सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलना तानाशाही: डॉ. सुशील गुप्ता
लोकतंत्र में जनता के प्रतिनिधि होते हैं जवाबदेह: डॉ. सुशील गुप्ता
केंद्र सरकार संविधान को बदलने में लगी: डॉ. सुशील गुप्ता

चंडीगढ़, 20 मई – केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलना और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की ताकत को कमजोर करने को आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता ने घटिया मानसिकता की राजनीति करार दिया। उन्होंने शनिवार को अपना बयान जारी कर कहा कि अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलना दिखाता है कि यह केंद्र सरकार की तानाशाही है। केंद्र सरकार संविधान को बदलना चाहती है। जबकि लोकतंत्र में जनता के प्रतिनिधि ही जवाबदेह होते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के इस कदम की कड़े शब्दों में निंदा की।

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को देर रात केंद्र सरकार लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने के लिए ये अध्यादेश लाई है। ये अध्यादश कहता है कि जो ताकत दिल्ली की चूनी हुई सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दी, उस ताकत को भाजपा का गैर संवैधानिक तरीके से छीनने का प्रयास है। 2015 में जब दिल्ली की जनता ने भारी बहुमत से 70 में से 67 सीट के साथ अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी की सरकार को जीताकर भेजा, तो मोदी सरकार ने तीन महीने के अंदर गैर कानूनी तरीके से मई 2015 में एमएचए का एक नोटिफिकेशन जारी किया कि केजरीवाल सरकार के पास सर्विसेज की ताकत नहीं है, उनके पास अफसरों के ट्रांसफर की पोस्टिंग की ताकत नहीं है और उनको भ्रष्ट अफसरों पर एक्शन लेने की ताकत नहीं है। ये ताकत केंद्र सरकार के पास रहेगी है।

डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि आठ साल की कानूनी लड़ाई के बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार का कानून गलत था और ताकत दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास है। अफसरों के प्रति जवाबदेही चुनी हुई सरकार की होती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब था कि अगर दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी व केजरीवाल की सरकार को चून कर भेजा है तो निर्णय लेने की ताकत भी अरविंद केजरीवाल के पास है। लेकिन केंद्र सरकार और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह सहन नहीं हुआ कि अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने ताकत दे दी। जिसके बाद शुक्रवार को रात के अंधेरे में 11 बजे सुप्रीम कोर्ट की 6 हफ्ते की छुट्टी होने के बाद चोर दरवाजे से एक गैर संवैधानिक अध्यादेश लेकर आए। दिल्ली में विकास कार्यों को बाधित करने के लिए ये अध्यादेश लाया गया है।

उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश दिखाता है कि देश के प्रधानमंत्री मोदी को अरविंद केजरीवाल से बहुत डर लगता है। दिल्ली इतना छोटा सा राज्य है। उसमें भी आधी सरकार जिसके पास लैंड, लॉ एंड ऑर्डर और पुलिस की ताकत नहीं है। इतनी सी सरकार की ताकत को मोदी सरकार गैरकानूनी गैर संवैधानिक तरीके से खत्म करना चाहते हैं। जबकि दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोकतंत्र की ताकत में यकीन रखते हैं।

उन्होंने कहा कि जो संविधान बाबासाहेब आंबेडकर ने बनाया है उस संविधान में बहुत ताकत है। जब तक सुप्रीम कोर्ट इस अध्यादेश को स्ट्राइक डाउन नहीं करता, तब तक केंद्र सरकार अरविंद केजरीवाल के काम को रोक सकें, लेकिन अरविंद केजरीवाल को ताकत दिल्ली की जनता ने दी है। उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश को दिल्ली सरकार कोर्ट में चुनौती देगी। बाबा साहब आंबेडकर के संविधान ने ताकत दी है। कोई भी उस ताकत को नहीं ले सकता है।

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