हरियाणा में देवीलाल परिवार पर शाह के सियासी संकेत
एक और सहयोगी को धोखा देगी बीजेपी?
दुष्यंत चौटाला ने ऐसे सभी आरोपों पर पूर्ण विराम लगाया
बयानबाजी करने वाले नेताओं को भेजा नोटिस

अशोक कुमार कौशिक

हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूटने की खबरें लगातार चर्चाओं में बनी हुई हैं। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो बीजेपी अकेले जेजेपी के गठबंधन से किनारा कर अकेले चुनाव लड़ना चाह रही है। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि बीजेपी को लगता है इस बार फिर लोकसभा चुनावों में ‘मोदी मैजिक’ चलने वाला है। हरियाणा हिंदी बेल्ट होने की वजह से यहां मोदी मैजिक ज्यादा चलने की संभावना है। 2019 के चुनावों में भी बीजेपी ने पीएम मोदी के नाम से सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में एक बार फिर बीजेपी इसी फार्मूले को लेकर आगे बढ़ना चाहती है। जिसके लिए अब वो जेजेपी से गठबंधन तोड़कर अकेले 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। क्योंकि बीजेपी नहीं चाहती कि मोदी के नाम का फायदा उसकी गठबंधन वाली पार्टी जेजेपी भी उठा पाए। हरियाणा में गठबंधन को लेकर घबराने की खास वजह है वह यह कि हाल ही में हुए पार्टी के सर्वे में गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ने पर पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ सकता है।

भाजपा को ताऊ देवीलाल परिवार का सहारा

मिशन 2024 के तहत अमित शाह ने चौ देवीलाल परिवार को लेकर नए सियासी संकेत सिरसा में दिए थे। सिरसा चौधरी देवीलाल परिवार का सियासी गढ़ है । सबकी उम्मीद के उलट शाह जहां चौटाला परिवार पर कोई ध्यान नहीं दिया रैली में ना तो इनेलो प्रमुख ओपी चौटाला को लेकर कुछ कहा और ना ही राज्य सरकार में गठबंधन की सहयोगी जजपा को। यहां तक कि जजपा को तो इस रैली में बुलाया भी नहीं गया। रैली में ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र अभय सिंह चौटाला जो ऐलनाबाद से विधायक हैं के बावजूद शाह ने इनेलो पर कोई निशाना नहीं साधा। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा को जरूरत पड़ी तो जजपा पर निर्भर नहीं रहेगी बल्कि इनेलो से भी परहेज नहीं करेगी।

सिरसा रैली में अमित शाह ने खास तौर पर पूर्व उपप्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के लिए अपने भाषण में जिक्र किया ।यही नहीं चौधरी देवी लाल के बेटे रणजीत चौटाला के घर भी गए और चाय पी । रणजीत चौटाला निर्दलीय चुनाव जीते थे इस वक्त हरियाणा सरकार में बिजली मंत्री हैं। चौधरी देवीलाल को याद कर हरियाणा के लोगों को यह भी संकेत दिया कि वह कभी अपने पुराने सहयोगियों को नहीं भूलते। भाजपा और चौधरी देवी लाल परिवार का पुराना रिश्ता है। 1987 के चुनाव में तत्कालीन लोकदल के साथ भाजपा का गठबंधन रहा। 1999 में भाजपा का हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन था। मगर भाजपा ने हविपा से गठबंधन तोड़ ओपी चौटाला की पार्टी से गठबंधन किया। तब ओपी चौटाला मुख्यमंत्री बने। हालांकि 2004 में यह गठबंधन टूट गया था।

देवीलाल के कुनबे के 3 परिवार भाजपा के साथ

मौजूदा समय में चौधरी देवीलाल के तीन परिवार भाजपा के साथ हैं । चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला सरकार में निर्दलीय विधायक कोटे से मंत्री हैं । चौधरी देवी लाल के एक बेटे जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला भाजपा के जिला अध्यक्ष और हरियाणा स्टेट कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन थे। आदित्यपुर राष्ट्रीय स्तर पर जो मेवाड़ी देते हुए ने नेशनल काउंसिल आफ स्टेट एग्रीकल्चर बोर्ड का सीनियर वाइस चेयरमैन कर दिया है। मंत्री मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की सहमति के बाद आदित्य देवीलाल को यह भूमिका दी गई। एक पड़पोत्र हरियाणा सरकार में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला है जो कि सरकार में सहयोगी है। सिर्फ एक विधायक वाली इनेलो की गठबंधन से बाहर है।

देवीलाल के बाद चौधरी ओमप्रकाश ने अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम चौटाला लगाने की परंपरा शुरू की। परंतु आदित्य ने अपने नाम के साथ अपने दादा देवीलाल का नाम लिखना शुरू किया। आदित्य के पिता जगदीश सक्रिय राजनीति में नहीं है। आदित्य चौटाला ने 2019 के चुनाव से ठीक पहले डबवाली में सीएम मनोहर लाल की रैली करवा कर अपनी दावेदारी ठोंकी। टिकट भी मिला लेकिन 2019 में डबवाली से विधानसभा का चुनाव में कांग्रेस के अमित सिहाग से हार गए। तब आदित्य को संगठन में पद देते हुए पार्टी ने जिला अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

क्या है गणित भाजपा का

अभी सूबे की सभी 10 सीटों पर बीजेपी के सांसद हैं। ऐसे में यदि गठबंधन में चुनाव हुआ तो अपने हिस्से की सीटें जजपा को देनी होगी। ऐसा हुआ तो लोकसभा के बाद विधानसभा में भी फिर भाजपा पर जजपा का दबाव बढ़ेगा। दूसरा बीजेपी का यह भी मानना है भाजपा गैर जाट वोटों की राजनीति करती है और जेजेपी का आधार जाट वोट बैंक है। यदि जेजेपी को अकेला छोड़ चुनाव लड़ा जाए तो जाट बैंक दो जगह बट सकता है और इससे कांग्रेस को भी नुकसान हो सकता है। जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।

बागड़ी बैल्ट ने नहीं स्वीकारा हुड्डा को अपना जाट नेता

हरियाणा में चौधरी देवी लाल और बंसी लाल जाट नेता माने जाते रहे। चौधरी देवीलाल के बाद के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला को जाट नेता मानने लगी। यह दोनों नेता बागड़ी बैल्ट के है। ओपी चौटाला की सरकार जाने के बाद देशवाली बेल्ट से भूपेंद्र हुड्डा सीएम बने तो जाट समाज ने उन्हें अपना नेता मानना शुरू कर दिया। पूर्व सीएम ओपी चौटाला से धीरे-धीरे बांगर और देशवाली बैल्ट के जाटों ने अपनी दूरियां बढ़ा ली। आज हुड्डा का बांगर व देशवाली बैल्ट में खासा प्रभाव है। परंतु पूर्व सीएम ओपी चौटाला का केवल बागड़ी बेल्ट में ही प्रभाव है। इसी वजह से शाह ने पूर्व सीएम ओपी चौटाला पर कोई बयानबाजी नहीं की जबकि हुड्डा का नाम लेकर बार-बार क्षेत्रवाद की पुरानी यादें ताजा करते रहे।

गठबंधन पर दिल्ली में मंथन

कुछ दिन पहले इसे लेकर दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बैठक बुलाई थी। शाह की सिरसा रैली के बाद यह बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और हरियाणा बीजेपी कोर ग्रुप के नेता शामिल हुए थे। करीब 2 घंटे तक चली इस बैठक में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को लेकर भी बातचीत की गई । बीजेपी का मानना है कि वो अगर जेजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी तो उसे विधानसभा चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। गठबंधन तोड़ने के लिए पंजाब वाला फार्मूला अपनाकर भाजपा अपने ऊपर कोई ब्लेम नहीं लेना चाहती। पंजाब में भी किसान आंदोलन के वक्त भाजपा ने खुद अकाली दल से गठबंधन तोड़ने की बजाय उसे ही मजबूर कर दिया था। आज अकाली दल झील गठबंधन चाहता है लेकिन भाजपा उसे पास नहीं फटकने दे रही।

जेजेपी को लेकर बीजेपी का सख्त रुख

जेजेपी को लेकर अब बीजेपी का रुख सख्त माना जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है निर्दलीय विधायकों का समर्थन। अभी कुछ दिन पहले बीजेपी प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब से 4 निर्दलीय विधायकों और एक हलोपा के संयोजक विधायक गोपाल कांडा ने मुलाकात की थी। उन्होंने सरकार को समर्थन देने की बात कही थी। जिससे अब बीजेपी को लगने लग गया है कि वो निर्दलीयों के सहयोग से भी सरकार को चला सकते है। बीजेपी को लगने लग गया है तो जेजेपी अगर साथ छोड़ती है तो भी उन्हें कोई नुकसान नहीं है। इसलिए अब गठबंधन को लेकर बीजेपी का रूख सख्त होता जा रहा है।

दुष्यंत चौटाला ने ऐसे सभी आरोपों पर पूर्ण विराम लगाया

हरियाणा में गठंबधन से बनी जेजीपी और बीजेपी सरकार के बीच मतभेद होने के आरोप लगातर सामने आ रहे है। वहीं, अब हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ऐसे सभी आरोपों पर पूर्ण विराम लगा दिया है। उन्होंने ऐसे सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है।

“गठबंधन में नहीं कोई मतभेद”

उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश में जब भाजपा और जजपा की गठबंधन सरकार बनी थी उसके तीन महीने बाद ही विरोधियों ने गठबंधन टूटने की बात शुरू कर दी थी। आजतक सरकार चल रही है और आगे भी चलती रहेगी। गठबंधन में किसी प्रकार का मतभेद नहीं है। रही अलग विधानसभा चुनाव चुनाव लड़ने की बात तो भाजपा अपनी तैयारी कर रही है हम अपनी तैयारी कर रहे हैं। उनकी पार्टी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।

बयानबाजी करने वाले नेताओं को भेजा नोटिस

दुष्यंत चौटाला कश्यप धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पार्टी के खिलाफ जो विधायक बयानबाजी कर रहे हैं उनको नोटिस दिया गया है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि पढ़ाई पर जोर दें, पढ़ाई से बड़ी ताकत कोई नहीं है।

उप मुख्यमंत्री ने युवाओं के लिए कही खास बात

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बड़ी संख्या में युवा नौकरी की तलाश में विदेश भाग रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन यहां भी काम करने वालों का संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अपने देश में भी अवसर की कमी नहीं है। युवाओं के इसके लिए पढ़ाई और तैयारी करनी होगी।

रणजीत के सुर दुष्यंत से अलग

हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के बीच मतभेद के संकेतों के बीच राज्य के ऊर्जा मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने दावा किया है कि मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन ”बिना शर्त” बना रहेगा।

भाजपा और जजपा इस बात पर स्पष्ट नहीं हैं कि वे इस साल होने वाला विधानसभा चुनाव और 2024 का लोकसभा चुनाव एकसाथ लड़ेंगे या नहीं और उनके नेता एक-दूसरे पर कटाक्ष कर रहे हैं। चौटाला निर्दलीय विधायक हैं। उन्होंने पांच अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भरोसा दिया। राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा है कि चौधरी रणजीत सिंह चौटाला को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है। उनको चुनाव लड़ाने के पीछे एक तीर से दो शिकार करने के चक्कर में है भाजपा।

उपमुख्यमंत्री एवं जजपा नेता दुष्यंत चौटाला, मंत्री के रिश्ते में पोते हैं। मंत्री ने पीटीआई-भाषा कहा, ”हमारा समर्थन बिना शर्त और पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए है।” रंजीत चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस द्वारा उम्मीदवारी से इनकार करने के बाद रंजीत चौटाला निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे और सिरसा की रानिया सीट से जीत हासिल की।

रंजीत चौटाला ने कहा कि खट्टर हमेशा निर्दलीय विधायकों द्वारा दिए गए सुझावों और प्रतिक्रिया को सुनते हैं और ”हमेशा उनका समर्थन” करते हैं। यह पूछे जाने पर कि भाजपा और जजपा भविष्य में एकसाथ चुनाव लड़ने पर अनिच्छुक क्यों हैं, इस पर ऊर्जा मंत्री ने इसे दोनों पार्टियों का आंतरिक मामला बताया।

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