भाजपा व जजपा के रिश्तों में दरार, मंत्री बनने की चाह के साथ निर्दलीय विधायकों की भाजपा प्रभारी से मुलाकात
शुगरफेड चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा, किसानों पर लाठीचार्ज से खफा थे

अशोक कुमार कौशिक

हरियाणा में अभी विधानसभा के चुनावों में करीब डेढ़ साल का वक्त है, लेकिन कांग्रेसियों में मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी से घमासान मचा हुआ है। हर कोई अपने हिसार से फील्डिंग कर रहा है। उधर हरियाणा में भाजपा व जजपा गठबंधन के बीच पड़ी दरारों के बीच बृहस्पतिवार को चार निर्दलीय विधायकों ने भाजपा प्रभारी बिप्लब कुमार देब से मुलाकात कर प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। शाहबाद के जेजेपी विधायक रामकरण काला ने शुगरफेड चेयरमैन पद से देकर माहौल को और गर्मा दिया है।

कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी का ही नतीजा है कि पिछले करीब नौ वर्षों से राज्य में कांग्रेस का संगठन तक नहीं बन पाया है। ऐसा भी नहीं है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेसियों में यह संग्राम पहली बार छिड़ा है। इस ‘कुर्सी’ को लेकर कभी से ही कांग्रेस नेताओं में मारामारी रही है। मार्च-2005 में पहला मौका था जब सत्ता की चौधर ने ‘लाल दहलीज’ को लांघा था। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस नेतृत्व ने 2005 में ही पहली बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद 2009 के विधानसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में लड़े गए और कांग्रेस लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही। 2014 के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने हुड्डा को ही मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा। मोदी लहर की वजह से 2014 के चुनावों में कांग्रेस हाशिये पर पहुंच गए और पार्टी को महज पंद्रह सीट ही हासिल हुई। 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया। हालांकि हुड्डा ही इन चुनावों में सबसे बड़ा चेहरा थे। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा चूंकि प्रदेशाध्यक्ष थीं और उनकी अगुवाई में चुनाव लड़े गए, ऐसे में उन्हें भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा उनके समर्थकों द्वारा बताया गया। 2019 के चुनाव परिणाम हैरत में डालने वाले थे। भाजपा के ’75 प्लस’ के नारे और विपरित राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद कांग्रेस 31 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। हालांकि जिस आक्रामकता के साथ कांग्रेस को चुनाव लड़ना चाहिए था, उतना जोश पार्टी नेताओं ने नहीं दिखाया। सैलजा के बाद अब हुड्डा की पसंद के चौ़ उदयभान को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया हुआ है। खुद हुड्डा कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं। बेशक, हुड्डा समर्थक शुरू से उन्हें (भूपेंद्र सिंह हुड्डा) ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करते आ रहे हैं। पिछले दिनों रोहतक में आयोजित कबीर जयंती समारोह में प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान द्वारा दिए गए बयान के बाद कांग्रेस में राजनीति गरमा गई है। उदयभान ने कहा कि इस बार कांग्रेस की सरकार बनेगी और हुड्डा ही मुख्यमंत्री होंगे।

उदयभान के इस बयान के बाद एंटी हुड्डा खेमे की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा ने उदयभान पर पलटवार करते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री बनने की इच्छा सभी की होती है। हुड्डा बनेंगे या कोई और यह हाईकमान तय करेगा’। उदयभान के बयान को अजीब बताते हुए सैलजा ने कहा, जो अध्यक्ष होते हैं उन्हें अपने ओहदे का सम्मान करना होता है। वे हाईकमान की बात मानते हैं। प्रदेशाध्यक्ष पता नहीं क्यों हुड्डा को ही सीएम बनाने की बात कह रहे हैं, जबकि यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर होना है। कर्नाटक के बाद अब टिकट वितरण का काम दिल्ली से ही किया जा रहा है। भविष्य में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ या हरियाणा में भी यही फार्मूला दोहराया जाएगा।

भाजपा जजपा की तल्खी के बीच निर्दलीयों की मुलाकात

हरियाणा में भाजपा व जजपा गठबंधन के बीच पड़ी दरारों के बीच बृहस्पतिवार को चार निर्दलीय विधायकों ने भाजपा प्रभारी बिप्लब कुमार देब से मुलाकात कर प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान, बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद, पूंडरी के विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर ने बृहस्पतिवार रात को दिल्ली में ही भाजपा प्रभारी के साथ मुलाकात की। इन चारों विधायकों ने नई दिल्ली में भाजपा प्रभारी के आवास पर मुलाकात की और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में पूरी आस्था जताई।

हालांकि निर्दलीय विधायकों ने आरंभ से ही सरकार को अपना समर्थन दे रखा है, लेकिन उनकी पार्टी प्रभारी से यह मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दो दिन पहले ही बिप्लब कुमार देब ने भाजपा के सहयोगी दल जजपा को सार्वजनिक मंच से खरी-खरी सुनाई थी।

नयनपाल रावत की बिप्लब देब से मुलाकात होने की संभावना

पृथला के निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत की बिप्लब देब से शुक्रवार को मुलाकात होने की संभावना है। रावत बृहस्पतिवार को नीम करौरी जी महाराज और माता नैना देवी के दर्शनों के लिए गए हुए थे। अभी तक मुख्यमंत्री के साथ निर्दलीय विधायकों की जितनी भी मुलाकातें और बैठकें हुई हैं, उनकी अगुवाई हमेशा नयनपाल रावत ने की है।

भाजपा प्रभारी ने सभी निर्दलीय विधायकों को एक साथ नई दिल्ली अपने आवास पर चाय पीने आने का निमंत्रण दिया था, लेकिन रावत के बाहर होने की वजह से चार विधायकों की मुलाकात हुई। प्रदेश में निर्दलीय विधायकों की संख्या सात है।

– गोपाल कांडा भी सरकार के साथ 

इनमें से महम के विधायक बलराज कुंडू सरकार के साथ नहीं हैं। बाकी छह विधायक रणजीत सिंह चौटाला, नयनपाल रावत, धर्मपाल गोंदर, रणधीर सिंह गोलन, सोमबीर सिंह सांगवान व राकेश दौलताबाद सरकार के साथ हैं। रानियां से विधायक रणजीत सिंह चौटाला को सरकार ने कैबिनेट मंत्री बनाया हुआ है। बाकी निर्दलीय विधायकों को सरकार ने चेयरमैनी देकर एडजस्ट किया हुआ है। सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा भी पूरी तरह से सरकार के साथ हैं।

– निर्दलीय विधायक भाजपा के साथ

सूत्रों के अनुसार निर्दलीय विधायकों ने भाजपा प्रभारी से कहा है कि जजपा के साथ गठबंधन टूटने की स्थिति में सरकार बनाए रखने के लिए वह हर तरह से भाजपा के साथ हैं। बता दें कि राज्यसभा चुनाव में भी निर्दलीय विधायक पूरी तरह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ खड़े नजर आए थे। उस समय नयनपाल रावत ने इन निर्दलीय विधायकों की अगुवानी की थी।

पिछले साढ़े तीन साल से निर्दलीय विधायक इस आस में हैं कि कब भाजपा के साथ जजपा का गठबंधन टूटे और वह सरकार बनाने में भाजपा के सहयोगी बन सकें। बाक्स इसलिए आई भाजपा व जजपा के रिश्तों में दरार भाजपा प्रभारी बिप्लब देब ने अपने फरीदाबाद दौरे के दौरान सार्वजनिक मंच से कहा था कि जजपा किसी गलतफहमी में न रहे।

उसने भाजपा को समर्थन देकर कोई अहसास नहीं कर रखा है अथवा फ्री में समर्थन नहीं दे रखा है। इसके बदले में भाजपा ने जजपा के विधायकों को मंत्री बनाया हुआ है। देब को यह बात इसलिए कहनी पड़ी थी, क्योंकि जब उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता के उचाना से विधायक बनने का दावा किया तो उचाना से मौजूदा जजपा विधायक एवं उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का बयान आया कि कुछ लोगों के पेट में दर्द है। उचाना से मैं ही विधायक बनूंगा।

बिप्लब देब ने कहा – न तो उनके पेट में दर्द है और न ही वह डॉक्टर हैं दुष्यंत के इस बयान के बाद बिप्लब देब ने कहा कि न तो उनके पेट में दर्द है और न ही वह डॉक्टर हैं, लेकिन जजपा को जरूर अपनी सीमा में रहकर बात करनी चाहिए।

हालांकि जजपा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. केसी बांगड ने बाद में स्थिति साफ की कि दुष्यंत ने यह बात बिप्लब देब के लिए नहीं बल्कि किसी और के लिए कही थी। 

– शुगरफेड चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा, किसानों पर लाठीचार्ज से खफा थे

किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में शुगरफेड के चेयरमैन जजपा विधायक रामकरण काला ने चेयरमैनी का पद छोड़ दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पास भेज दिया है।

बता दें कि बुधवार को जननायक जनता पार्टी विधायक रामकरण काला ने तीखे तेवर दिखा दिए थे। उन्होंने साफ कहा था कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठीचार्ज करना निंदनीय है, इस मामले को वार्ता से निपटाना चाहिए था। उन्होंने किसानों पर हुई पुलिस कार्रवाई (केस) वापस लेने, बिना शर्त नहीं छोड़े जाने की सूरत में शुगर फेड चेयरमैनी पद से 24 घंटे के अंदर इस्तीफा दे देने की धमकी दी थी।

हरियाणा में सरकार बनाने के लिए चाहिएं 46 विधायक 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में सरकार गठन के लिए 46 विधायकों की जरूरत है। आदमपुर उपचुनाव में जीत के बाद भाजपा विधायकों की संख्या 41 हो चुकी हैं।

– जजपा के 10 विधायकों का समर्थन सरकार के साथ

जजपा के 10 विधायकों का समर्थन सरकार के साथ है। अगर गठबंधन टूटता है तो भाजपा को सरकार में बने रहने के लिए पांच और विधायकों की जरूरत होगी। छह निर्दलीय विधायक खुलकर सरकार के साथ हैं। गोपाल कांडा का भी समर्थन है।

ऐसी स्थिति में भी भाजपा के पास कुल संख्या बल 48 बनता है। यदि जजपा का गठबंधन टूटता है तो निर्दलीय विधायकों की साढ़े तीन साल पुरानी मंत्री बनने की आस पूरी हो सकती है। 

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