डॉ. जी. अनुपमा की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के सचिवों के साथ अंतर-क्षेत्रीय बैठक आयोजित

चंडीगढ़, 24 मई – अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण हरियाणा डॉ. जी. अनुपमा की अध्यक्षता में आज यहां विभिन्न विभागों के सचिवों के साथ वेक्टर जनित रोगों (वीबीडी) का नियंत्रण और रोकथाम के लिए स्थाई रणनीति तैयार करने हेतु एक अंतर-क्षेत्रीय बैठक आयोजित की गई।

बैठक में प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) श्री राजनारायण कौशिक, डीजीएचएस हरियाणा, डॉ. उषा गुप्ता और राज्य मुख्यालयों के वेक्टर जनित रोग अधिकारियों ने भी भाग लिया।

बैठक के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. जी अनुपमा ने बताया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने देश में वर्ष 2027 तक  मलेरिया की घटनाओं को कम करने और हरियाणा राज्य से वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा राज्य मलेरिया उन्मूलन के पथ पर अग्रसर है और अंबाला, फतेहाबाद, गुरुग्राम, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, पलवल और पंचकुला सहित आठ जिलों ने वर्ष 2022 के दौरान जीरो मलेरिया केस की सूचना दी है।

इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने वेक्टर जनित रोगों की घटना को कम करने और मृत्यु दर को रोकने के लिए सभी निवारक और नियंत्रण उपायों को पहले ही तेज कर दिया है। वर्ष 2023 के दौरान वेक्टर जनित रोग विशेष रूप से एकत्र पानी में मच्छर पनपने से रोकने व डेंगू गतिविधियों  के लिए मजबूत प्रबंधन में अन्य विभागों की भी मदद ली जा रही है।

डीजीएचएस हरियाणा, डॉ. उषा गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) सहित चार वेक्टर जनित रोग प्रचलित हैं, जो ठहरे हुए पानी में पनपने वाले संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।

बरसात के मौसम  में पानी के संग्रहण के कारण मच्छरों के प्रजनन स्थलों के निर्माण की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सोर्स रिडक्शन एक्टिविटीज पर जोर दिया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत राज्य में प्रचलित सभी चार  वेक्टर जनित रोगों को 31 मार्च 2024 तक अधिसूचित किया गया है, इसलिए सभी अस्पतालों प्रयोगशालाओं के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे अपने संस्थानों में  वेक्टर जनित रोगों  के किसी भी मामले की सूचना दें। डेंगू नियंत्रण पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच निःशुल्क उपलब्ध है। अस्पताल और वर्तमान में, राज्य में कुल 27 डेंगू परीक्षण प्रयोगशालाएँ कार्य कर रही हैं, प्रत्येक जिले में कम से कम एक प्रयोगशाला कार्यरत है।

इसके अलावा, निजी अस्पतालों, प्रयोगशालाओं को अनुशंसित डेंगू परीक्षण (एलिसा आधारित एनएस1 और आईजीएम) के लिए अधिकतम 600 रुपये चार्ज करने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के डेंगू मरीजों को भी प्लेटलेट्स निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। 

आपात स्थिति में निजी ब्लड बैंकों से प्लेटलेट्स प्राप्त करने का भी प्रावधान किया गया है, जिसका खर्चा राज्य सरकार वहन करेगी।  

इस बीच, शहरी स्थानीय निकाय विभाग को मलेरिया की रोकथाम के लिए केस-आधारित फॉगिंग (रैंडम फॉगिंग नहीं) करने का निर्देश दिया गया। ट्रांसमिशन सीजन में फॉगिंग कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से फॉगिंग का शेड्यूल तैयार करने के भी निर्देश दिए।

वेक्टर जनित रोगों पर नियंत्रण-2010 के उपनियमों तहत जहां मच्छरों का प्रजनन पाया जाता है। वहां पर नोटिस जारी कर घर-घर, दुकान, कारखाने के मालिक आदि का चालान 200 से 2000 रुपये तक किया जा सकता है। शहरी क्षेत्र के लिए अन्य प्रमुख गतिविधियों में कचरा हटाना, शहरी क्षेत्रों में पानी के ठहराव को रोकना इसमें शामिल हैं।

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