2022-23 में किये 31,451 फिंगर प्रिंट नेफिस सिस्टम पर अपलोड
प्रदेश का 4 लाख से अधिक फिंगर प्रिंट का डेटा किया गया है नेफिस पर अपलोड

चंडीगढ़, 29 जून – हर इंसान की शक्ल की तरह उसके फिंगरप्रिंट भी अलग अलग पाए जाते है। किसी भी दो इंसान के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते है। जन्म के साथ ही व्यक्ति के जो फिंगरप्रिंट होते हैं, वे ताउम्र वैसे ही रहते हैं, इनमें चोट लगने या किसी अन्य वजह से भी इनमें बदलाव नहीं होता। फिंगर प्रिंट्स को इंसान की यूनिक आईडी माना जाता है और अब इसी विधि का फायदा प्रदेश पुलिस भी उठा रही है। वैसे तो फिंगरप्रिंट का उपयोग पुलिस शुरू से ही अपराधियों की धरपकड़ के लिए  किया जाता रहा है। परन्तु अब अज्ञात शवों की पहचान उजागर करने का काम भी फिंगर प्रिंट्स की सहायता से किया जा रहा है। प्रदेश पुलिस में इसकी जिम्मेदारी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो हरियाणा पर है जिसने पिछले एक वर्ष में लगभग 11 डेड बॉडीज की पहचान उजागर करने में सफलता हासिल की है। इनमें से 7 डेड बॉडीज प्रदेश के अलग अलग थानों में दर्ज आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों की है और अन्य 4 डेड बॉडीज अन्य राज्यों से संबंधित है। नेफिस सिस्टम में हर उस आपराधिक प्रवृति के व्यक्ति का डेटा उपलब्ध है जो किसी न किसी अपराध में या तो गिरफ्तार हुए है या फिर मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2022-23 में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने तकरीबन 31,451 विभिन्न गिरफ्तार, सज़ायाफ्ता अपराधियों और लावारिस डेड बॉडीज और मौका ए वारदात से उठाये गए फिंगर प्रिंट डेटाबेस में अपलोड किये हैं।  

7 डेड बॉडीज प्रदेश से, 4 की अन्य राज्यों के निवासी के तौर पर हुई पहचान

प्रवक्ता ने बताया कि स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को फरीदाबाद, जींद, करनाल, सोनीपत, सिरसा, अम्बाला आदि जिलों से विभिन अज्ञात शव प्राप्त हुए थे, जिनकी पहचान करने में समस्या आ रही थी। सभी प्रिंट्स को नेफिस के सिस्टम से मैच किया गया तो तकरीबन 11 शवों की पहचान करने में सफलता हासिल की है। 11 डेड बॉडीज में से 7 हरियाणा के ही ट्रेस हुए व अन्य 4 दिल्ली, तेलंगाना और पंजाब राज्यों से सम्बंधित है।  नेफिस सिस्टम में पूरे देश के गिरफ्तार, सज़ायाफ्ता अपराधियों और लावारिस डेड बॉडीज और मौका ए वारदात से उठाए गए फिंगर प्रिंट डेटाबेस उपलब्ध है, जिससे मैच करने से अज्ञात शवों की पहचान करने में आसानी हो जाती है।

प्रवक्ता ने बताया कि एससीआरबी में वर्ष 2022 और वर्ष 2023 में मई माह तक विभिन्न केसों में 87 डाक्यूमेंट्स प्राप्त हुए थे। कई केसों में महत्वपूर्ण कागजातों की प्रमाणिकता की जांच की जाती है। ब्यूरो ने सभी कागजातों का परीक्षण कर उनकी रिपोर्ट बनाकर जिला पुलिस को आगामी कार्रवाई के लिए सौंप दिया है।  

इसके अतिरिक्त, ब्यूरो के फोटो सेक्शन में वर्ष 2022 में 185 केसों में और 2023 मई माह तक 173 केसों में विभिन्न फोटोज विश्लेषण के लिए प्राप्त हुए है। वर्तमान में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में बतौर इंचार्ज इंस्पेक्टर प्रीतम, इंस्पेक्टर रमेश चंद्र व उप निरीक्षक करनैल सिंह व उनकी टीम कार्यरत है जो अलग अलग मुकदमों से संबंधित प्रिंट्स, कागजात व फोटो का विश्लेषण करने का काम कर रही है।  

मौका ए वारदात से मिले फिंगर प्रिंट से सुलझाए 2 महत्वपूर्ण केस

प्रवक्ता ने बताया कि मौका ए वारदात से फिंगर प्रिंट द्वारा चोरी के दोनों ही केसों में आरोपियों को पकडऩे के लिए क्राइम इन्वेस्टिगेशन का आधुनिक फिंगर प्रिंट नेफिस सिस्टम सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ। उन्होंने बताया कि जिला पुलिस के 2 महत्वपूर्ण केस में एससीआरबी ने फिंगरप्रिंट को अवलोकन करने के बाद अपराधियों तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दोनों ही चोरी के केसों में उपलब्ध फिंगरप्रिंट पर टीम द्वारा काम किया गया और नेफिस सिस्टम की सहायता से फिंगरप्रिंट का मिलान किया गया है। एससीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों की पहचान करने में जिला पुलिस को सफलता मिली।

नेफिस सिस्टम हुआ था 2022 में लांच, प्रदेश में है 69 वर्कस्टेशन – निदेशक एससीआरबी

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह, जो की वर्तमान में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, ने बताया कि नेफिस वर्ष 2022 में लांच हुआ था, जिस पर प्रदेश भर में वर्तमान में 69 वर्कस्टेशन तकरीबन 64 थानों में स्थापित किये गए है। वहां पर प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी जिम्मेदारी संभाल रहे है। सभी नियुक्त अधिकारियों को एससीआरबी द्वारा ट्रेनिंग भी दिलवाई गई है ताकि डेटा समन्वय करने में समस्या न आये । इसके अतिरिक्त, सभी प्रकार के फिंगर प्रिंट को सभी जिलों के नोडल अधिकारियों की निगरानी में अपलोड किया जा रहा है ताकि नेफिस सिस्टम का कार्यान्वयन सही तरीके से किया जा सके और देश भर में डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। प्रदेश में नियुक्त पुलिस अधिकारियों द्वारा तकरीबन 31,451 फिंगर्स का डेटा 2022-23 में नेफिस सिस्टम पर अपलोड कर दिया गया है। वर्तमान में हरियाणा प्रदेश का तकरीबन 4 लाख से अधिक फिंगर प्रिंट का डेटा नेफिस सिस्टम पर अपलोड किया गया। इस डेटा की सहायता से न सिर्फ संगीन अपराधियों की पहचान होती है, बल्कि अज्ञात शवों की पहचान भी हो जाती है। इन अज्ञात शवों से संबंधित केस को सुलझाने के अलावा एक मानवीय संवेदना भी जुड़ी होती है। पिछले एक वर्ष में 11 अज्ञात शवों की पहचान की गई है और सभी में आगामी कार्रवाई की गई है।

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