार को देना चाहिए? 

विद्रोही ने कहा कि जब से प्रदेश सरकार ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम का ढमढमा शुरू किया है, तब से यह समस्या उत्पन्न हुई है। इससे पूर्व प्रत्येक वर्ष प्रदेशभर में डीसी रेट में बढोतरी की जाती रही है, जिससे कच्चे कर्मचारियों को वेतन वृद्धि सम्बन्धित लाभ मिल जाता था, किन्तु अब न तो हरियाणा कौशल रोजगार निगम द्वारा वेतन बढोतरी की जा रही है और न ही प्रदेश सरकार को कच्चे कर्मचारियों हितों से कोई लेना-देना है। हालांकि भाजपा खट्टर सरकार द्वारा हरियाणा कौशल रोजगार निगम को एक क्रांतिकारी पहल बताकर इसका गुणगान किया जा रहा है, किन्तु वास्तविता कुछ और ही है। हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत लगने वाला कर्मचारी अथवा वर्षो से कार्यरत जिन कर्मचारियों का इस निगम में मर्ज हो चुका है, नियमानुसार वे भविष्य में नियमित होने के लिए क्लेम नही कर सकते है। इस प्रकार इस निगम में किसी भी कच्चे कर्मचारी का भविष्य सुरक्षित नही है। जिस प्रकार कम्पनियों में लेबर कान्ट्रक्टर कम्पनी मालिक की मांग अनुसार मैन पावर उपलब्ध करवाता है, ठीक उसी प्रकार हरियाणा कौशल रोजगार निगम भी हरियाणा सरकार के विभिन्न सरकारी विभागों/कार्यालयों में मैन पावर उपलब्ध करवाता है और जब तक सरकार को जरूरत होती है, तब तक इनसे काम लिया जाता है और फिर कभी भी ऐसे कच्चे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

विद्रोही ने कहा कांग्रेस व भाजपा की नीति में यही अंतर है। कांग्रेस ने जहां कच्चे कर्मचारियों को पक्का होने का अवसर दिया तो वहीं भाजपा ने सत्ता में आते ही पक्की नौकरियों को कैसे समाप्त किया जाये और जो वर्षो से कच्चे कर्मचारी कार्यरत है, उनके हाथ कैसे काटे जाये, इसी पर ध्यान दिया है। यही वजह है कि आज प्रदेशभर में पक्की नौकरियों की भर्ती करने की बजाय उन पदों को हरियाणा कौशल रोजगार निगम के जरिये कच्ची भर्ती के माध्यम से भरा जा रहा है जो प्रदेश के युवाओं के साथ सरासर अन्याय व धोखाधडी है। विद्रोही ने प्रदेश के सभी वर्गो से अपील की कि भाजपा-जजपा खट्टर सरकार की जनविरोधी नीतियों का डटकर विरोध करे और साल 2024 में होने वाले लोकसभा व हरियाणा विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस का जोरदार समर्थन करे ताकि उनका व भावी पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो सके और कांग्रेस सरकार बनने पर कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की फिर पोलिसी बनाकर उन्हे नियमित किया जा सके। 

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