भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। पंजाब में सरकार बनाने के पश्चात आप पार्टी का उत्साह चरम पर था और उसी को याद कर अब हरियाणा में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। 

आप पार्टी ने एक जून को अपना संगठन बनाया। संगठन बनने पर कार्यकर्ताओं में यह सोच थी कि अब अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाकर कार्य कर सकेंगे परंतु संगठन बनने के बाद भी राजनैतिक चर्चाओं के अनुसार संगठन को केवल दो व्यक्ति चला रहे हैं, एक तो राज्यसभा सदस्य एवं हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता और दूसरे अनुराग ढांडा।

ये दोनों ही पूरे हरियाणा में भ्रमण कर सभाएं करते रहते हैं और ये भागदौड़ में ही इतने व्यस्त रहते हैं कि इन्हें हरियाणा की समस्याओं की जानकारी ही नहीं है।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि एजेंडा शायद दिल्ली से आता है और इनका कहना है कि दिल्ली के स्कूल और मौहल्ला क्लीनिक की बात से ही हरियाणा में विजय पताका फहराई जाएगी। राजनीति में जो व्यक्ति आते हैं, वे अपना वर्चस्व बढ़ाने और भविष्य देखकर आते हैं तो इस तरीके से ये कहा जा सकता है कि आप पार्टी में अधिकतर वह व्यक्ति आए हैं, जिन्हें किसी अन्य पार्टी में ठौर-ठिकाना नहीं मिला या यूं कहें कि जनाधार विहीन व्यक्ति आए हैं। और जो कुछ जनाधार वाले व्यक्ति पार्टी में शामिल हुए थे, वे निष्क्रिय होकर बैठ गए हैं, क्योंकि उन्हें यह महसूस हुआ कि इन परिस्थितियों में हम जो हमारा जनाधार है वह भी खो देंगे। अत: समय का इंतजार कर रहे हैं कि जैसा समय होगा, वैसा निर्णय लेंगे। आप नेताओं का विचार यह लगता है कि सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार कर हरियाणा की जनता में अपनी पहचान बना पाएंगे।

एक बार मेरी डॉ. सुशील गुप्ता से मुलाकात हुई थी और उस मुलाकात में ऐसा मुझे अनुभव हुआ कि उन्होंने अभी हरियाणा के स्कूलों और अस्पतालों की भी पूरी जानकारी नहीं ली है। अत: ऐसी अवस्था में हम कह सकते हैं कि वह केवल और केवल दिल्ली और पंजाब का नाम लेकर हरियाणा फतेह करना चाहते हैं। अब यह तो आना वाला समय ही बताएगा कि हरियाणा की जनता क्या नरेंद्र मोदी की तरह केजरीवाल की दीवानी होकर आप पार्टी को विजयी बनाएगी?