समाजसेवी बोधराज सीकरी ने किया हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ में छिपे रहस्यों को उजागर
युवा वर्ग को ग्रन्थों में छिपे रहस्य से परिचित कराएं ऋषि : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। समाजसेवी बोधराज सीकरी की अगुवाई में कल दिनांक 13 जून, मंगलवार को श्री गौरी शंकर मन्दिर सेक्टर-9-ए, गुरुग्राम में सुंदरकांड पाठ और हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया।

आपको बता दें कि मुहिम के तहत अब तक 32 से अधिक स्थानों पर 2 लाख एक हजार से अधिक पाठ हो चुके हैं।

गत मंगलवार के आयोजन में कुल व्यक्तियों की संख्या 450 थी, जिन्होंने 11-11 बार पाठ भक्तिमय तरीके से किया। जामपुर शिव मंदिर में 30 लोगों ने 5-5 बार पाठ किया, सुशांत लोक में 22 लोगों ने 7 बार और दो योगा टीचर्स सहित 40 लोगों ने 1 बार पाठ किया।

साथ ही सेक्टर 9ए स्थित चिराग फॉउंडेशन स्कूल के 50 बच्चों ने भी हनुमान चालीसा में भाग लिया। इस प्रकार मुहिम के तहत अब तक कुल पाठ की संख्या 2 लाख 7 हजार पार कर गयी है।

इस आयोजन में बोधराज सीकरी ने हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ में छिपे रहस्यों को उजागर किया। साथ ही एक ग्रंथ है “गुरु गीता” जिसमें छिपी टेक्नोलॉजी का ज़िक्र किया कि उस जमाने में कैसे सूत मुनि जी ने जब साउंड सिस्टम नहीं था तो किस टेक्नोलॉजी से सत्तर हज़ार लोगों को संबोधित किया और गुरु तत्व का ज्ञान दिया । वह टेक्नोलॉजी थी बैखरी, मध्यमा, पश्यंति, परा और अपरा विधि। इसी प्रकार “अगस्त्य संहिता” में छिपे टेक्नोलॉजी का ज़िक्र किया कि कैसे तुलसी से बिजली का आविष्कार किया गया। कैसे श्रृंगी ऋषि ने यज्ञ के माध्यम से महाराज दशरथ के चार पुत्रों को उत्पन्न करने का वरदान दिया। वो टेक्नोलॉजी कहाँ हैं जो लक्ष्मण ने माता सीता को सुरक्षित रखने के लिए रेखा खींची थी। इन टेक्नोलॉजीज को संत पुरुष उजागर कर सकते है।

इस प्रकार उन्होंने गहन विषयों पर व्याख्यान दिया और आग्रह किया कि ऋषियों मुनियों को फिर आगे आना होगा और इन रहस्यों को उजागर करना होगा ताकि आज का युवा ग्रंथों में छिपे रहस्यों से परिचित हो सके क्योंकि आज का युवा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का है और उसे संतों से प्रमाण चाहिए और हमारे संत ही सक्षम है उजागर करने के लिए।

इस मंदिर की आधारशिला प्रातः स्मरणीय, परम पूजनीय स्वामी श्री सुधांशु जी महाराज के करकमलों द्वारा हुई थी। जिसका आभास इस प्रांगण की सकारात्मक ऊर्जा से होता है। बोधराज सीकरी ने स्वामी जी का एक बहुत पुराना उदाहरण प्रस्तुत कर लोगों के मन को गद्गद कर दिया। उन्होंने बताया कि एक बार स्वामी जी ने कहा था कि “जिंदा जाता नहीं और मरा हुआ बताता नहीं” तो स्वर्ग और नरक किसने देखा है l इसकी चर्चा बार-बार होती है। अतः स्वर्ग और नरक यही हैं। जब हम सात्विक वातावरण में सत्संग कर रहे हैं तो हम सभी स्वर्ग में हैं और जब तामसिक प्रवृत्ति के होते हैं तो हम नरक में हैं।

इस अवसर पर गजेंद्र गोसाई ने संगीतमय पाठ कर समां बांधा।गौरी शंकर मंदिर के पदाधिकारी एन पी चंडोक, एच सी कपूर, सुभाष ग्रोवर एडवोकेट, नरेश अग्रवाल, विजय अरोड़ा, मनोज त्रिवेदी, दिनेश शर्मा, राज कुमार, एस पी चित्तोडिया, पी पी मेहता का विशेष सहयोग रहा।

आयोजन में जगदीश ग्रोवर, अशोक दिवाकर, एच.एस चावला, गिरिराज ढींगड़ा, मोहित ग्रोवर, एस. के खुल्लर, राम लाल ग्रोवर, सतीश चोपड़ा, डॉ. परमेश्वर अरोड़ा, धर्मेंद्र बजाज, रमेश कामरा, ज्योत्सना बजाज, रचना बजाज, अश्विनी वर्मा, रणधीर टन्डन, तिलक चानना, रमेश चुटानी, रवि मनोचा, सुभाष गांधी, जगदीश रखेजा, राजेश चुग, किशोरी डुडेजा, सुरेंद्र बरेजा, दलीप लूथरा, अनिल कुमार, वासदेव ग्रोवर, अजय जुनेजा, राजकुमार जुनेजा, द्वारका नाथ, नरिंदर कथूरिया की उपस्थिति रही।

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