सरकारी पोर्टल पर हरियाणा के 2.63 लाख किसानों ने रबी फसल बर्बादी के लिए 17.14 एकड़ लाख जमीन में फसल खराबा का मुआवजा मांगा था, लेकिन भाजपा-जजपा सरकार ने बीमा कम्पनियों से सांठगांठ करके 12.52 लाख एकड़ जमीन को कथित विशेष गिरदावरी से बाहर कर दिया क्योंकि गिरदावरी में 12.52 लाख एकड़ जमीन में फसल खराबा 25 प्रतिशत से कम दिखाया : विद्रोही

22 मई 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार फरवरी-अप्रैल माह में वर्षा, आंधी व ओलो से नष्ट फसलों का किसानों को पर्याप्त मुआवजा न मिले, इसके लिए बीमा कम्पनियों से सांठगांठ करके अधिकांश किसानों को मुआवजा राशी से वंचित कर दिया।

विद्रोही ने कहा कि सरकारी पोर्टल पर हरियाणा के 2.63 लाख किसानों ने रबी फसल बर्बादी के लिए 17.14 एकड़ लाख जमीन में फसल खराबा का मुआवजा मांगा था, लेकिन भाजपा-जजपा सरकार ने बीमा कम्पनियों से सांठगांठ करके 12.52 लाख एकड़ जमीन को कथित विशेष गिरदावरी से बाहर कर दिया क्योंकि गिरदावरी में 12.52 लाख एकड़ जमीन में फसल खराबा 25 प्रतिशत से कम दिखाया। भाजपा-जजपा सरकार ने 17.14 लाख एकड़ जमीन में से केवल 3.39 लाख एकड ज़मीन अर्थात 19 प्रतिशत को ही मुआवजा देने लायक माना। सरकार अनुसार 247500 एकड़ जमीन में आंधी, ओलो व बरसात से 25 से 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। इसमें गेंहू का रकबा 105000 एकड़ है व सरसों का रकबा 142500 एकड जमीन है। वहीं 59750 एकड़ जमीन में सरकार ने 50 से 75 प्रतिशत फसल खराबा बताया जिसमें गेंहू का रकबा 23150 व सरसों का रकबा 36600 एकड़ है। केवल 23400 एकड़ जमीन में 75 प्रतिशत से ज्यादा फसल नुकसान बताया है जिसमें गेंहू का रकबा 11600 एकड है व सरसों का रकबा 11800 एकड़ है। 

विद्रोही ने कहा कि सरकार ने बीमा कम्पनियों से मिलकर ऐसी सांठगांठ की है जिसके चलते केवल 3.39 लाख एकड़ जमीन का मुआवजा किसानों को बीमा कम्पनियां देेगी और इसमें भी 247500 एकड़ अर्थात 78 प्रतिशत जमीन मालिकों को 9 हजार रूपये प्रति एकड़ का मुआवजा देकर टरका दिया और केवल 18 प्रतिशत जमीन मालिकों को 12 हजार रूपये प्रति एकड़ व केवल 4 प्रतिशत जमीन मालिकों को ही नष्ट फसलों का 15 हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिलेगा।

विद्रोही ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने रबी फसलों का आंधी, ओलो व बरसात से हुए नुकसान का जिस तरह मुआवजा निर्धारित किया है, वह किसानों के साथ धोखाधडी है व धरातल की वास्तविकता से मेल नही खाती। भाजपा सरकार का रवैया मुंह बोलता प्रमाण है कि यह सरकार मानसिक रूप से किसान विरोधी है और बीमा कम्पनियों का लाभ पहुंचाने किसानों के साथ जो धोखाधडी करने का सत्ता दुरूपयोग से हरसंभव कुप्रयास कर रही है। यह इसी से पता चलता है कि किसानों ने 17.14 लाख एकड़ जमीन का मुआवजा मांगा था जबकि सरकार ने केवल 19 प्रतिशत जमीन को मुआवजे लायक माना है। 

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