परम श्रद्धेय स्वामी दिव्यानंद महाराज द्वारा मिला बोधराज सीकरी को विशेष आशीर्वाद
प्रभु श्रीराम का आदर्श जीवन मानव जीवन के लिए प्रेरणापुंज : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। कल दिनांक 17-05-2023 को स्वामी दिव्यानंद महाराज के पावन और पवित्र आश्रम जोकि ज्योति पार्क गुरुग्राम में स्थित है, स्वामी जी द्वारा बोधराज सीकरी को परसो आग्रह किया कि ये जो हनुमान चालीसा के पाठ की मुहिम आपने शुरू की है उसका आनंद बहुत सारे साधकों ने लिया और बहुत सारे साधक इस आनंद से वंचित रह गए हैं और वो आने वाले अंतिम दिन यानी सत्संग का जो चौथा दिन है उसमें भी आनंद के लिए आएंगे व पुनः यह कार्यक्रम आयोजित किया जाए। उसके परिणामस्वरूप कल आश्रम में लगभग 800 साधकों ने पहले तो एक घंटा स्वामी जी के प्रवचन का आनंद लिया और ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाई। उसके उपरांत हनुमान चालीसा के पाठ का पठन किया गया। स्वामी जी ने अपने वक्तव्य में बताया साधक को जिज्ञासा होनी चाहिए, साधक का जीवन एक दर्पण की तरह होना चाहिए ताकि उसको दर्पण अपनी सच्चाई बता सके। व्यक्ति को अपने मन की स्थिति भी मालूम होनी चाहिए। किसी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से तुलनात्मक दृष्टिकोण से मुकाबला नहीं करना चाहिए नहीं तो जीवन में गड़बड़ी होती है। व्यक्ति को समयक श्रोता बनना चाहिए। उनके अनुसार कथा से अपराध बोध के दर्शन होते हैं। उन्होंने आगे बताया कि राज दशरथ के मन की स्थिति मृत्यु के समय क्या थी उसके मन के ऊपर एक उस दर्पण का दृश्य नजर आ रहा था जब श्रवण कुमार के माता-पिता ने उन्हें श्राप दिया था। इस प्रकार स्वामीजी ने बताया कि आज के कई नेता संपत्ति और सुविधाएं नागरिकों को देने में लगे हैं। इस प्रकार की संपत्ति और सुविधाएं मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी दिया करते थे परंतु मर्यादा पुरुषोत्तम राम उसके साथ संस्कार और कर्तव्यपरायणता भी अपने नागरिकों को और प्रजा को सिखाते थे। दुर्भाग्य की बात है कि आज का नेता ये सुविधाएं तो उन्हें दे रहा है परन्तु उन्हें संस्कारविहीन और कर्तव्यपरायणता विहीन बना रहा है जिसके कारण नागरिक आलसी बनता है।

महाराज जी ने अपने वक्तव्य में बताया कि व्यक्ति को जब किसी भी कथा या आयोजन में सम्मिलित होना हो तो ना केवल वो सुनें बल्कि उस विषय का अध्ययन करें, स्वाध्ययन करें, समीक्षा करें, मंथन करें और फिर चिंतन करें। इस प्रकार वो विषय उसके मन के पटल पर बैठ जाएगा। महाराज श्री ने हनुमान चालीसा के ऐसे-ऐसे रहस्य उजागर किये जो पहले कभी नहीं सुने थे। उन्होंने प्रारम्भ में एक बार हनुमान चालीसा पाठ का संगीतमय तरीके से स्वयं गायन किया और फिर बोधराज सीकरी के मित्र गजेंद्र गोसाई जो निरंतर पिछले तीन महीनों से हनुमान चालीसा के पाठ को अपने सुर और स्वरों का एक नया रूप दे रहे हैं उसके माध्यम से उन्हें कहा कि अब आप संगीतमय तरीके से हनुमान चालीसा का पाठ करें।

गजेंद्र गोसाई ने अपने मुखारबिंद से अपने मधुर वाणी से 8 बार संगीतमय तरीके से पाठ किया। तदोपरांत अंत के दो पाठ स्वामी दिव्यानंद महाराज ने अपने मुखारबिंद से गाए और उसमें लोगों को प्रेरित किया कि नृत्य भी साथ में करेंगे।

आखिरी दो हनुमान चालीसा पाठ का पठन संगीतमय तरीके से उसमें लगभग 800 साधकों को डांडिया दिया गया और डांडिया के माध्यम से गायकी के माध्यम से साथ में भजन और गुरुदेव के नए-नए शब्दों का मिश्रण करके हनुमान चालीसा पाठ के साथ-साथ नृत्य का दृश्य देखने के लायक था।

उसके उपरांत बोधराज सीकरी से कहा गया कि वे समापन की और आगे बढ़ें। बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में स्वामी जी का जहां एक और आभार प्रकट किया क्योंकि उन्होंने लोगों को दो दिन निरंतर हनुमान चालीसा के पाठ का संगीतमय तरीके से पठन करने का अवसर प्रदान किया। बोधराज सीकरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम न केवल राक्षसों का वध करने के लिए बल्कि पर्यावरण को संतुलित करने के लिए उन्होंने जन्म लिया। क्योंकि उन्होंने बहुत ही सुंदर कविता पढ़कर सुनाई जिसमें पृथ्वी माँ भगवान विष्णु के पास हाहाकार करती हुई जाती है और राक्षसों के द्वारा किये गए अत्याचार के बारे में बताती है। तो भगवान विष्णु से उन्हें क्या उत्तर दिया :

पृथ्वी ए मेरी प्यारी पृथ्वी,
मैं तेरा ताप मिटाता हूँ (यहां ताप का अभिप्राय ग्लोबल वार्मिंग से है)
पृथ्वी ए मेरी प्यारी पृथ्वी
मैं तेरा ताप मिटाता हूँ।
दशरथ के यहां राम बनकर
अतिशीघ्र अवध में आता हूँ l
भक्तों अब तुम निश्चिंत रहो
अब तुम्हें ना कोई भय होगा। यह धरणी होगी धरा धाम, धरणी धर का अभिनय होगा l
सुन सकते नहीं कान मेरे अत्याधिक पुकार अधीनों की, ये पृथ्वी होगी वीरों की
पृथ्वी न होगी हीनों की l

इस प्रकार अपने मन के उद्गार रखे और अंत मे वेद के एक मंत्र जो यज्ञ करते समय प्रायः 5 बार उच्चारित किया जाता है। इसमें प्रजा और पशु दो शब्दों का वर्णन है। प्रजा का अभिप्राय संतान से और पशु का अभिप्राय हमारी गौमाता से है। इस प्रकार उस मंत्र की भी बोधराज सीकरी ने सकुशल व्याख्या करी और अंत में महाराज श्री के चरणों में नतमस्तक हो उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया। उसके बाद प्रसाद वितरित किया गया।

इस कार्यक्रम में धर्मेंद्र बजाज, ज्योत्सना बजाज, रचना बजाज, शशि बजाज, राजेश गाबा(प्रधान गीता आश्रम), हरीश संगीतज्ञ, रमेश कुमार, ओ.पी कालरा, चंचल, रमेश कामरा,रामलाल ग्रोवर, एम.के अरोड़ा, हरविंद कोहली, ओमप्रकाश कथूरिया, चूनी लाल शर्मा, रमेश मुंजाल, द्वारका दास कक्कड़, पुनीत कथूरिया, नरेंद्र कथूरिया, राजपाल आहूजा, सुभाष ग्रोवर एडवोकेट व अन्य जन उपस्थित रहे।

आठ सौर लोगों ने दस-दस बार पाठ करके आठ हज़ार का आँकड़ा स्पर्श किया। पाठ की कुल संख्या कल तक 8000 रही। 172600 की पहले की संख्या कल की आठ हज़ार से मिला कर 180600 को छूँ गई।

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