-कमलेश भारतीय लीजिये ! कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे व भाजपा सासंद बृजभूषण शरण सिंह के लिये एक अच्छी तो दूसरी बुरी खबर ! वे नाबालिग पहलवान के बयान से पलट जाने से पाॅक्सो एक्ट से तो बच निकले क्योकि उन्हें भरपूर समय मिला था कि किसी तरह इस नाबालिग बच्ची के परिवार को मना लें और यह आसानी से हो भी गया होगा । पहले तो नकली पिता की मीडिया से बात करवा कर यह दावा किया गया कि वह नाबालिग नहीं है । फिर असली पिता के सामने आने से शायद नयी नीति अपनाई गयी और बयान से बच्ची और पिता को पलटने में देर नहीं लगी । इन्होंने कह दिया कि यौन शोषण नहीं , सिलेक्शन में भेदभाव का हमारा आरोप है । इस तरह बृजभूषण शरण सिंह पाॅक्सो के घेरे से तो बाहर आ गये लेकिन अभी दूसरे घेरे में यानी यौन शोषण के आरोपों मे फंसे हुए हैं । यह उनके लिये बुरी खबर है । कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तो कह दिया कि भाजपा का नया नारा है -बेटी डराओ , बृजभूषण बचाओ ! रणदीप सुरजेवाला ने इसे खेलों की दुनिया में काला दिन करार दिया है जबकि दीपेन्द्र हुड्डा लगातार कह रहे हैं कि मेरे ऊपर कितने भी आरोप लगायें लेकिन मैं बेटियों के सम्मान की लड़ाई लड़ने से पीछे नहीं हटूंगा ! मुझे कुश्ती संघ का अध्यक्ष बनने में कोई दिलचस्पी नहीं । वैसे जिस तरह से महिला पहलवानों से यौन शोषण के साक्ष्य या कोई वीडियो मांगे गये उससे एक बार फिर ‘दामिनी’ फिल्म की याद हो आई जब वकील अमरीश पुरी बड़ी बेहयाई से दामिनी यानी मीनाक्षी शेषाद्रि से सवाल पूछ पूछ कर उसे मानसिक तौर पर पागल सिद्ध करने में सफल हो जाता है ! बताओ कहां हाथ लगा था , कहां और कैसे कैसे छेड़छाड़ की गयी ? यही व्यवहार महिला पहलवानों के साथ हो रहा है जो सचमुच बहुत ही अपमानजनक है । क्या ऐसे यौन शोषण के समय वे वीडियो बनातीं या अपनी रक्षा करतीं ? यानी दामिनी जैसी फिल्में हमारी कानून व्यवस्था का घिनौना सच कही जा सकती हैं ! ये हमारे समाज का ही आइना हैं ! महिला पहलवानों को धरने से उठाने के लिये जिस बर्बरता का सहारा लिया गया वह कदम भी कहीं से संकेत मिलने पर ही उठाया गया ! वह फोटो जो वायरल हुआ साक्षी और विनेश का क्या वह हमारे देश की छवि धूमिल नहीं करता ? आखिर न्याय ही तो मांगा था , कोई हीरे मोती या पद्मश्री तो नहीं मांगे थे ! पंद्रह रुपये के मेडल बता देने वाले बृजभूषण शरण सिंह को सरेआम यह कहने का हक किसने दिया ? पंद्रह पंद्रह साल मिट्टी में बहाये पसीने को एकदम मिट्टी में कैसे मिलाने दिया ? किसलिये इन पंद्रह पंद्रह रुपये के मेडल वालों के साथ फोटोज खिंचवा रहे थे और उन्हें अपने बेटे के चुनाव में स्टार प्रचारक बना कर क्यों ले जा रहे थे ? अभी कुछ खेलों में फिर कुछ नये लोग देश का गौरव बढ़ाकर, पदक जीतकर आये हैं और फिल्म ‘मुझे जीने दो’ का गाना याद आ रहा है : तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूंऔर दुआ दे के परेशान सी हो जाती हूं ! मेडल जीत लाये पर कहीं आपके जीवन में भी महिला पहलवानों जैसे दिन न आयें ! यह सोचकर परेशान सा हूं ! खापें और किसान संगठन अभी रणनीति बना रहे हैं लेकिन बहुत देर होती जा रही है ! इसे तो हमारे शीर्ष नेता सुलझा सकते थे बिना किसी कोर्ट के ! सभी को बुलाते और सुनते कोई हल निकाल लेते ! तब तो इनका सम्मान होता ! इस तरह सड़कों पर धरने प्रदर्शन के लिये छोड़कर चैन से बैठे रहे ! कोई सम्मानजनक हल किये जाने की कोशिश होनी चाहिए!दुष्यंत कुमार कहते हैं :परिंदे अब भी पर तोले हुए हैंहवा में सनसनी घोले हुए हैं !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075 Post navigation गठबंधन की राजनीति ………… यूज एंड थ्रो ? रोड बचाओ समिति ने वन विभाग मंत्री कंवरपाल गुर्जर से मिल वन विभाग में अटकी रोड संबंधी फाइल क्लियर करवाने की मांग की